Monday, 21 October 2024

#दीपावली



*दीपोत्सवस्य वेलायां प्रतिपद् दृश्यते यदि।*
*सा तिथिर्विबुधैस्त्याज्या यथा नारी रजस्वला॥*



*आषाढ़ी श्रावणी वैत्र फाल्गुनी दीपमालिका।*
*नन्दा विद्धा न कर्तव्या कृते धान्यक्षयो भवेत्॥*



◆ इसके अतिरिक्त स्कंदपुराण के द्वितीय भाग वैष्णवखंड के कार्तिकमहात्म्य के 10वें अध्याय  “दीपावली कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा महात्म्य” नामक अध्याय के श्लोक क्रमांक 11 में भगवान श्री ब्रह्माजी ने स्पष्ट कह दिया...

“माङ्गल्यंतद्दिनेचेत्स्याद्वित्तादितस्यनश्यति। 
बलेश्चप्रतिपद्दर्शाद्यदिविद्धं भविष्यति॥"
अर्थात् – 
अमावस्या विद्ध बलि प्रतिपदा तिथि में मोहवशात् माङ्गल्य कार्य हेतु अनुष्ठान करने से सारा धन नष्ट हो जाता है।"

व्रतराज में तो यहाँ तक कहा है -

न कुर्वन्ति नरा इत्थं लक्ष्म्या ये सुखसुप्तिकाम् । 
धनचिन्ताविहीनास्ते कथं रात्रौ स्वपन्ति हि ॥ 
तस्मात्सर्वप्रयत्नेन लक्ष्मीं सुस्वापयेन्नरः । 
दुःखदारिद्यानिर्मुक्तः स्वजातौ स्यात् प्रतिष्ठितः ।॥
ये वैष्णवावैष्णवा या बलिराज्योत्सवं नराः। 
न कुर्वन्ति वृथा तेषां धर्माः स्युर्नात्र संशयः ॥


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