ज्योतिष समाधान

Saturday, 13 September 2025

जनेऊ क्या है

#जनेऊ_मर्यादा=-> 
अनध्यायों में बना, व्यभिचारिणी से बना, लक्कड़हारे से निर्मित,बाजार में बिकता, व्रात्यों(तीन या कईं पैढ़ी से जनेऊ-संस्कार से रहितों)से प्राप्त, इस प्रकार पतित्व होने के मार्गों का वर्ताव करने वाले से प्राप्त #जनेऊ धारण करने से किया हुआ कर्म महादोषयुक्त होकर  निष्फल हो जातें हैं | इस दोषों की शान्त्यर्थ #प्राजापत्य व्रत करना चाहिए | बाद में लक्षणयुक्त बना हुआ जनेऊ धारण करना चाहिए अन्यथा दुःख(किसी भी प्रकारका)प्राप्त होता हैं | अतः दोषमुक्त जनेऊ बनाने की पद्धति जाननेवाले विद्वान् की समीप अपनी आँखो से देखकर, अभ्यास द्वारा बनाना सीखकर ही जनेऊ धारण करना चाहिये..  इस तथ्य से यह भी पुष्ट होता हैं कि देवपूजा में व्रात्यों (अनुपनीतो)को उपवीत के  उपचार बिना ही शेष उपचारों को करना चाहिये, अथवा विप्र के हाथ उपवीतार्पण करना चाहिये।.. 
नैवेद्य निवेदन में भी नित्यसंध्योपासनारहितो, वैश्वदेव रहितों को पके हुए अन्नादि भोज्य पदार्थ समर्पित नहीं करना चाहिये...

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