ज्योतिष समाधान

Wednesday, 22 May 2024

शिव जी पर कुम कुम

शिव लिंगे हरिद्राद्यर्पण विधी निषेध :-

कल रात्रि ग्रुप के एक विद्वान् महाभाग फोन आया था की,प्रायः यह भ्रम फैलाया जाता है कि शिवलिङ्ग पर हरिद्रा(हल्दी) अथवा कुमकुम अर्पित करना निषिद्ध है एवं इनका पूजोपचारादिके अन्तर्गत कोई विधान नहीं है।
उनकी संका थी की क्या ऐसा वास्तव में है अथवा ये केवल एक भ्रम मात्र है।

                          वस्तुतः ऐसी बातें निराधार हैं। शिवलिङ्ग पर हरिद्रा, कुमकुम अर्पण करने के विधानका पर्याप्त वर्णन धर्मग्रंथो में प्राप्त होता है। ऐसी कल्पनाओं का शमन करने हेतु निम्न शास्त्रप्रमाणों को देखना चाहिए —

🔥उष्णोदकेन हरिद्राद्येन लिंगमूर्ति पीठसहितां विशोध्य गंधोदकहिरण्योदकमंत्रोदकेन रुद्राध्यायं पठमानः
[लिङ्गo,उत्तरभाग, 24/17]

🔥सुगन्धामलकं दद्याद्धरिद्रां च यथाक्रमम्।
ततः संशोध्य सलिलैर्लिङ्ग बेरमथापि वा॥
[शिवo,वायवीयसंहिता-उत्तरखण्ड,24/43]

🔥रक्तचन्दनपुष्पाढ्यं पानीयं चातिशीतलम्।
मृदु एलारसाक्तं च खण्डं पूगफलस्य च॥
🔥कस्तूरिका कुंकमं च रसो मृगमदात्मकः।
पुष्पाणि सुरभीण्येव पवित्राणि शुभानि च॥
[शिवमहापुराण, वायवीयसंहिता-उत्तरखण्ड,25/15-18]

🔥स्नापयेत्पयसा पूर्वं दध्ना घृतयुतेन च।
मधुनेक्षुरसेनैव कुंकुमेन विलेपयेत्॥४॥
[स्कन्दमहापुराणे, प्रभासक्षेत्रमाहात्म्येचण्डीशमाहात्मये,30/4]

🔥हरिद्राखण्डचूर्णेन यो विलिम्पेदुमासखम्।
स मे गणेशः स्कंदः स्यादश्वमेधायुतं लभेत्॥
गंधं दत्वा चंद्रमौलौ द्वादशाहफलं लभेत्।
त्रिफलं चंदनं प्रोक्तं कुंकुमं तत्समं स्मृतम्॥
[शिवरहस्ये, एकादशांशे]

🔥यवगोधूमजैश्चूर्णैः कषायैर्रजनीसहै:।
कवोष्णेनाम्बुना देवि स्नापयेत्तदननंतरम्॥
[शिवरहस्ये, उग्राख्ये सप्तमांशे]

🔥ततो हरिद्रया देवमालिप्य स्नानमाचरेत्।
[शैवाचारप्रदीपिकायाम्]

🔥हरिद्रां कवचेन संयोजयेत्..... मूलेन मर्दयेत्।
.......
चन्दनागरुकस्तुरी कुंकुमकर्पूरमनश्शिलैलाकुष्ठतक्कोल-लवंगोशीररजनीचूर्णसहितमुदकं गंधोदकम्।
[शिवार्चनचंद्रिकायां, दिक्षितेन्द्र]

🔥चन्दनागुरुकर्पूरै: कृष्णपिष्टै: सकुंकुमै:।
लिंग पर्याप्त मालिप्य कल्पकोटिं वसेद्दिवी॥

शिवलिंग के सुगन्धानुलेपन का महान फल होता है। सुगन्धानुलेपन के पुण्य से भी दुगना चन्दनानुपेलन का फल होता है। उससे आठ गुना अधिक पुण्य अगरू लेपन का होता है और उसमें भी कृष्णागरु का फल दोगुना होता है, इससे भी सौ गुना फल कुंकम के अनुलेपन का कहा जाता है। 

अत: शिवलिंग पर कुंकुम का अनुलेपन अवश्य करना चाहिए, इसमें कोई निषेध नहीं। चन्दन, अगरु, कृष्णागुरु, कर्पूर एवं कुंकुम से ​शिवलिंग का अनुलेपन करने वाला करोडों कल्प तक देवलोक में निवास करता है।

🔥नोट:-
केवल पारदलिङ्ग हेतु हरिद्रा का निषेध है। 

यथा-
नैवार्पणं कुर्यात हरिद्रा हिंगुल च वासवः।
रसलिङ्गं संततिः दद्याद् कुष्ठी वा हृदयार्णवः॥

सर्वे जना: सुखिनो भवन्तुः।
(साभार शास्त्री लखन पाल शर्मा)

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