ज्योतिष समाधान

Friday, 25 July 2025

शिव प्रार्थना

भस्म अंग, मर्दन अनंग, संतत असंग हर।
सीस गंग, गिरिजा अर्धंग भुजंगबर।।

मुंडमाल , बिधु बाल भाल, डमरू कपालु कर।
बिबुधबृंद-नवककुमुद-चंद, सुखकंद सूलधर।

 त्रिपुरारि त्रिलेाचन, दिग्बसन, बिषभोजन, भवभयहरन।
कह तुलसिदासु सेवत सुलभ सिव सिव संकर सरन।।

(150)

गरल -असन दिगबसन ब्यसन भंजन जनरंजन।
कुंद-इंदु-कर्पूर-गौर सच्चिदानंदघन।।

बिकटबेष, उर सेष , सीस सुरसरित सहज सुचि।
सिव अकाम अभिरामधाम नित रामनाम रूचि।ं

कंदर्प दुर्गम दमन उमारमन गुन भवन हर।
त्रिपुरारि! त्रिलोचन! त्रिगुनपर! त्रिपुरमथन! जय त्रिदसबर।।

Thursday, 24 July 2025

सोने का जनेऊ कैसे पहने

#कलियुग_में_कार्पासनिर्मित_(कपास)जनेऊ की प्राधान्यता ->> सत्युग में पद्मनालतन्तु निर्मित , त्रेतायुग में सुवर्णनिर्मित द्वापर में रजतनिर्मित और कलियुग में कार्पासनिर्मित जनेऊ की ही प्रधानता हैं -

कृते पद्ममयं सूत्रं त्रेतायां कनकोद्भवम्। 
             द्वापरे रजतं प्रोक्तं कलौ कार्पास निर्मितम्।।

मन्वपि - कार्पासमुपवीतं स्याद्विप्रस्योर्ध्वंवृतं त्रिवृत्।।

कार्पास निर्मित के अभाव में - अतसी , वृक्ष की छाल , गाय के बाल , शण  आदि यथासम्भव प्राप्त हो उनकी धारण करना उचित हैं --

देवलः - 
कार्पासक्षौमगोबालशाणवल्कतृणादिकम्।
                  यथा संभवतो धार्यमुवीतं द्विजातिभिः।।

युगान्तर विषयक स्वर्णमय जनेऊ का प्राधान्य त्रेतायुग में था , उस समय स्वयं देवशिल्प विश्वकर्मा का भी धरातल आनाजाना रहता था और अन्य रसविद्या के आचार्यो भी विद्यमान थे ।  आजकल जो स्वर्णमय जनेऊ की तरह अलङ्कार धारण करते हैं वह मात्र जनेऊ की तरह शरीर की शोभामात्र बढाने का अलङ्कार हैं । क्योंकि जिस प्रकार जनेऊ का निर्माण की पद्धति शास्त्र में कही हैं उस प्रकार से स्वर्ण जनेऊ निर्माण करना सम्भव नहीं हैं । 

व्रात्य अनुपनीत आदि से जनेऊ लेना और दक्षिणा के बहाने खरीदना भी निषिद्ध कहा हैं  इस प्रकार जनेऊ निर्माण किसने किया उसपर विचार मननीय हैं -->

चतुर्वर्गचिंतामणि प्रा०खण्ड ब्रह्माण्डपुराण 
अनध्याये तु यत्सूत्रं 
       यत्सूत्रं रण्डया कृतम्। 
यत्सूत्रं दारुसम्भृतं --------------
       #क्रीतं यद्ब्रह्मसूत्रकम् । 
व्रात्यादिभिस्तथा दत्तं 
        तत्सूत्रं परिवर्जयेत्। 
#एतदुर्मार्गवर्त्तिभ्यः_प्रतिगृह्य_द्विजातयः #यद्यत्_कर्म_तदा_कुर्युस्तद्भवति_निष्फलम्।।

अन्यच्च देवलः -
विधवा रचितं सूत्रमनध्यायकृतं च यत्। 
              विच्छिन्नं #चाप्यधोयातं #भुक्त्वा निर्मितमुत्सृजेत्" इति।।

उक्त प्रमाण से क्रीत जनेऊ या अनुपनीत व्रात्य आदि से ग्रहण किया हुआ किसी भी प्रकार के जनेऊ से जो जो भी कर्म किये जाएगे वह सभी निष्फल होते हैं, बिना उपवास किये निर्मित जनेऊ त्यागने योग्य हैं।

बिना उचित यथा कलिप्रधान कार्पासनिर्मित जनेऊ न पहनने में  यज्ञोपवीत त्याग , यज्ञोपवीत रहीते भोजन,  पान , मूत्र पुरीष  सम्भाषण आदि करना भी  दोष हैं, इसलिये स्वर्णसूत्र को नित्य धारण करना हैं तो  कार्पास निर्मित जनेऊ का त्याग नहीं करना चाहिये , कार्पास के जनेऊ के साथ ही स्वर्णालङ्कार का जनेऊ धारण कर सकते हैं नहीं तो पुनरुपनयन भी होना अनिवार्य हैं।   
          कितनेक पुष्टिमार्गीय वैष्णवाचार्यो आज भी कार्पास के जनेऊ को नित्यनिरन्तर धारण करते हुए ही स्वर्णमय-जनेऊ धारण करते हैं।।
                       

Monday, 21 July 2025

शिव जी की आरती

हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं,

आरती गाऊं तुम्हें चित्त में बसाऊं,
हे गौरीशंकर तेरी आरती गाऊं,
हे शिवशंकर तेरी आरती गाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ।

भगीरथी जब धरा पे आये,
जटा में भोले की वेग समाये,
जनहितकारी पे बलि बलि जाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ॥

हलाहल से सबको बचाते,
नीलकण्ठ तब आप कहाते,
उमापति के दर्शन पाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ॥

सरल हृदय, करुणा के सागर,
खाली ना रहती किसी की गागर,
कृपा की कुछ बूंदें पा जाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ॥

महादेव प्रभु, हो त्रिपुरारी,
भक्तों के हो भोले तुम भयहारी,
हर हर शम्भो कहके तुमको रिझाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ॥

पूजा, जप, तप, योग ना जानूं,
महादेव को अपना मानूं,
श्रद्धा सुमन चरणों में चढ़ाऊं,
हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं ॥

हे भोलेनाथ तेरी आरती गाऊं,
आरती गाऊं तुम्हें चित्त में बसाऊं,
हे गौरीशंकर तेरी आरती गाऊं,
हे शिवशंकर तेरी आरती गाऊं.......

अशुभ पेड़

केलेका पेड़ घरमें नहीं लगाना चाहिए!!! अवश्य पढ़ें!!
#प्रमाण—
1 बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका।
प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति॥
(#समरांगणसूत्रधार-38/131)
#अर्थ— बेर, केला, अनार तथा नींबू जिस घरमें उगते हैं, उस घरकी वृद्धि नहीं होती।

*2 अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीजपूरकम्।
*गृहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति॥
      (#बृहद्दैवज्ञ० 87/9)

*#अर्थ—* पीपल, कदम्ब, केला, बीजू नींबू-ये जिस घरमें होते हैं, उसमें रहनेवालेकी वंशवृद्धि नहीं होती।

*3 मालतीं मल्लिकां मोचां चिञ्चां श्वेतां पराजिताम्।
*वास्तुन्यां रोपयेद्यस्तु स शस्त्रेण निहन्यते॥
(#वास्तुसौख्यम्- 39)

*#अर्थ—* मालती, मल्लिका, मोचा (केला/कपास), इमली, श्वेता (विष्णुक्रान्ता) और अपराजिताको जो वास्तुभूमिपर लगाता है, वह शस्त्रसे मारा जाता है।

*#तुलसी—* घरके भीतर लगायी हुई तुलसी मनुष्यों के लिये कल्याणकारिणी, धन-पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है। 

प्रात:काल तुलसीका दर्शन करनेसे सुवर्ण-दानका फल प्राप्त होता है।
(#ब्रह्मवैवर्तपुराण,कृष्ण०-103/62)

अपने घरसे दक्षिणकी ओर तुलसीवृक्षका रोपण नहीं करना चाहिये, अन्यथा यम-यातना भोगनी पड़ती है।    
         (#भविष्यपुराण म० 1)

*#गृह_समीपमें_निषिद्ध_वृक्ष—

घरके पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री
और सन्तानकी हानि करनेवाले हैं। 

यदि इन्हें काटा न जा सके
तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दें।

काँटेवाले वृक्ष शत्रुसे भय देनेवाले
दूधवाले वृक्ष धनका नाश करनेवाले और 
फलवाले वृक्ष सन्तानका नाश करनेवाले होते हैं। 

इनकी लकड़ीको भी घरमें नहीं लगानी चाहिये—

*आसन्ना: कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय।
*फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेदेषाम् ।।
         (#बृहत्संहिता-53/86)

पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेरा, पीपल, अगस्त्य, बेर, निर्गुंडी, इमली, कदंब, केला, नींबू, अनार, खजूर, बेल आदि वृक्ष घरके पास अशुभ हैं।

*#गृहसमीपस्थ_शुभवृक्ष—

अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चंपा, अर्जुन, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेसर, अड़हुल, महुआ, वट, सेमल, बकुल, शाल, आदि वृक्ष घरके पास शुभ हैं।

*#घरसे_दिशा_विशेषमें_वृक्षोंके_शुभाशुभ_फल—*

*#पूर्वमें—* पीपल भय तथा निर्धनता देता है ,
परंतु बरगद कामना पूर्ति करता है।

*#आग्नेयमें—* वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर पीड़ा और मृत्यु देने वाले हैं।
 परंतु अनार शुभम् है ।

*#दक्षिणमें—* पाकर रोग तथा पराजय देने वाला है और आम, कैद, अगस्त्य तथा निर्गुंडी धन नाश करने वाले हैं।
 परंतु गूलर शुभ है।

 *#नैर्ऋत्यमें—* इमली शुभ है।

*#दक्षिण_नैर्ऋत्यमें—* जामुन और कदम्ब शुभ हैं।

*#पश्चिममें—* वट होनेसे राजपीड़ा, स्त्रीनाश व कुलनाश होता है, और आम, कैथ, अगस्त्य तथा निर्गुंडी धननाशक हैं। 
परंतु पीपल शुभ दायक है।

 *#वायव्यमें—* बेल शुभदायक है।

*#उत्तरमें—* गूलर नेत्ररोग तथा ह्रास करने वाला है ।
परंतु पाकर शुभ है।

#ईशानमें— आँवला शुभदायक है।

#ईशान_पूर्वमें— कटहल एवं आम शुभदायक हैं।

*#गृहवाटिका_का_विचार—*

जो घरसे पूर्व, उत्तर, पश्चिम या
ईशान दिशामें वाटिका बनाता है, वह सदा गायत्रीसे युक्त, दान देनेवाला और यज्ञ करनेवाला होता है। 

परन्तु जो आग्नेय, दक्षिण,
नैर्ऋत्य या वायव्यमें वाटिका बनाता है, उसे धन और पुत्रकी हानि तथा परलोकमें अपकीर्ति प्राप्त होती है। 
वह मृत्युको प्राप्त होता है। वह जातिभ्रष्ट व दुराचारी होता है।

यदि घरके समीप अशुभ वृक्ष लगे हों तो अशुभ वृक्ष और घरके बीचमें शुभफल देनेवाले वृक्ष लगा देने चाहिये। 

यदि पीपलका वृक्ष घरके पास
हो तो उसकी सेवा-पूजा करते रहना चाहिये।

दिनके दूसरे और तीसरे पहर यदि किसी वृक्ष, मन्दिर
आदिकी छाया मकानपर पड़े तो वह सदा दुःख व रोग देनेवाली होती है।

घरकी जितनी ऊंचाई है उससे कुछ ज्यादा दूरीपर कोई निषिद्ध वृक्ष खड़ा है तो कोई दोष नहीं होता।
Gurucev 
Bhubneshwar 
Parnkuti guna 
9893946810

Sunday, 6 July 2025

महामृत्युंज अनुष्ठान पूजन सामग्री पर्णकुटी गुना {【9893946810】

(1)हल्दी पिसी-------------------50 ग्राम
२】कलावा(आंटी)-------------10गोले 
३】गुलावजल--------    100ग्राम
४】कपूर----------------   50 ग्राम
५】बताशा-----------    (01) किलो
६】 हल्दी खड़ी ------------ 150 ग्राम
७】यज्ञोपवीत ---------------   2 मुुठा
८】चावल------------------ 15 किलो
९】अबीर-------------------50 ग्राम
१०】गुलाल,---100 ग्राम (पांच प्रकार की)

११】खोपरा बूरा 500 ग्राम 
    शक्कर बूरा 500 ग्राम
१२】सिंदूर ------------------100 ग्राम
१३】रोली, ------------------100ग्राम
१४】सुपारी, ( बड़ी)--------  200 ग्राम
१५】नारियल -----------------  15 नग्
१६】सरसो पीली---------------50 ग्राम
१७】काजू -100ग्राम 
बादाम -100 ग्राम 
किशमिस -100 ग्राम 
मखाने -100 ग्राम 
खारक -100 ग्राम
पिस्ता -100 ग्राम
१८】शहद (मधु)--------------- 100 ग्राम
१९】शकर------------------0 3 किलो
२०】घृत (शुद्ध घी)------------  04 किलो
२१】इलायची (छोटी)-----------10ग्राम
२२】लौंग ----------------10ग्राम
२३】इत्र की शीशी----------------1 नग्
२४】रंग लाल----------------20ग्राम
२५】रंग काला ---------------20ग्राम
२६】रंग हरा ------------------20ग्राम
२७】रंग पिला -----------------20ग्राम
२८】भस्म-----------------100 ग्राम 
२९】धुप बत्ती ---------------2 पैकिट
30】तिल का तेल -------------2 लीटर 
(31)  दाख {बड़ी}---------------50 ग्राम
32】आँवला ----------------50ग्राम
(32)मूँग बडी-----------------200ग्राम
(33)पापाड़थेली-------------01थैली
(34 ) पीताम्बरी पूजा बर्तन साफ करने के लिए 500ग्राम 
(35)नागफनी किले 04नग
(36)कच्चा सूत  गोले 05
(37)   नग उन के गोले
(38) बांस की डालिया 1 नग
(39) पचरंगा झंडा
(40,,)चांदी का सिक्का
(41) माचिस पैकेट 
(42)उड़द खड़े
(43) दालें पांच प्रकार की मात्रा पूजा अनुसार
(44) काली हल्दी
(45) ब्राह्मण बरण वस्त्र इच्छानुसार

हवन सामग्री सदस्य अनुसार 
तिल
 जौं 
इंद्र जौ
हवन सामग्री पैकेट
कमल गट्टा
गुगल
भोजपत्र
नारियल गोला


Gurudev Bhubaneswar:
Parnkuti ashram guna
9893946810
 =======================
३०】सप्तमृत्तिका
1】 हाथी के स्थान की मिट्टि-------50ग्राम
२】घोड़ा बांदने के स्थान की मिटटी--50ग्राम
३】बॉबी की मिटटी--------------50ग्राम
४】तुलसी की मिटटी-------------50ग्राम
५】नदी संगम की मिटटी----------50ग्राम
६】तालाब की मिटटी------------50ग्राम
७】गौ शाला की मिटटी-----------50ग्राम
राज द्वार की मिटटी--------------50ग्राम
============================
३१】पंचगव्य
१】 गाय का गोबर --------------50 ग्राम
२】गौ मूत्र-------------------50ग्राम
३】गौ घृत-------------------50ग्राम
4】गाय दूध-----------------50ग्राम
५】गाय का दही ------------50ग्राम
========================
३२】सप्त धान्य-कुलबजन--------100ग्राम
१】 जौ-----------
२】गेहूँ-
३】चावल-
४】तिल-
५】काँगनी-
६】उड़द-
७】मूँग
=============================
३३】कुशा 
३४】दूर्वा
35】पुष्प कई प्रकार के 
३६】गंगाजल
३७】ऋतुफल पांच प्रकार के -----1 किलो

38】पंच पल्लव
१】बड़,
२】 गूलर,
३】पीपल,
४】आम 
५】पाकर के पत्ते)
=========================
३९】बिल्वपत्र
४०】शमीपत्र
४१】सर्वऔषधि 
     तुलसी मंजरी
      भांग 

४२】अर्पित करने हेतु पुरुष बस्त्र
४३】मता जी को अर्पित करने हेतु  
सौभाग्यवस्त्र 

बर्तन
44】

(1)जल कलश तांबे के
पूजा की थाली 
कटोरी 
लौटा
आसान
आर्घा 
गंगा सागर छोटा 
श्रृंगी अभिषेक के लिए 

मिट्टी के कलश ढक्कन सहित 5 नग
     (2) खप्पर 5 
      दोना गड्डी 


१】सफेद कपड़ा 3मीटर
२】लाल कपड़ा 2मीटर
(3)पीला कपड़ा3मीटर
४】हरा कपड़ा 1मीटर
(5) काला कपडा 1मीटर
पीला चद्दर 1
छींट का कपड़ा 2मीटर

 Gurudev Bhubaneswar: 

पान के पत्ते ------------11 नग
रुई मेडिकल वाली 500 ग्राम
बन्दनवार


 ब्राह्मणों के लिए उपयोगी 
सावुन नहाने के---------------10
सावुन कपड़े धोने के --------10
सर्फ कपडे धोने का ---------1 किलो
मंजन --------------------100ग्राम
तेल शीशी -----             1 नग 
फलाहार सामग्री 

Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti aashram
Guna
9893946810