Monday, 19 September 2016

इस बर्ष माँ भगवती किस बाहन पर सवार होकर आएँगी आपके द्वार


यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। इस संदर्भ में शास्त्रों में कहा गया है कि
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'शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता

इसका अर्थ है
सोमवार व रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं।

शनिवार तथा मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है।

गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं।

बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।

देवी दुर्गा का आगमन अश्‍व पर देवी दुर्गा का प्रस्थान चरणायुध पर
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इस वर्ष माता घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना जाता है।
घोड़े पर माता का आगमन शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना गया है। इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ता है और सत्ता परिवर्तन का योग बनता है। इस साल भी माता इसी वाहन पर आईं है जिसका परिणाम है कि पूरे साल देश की राजनीति में उथल-पुथल मची रहेगी देश को कई विकट स्थितियों का सामना करना पडेगा देश के कई भागों में प्राकृतिक आपदा के कारण जान-माल का नुकसान होगा ।
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कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। घट स्थापना का मुहूर्त

16 वर्ष बाद फिर नवरात्र में विशेष संयोग बन रहा है। दूज तिथि लगातार दो दिन होने के कारण शारदीय नवरात्र नौ की जगह 10 दिन की होगी। नवरात्र के बाद 11वें दिन दशहरा मनाया जाएगा। पंडित भुबनेश्वर का कहना है कि तिथियों के क्षय होने एवं बढऩे के कारण यह बदलाव आता है।  पंडित जी के मुताबिक पितृपक्ष में पंचमी और षष्ठी तिथि एक साथ होने के कारण एक दिन की कमी आई है। वहीं नवरात्र में दूज तिथि लगातार दो दिन होने के कारण नवमी तिथि 10वें दिन पड़ेगी तो दशहरा चल समारोह 11वें दिन निकाला जाएगा।
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=====अत: यह नवरात्र घट स्थापना ======
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प्रतिपदा तिथि को 1 अक्टूबर, शनिवार के दिन की जाएगी. इस दिन सूर्योदय से प्रतिपदा तिथि, हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग होगा, सूर्य और चन्द्रमा कन्या राशि में होंगे. आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है. इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है. घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है. तथा "दुर्गा सप्तशती" का पाठ किया जाता है. पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए.।-------

घटस्थपना महुर्त = 06:16 से 07:25 समय

अबधि = 1 घण्टा 9 मिनिट

अथवा कन्या लग्न

प्रतिपदा आरम्भ=  am05:41  1/Oct/2016

प्रतिपदा समामप्त  = 07:45 on 2/Oct/2016

कलश स्थापना और पूजा का समय भारतीय शास्त्रानुसार नवरात्रि पूजन तथा कलशस्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के पश्चात १० घड़ी तक

अथवा अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र प्रारम्भ हो जाता है।

यदि प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र हो तथा वैधृति योग हो तो वह दिन दूषित होता है।

इस बार 1 अक्टूबर 2016 को प्रतिपदा के दिन न हीं चित्रा नक्षत्र है तथा न हीं वैधृति योग है

परन्तु शास्त्र यह भी कहता है की यदि प्रतिपदा के दिन ऐसी स्थिति बन रही हो तो उसका परवाह न करते हुए अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना तथा नवरात्र पूजन कर लेना चाहिए।

निर्णयसिन्धु के अनुसार

— सम्पूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत। वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।।

अभिजितमुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।

अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए।

भारतीय ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ होता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार

मिथुन,
कन्या,
धनु
तथा कुम्भ राशि द्विस्वभाव राशि है।
अतः हमें इसी लग्न में पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए।
1 अक्टूबर 2016 प्रतिपदा के दिन हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय के बाद तथा अभिजीत मुहूर्त में घट/कलश स्थापना करना चाहिए।

प्रथम(प्रतिपदा) नवरात्र हेतु पंचांग विचार

दिन(वार) – शनिवार
तिथि – प्रतिपदा
नक्षत्र – हस्त
योग – ब्रह्म
करण – किंस्तुघ्न
पक्ष – शुकल
मास – आश्विन
लग्न – धनु (द्विस्वभाव) लग्न समय – 11:33 से 13:37
मुहूर्त – अभिजीत मुहूर्त समय – 11:46 से 12:34 तक
राहु काल – 9:12 से 10:41 तक
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विक्रम संवत – 2073 इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11:46 से12:34) जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया धनु लग्न में पड़ रहा है
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अतः धनु लग्न में ही पूजा तथा कलश स्थापना करना श्रेष्ठकर होगा।
सम्पर्क सूत्र
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Pandit =parmeshwar= 9893397835
Pandi =bhubneshwar =9893946810
Pandit =ghanshyam=9893983084
Parnkuti aasram guna (m.p.)

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