Monday, 29 April 2024

साधना कैसे करें

🔥गोपनीयं प्रयत्नेन 

मेरे पास एक प्रश्न आया की कई वर्षो से साधना कर रहे हैं,पर सफलता क्यों नहीं मिलती?

मैंने विचार किया साधना में सम्पूर्ण परिश्रम के बाद भी सफलता न मिलने का एक बहुत कारण है।साधको की लापरवाही।

                     वस्तुत: नये साधकों में एक कमी नजर आती है जो पुराने साधको में नहीं थी इसीलिए वे सफल होते थे और आजकल सफलता कम हो गयी।वो कमी है गोपनीयता की।
स्मरण कीजिए कुंजिका स्तोत्र, शिव कहते हैं -: 🔥गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनीरीव पार्वती। (कुंजिका)

अर्थात इस विद्या को अपने गुप्तांग की भांति गुप्त रखनी चाहिए।
क्या केवल कुंजिका के लिए ऐसा कहा गया है? नहीं बल्कि प्रत्येक साधन को गुप्त ही रखना चाहिए।
इसीलिए कहा भी गया है -: 
🔥मौनम सर्वार्थ साधनम।।
दुर्गा तंत्र में भी आया है -:
🔥रहस्यं देवी दुर्गाया: गोपनीयं स्वयोनिवत। ( दु०60/33)
इतना गुप्त होना चाहिए साधन की अपनी छाया तक को पता न चले की हम क्या साधन कर रहे हैं।
पुराने आचार्य अपना भोजन पात्र जल पात्र आदि भी निजी रखते थे। यहाँ तक की परिवार के सदस्य से भी अलग।
साधना इतनी ही गुप्त होनी चाहिए। इसीलिए कहा गया है -: 
🔥नदी तीरे, विजने, वने, शिवालये, पर्वते वा।
वृक्ष मुळे सदा कार्या श्मशाने साधनं परम।।
अर्थात :- ऐसा गुप्त स्थल जहाँ कोई नहीं जा सके वही साधना करनी चाहिए।

सारांश :-ज़ब साधना में प्रवेश कीजिए, तो प्राय: प्रयास कीजिये जन सम्पर्क से दूरी बने। जितना हो सके उतना निजी बनिए। साधको और सिद्धों में यही अंतर है, सिद्ध अपना अनुभव लोक कल्याण के लिए प्रकशित करता रहे, और साधक अपना अनुभव सिर्फ गुरु से प्रकाशित करे वो भी संकेत में।
एक बार गुरु से मंत्र प्राप्त होने के पश्चात उस मंत्र को तथा देवता को गुरु से भी गुप्त रखे ऐसा तंत्र शास्त्र में निर्देश है -
🔥गुरुवेपी न दर्शयेत।(दु०५४/२४)

अपना आसन, साधना स्थल, साधन में प्रयोग होने वाला उपादान यथा, माला, मंत्र,देवता, ग्रन्थ, ईष्ट,स्तोत्र ये सब,अनुभव ये सब आपका निजी हो और गुप्त रहे।
जहाँ तक संभव हो साधना गुप्त स्थल पर करे, अन्यथा प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में करें ज़ब कोई न देखता हो।
ऐसा कहा गया है की अपनी साधना का प्रकाश मुमुक्षु जनों से भी न करे।
🔥यन्त्रं मन्त्रं च मालां च पंचांगं परमेश्वरी।
पुन: जातु शिवे शिष्यो गुरुवेपी न दर्शयेत।।
गुह्यातीगुह्य गुप्तं तु न प्रकाश्यं मुमुक्षुभी:।।(दु०26/27) 
शाक्ताचार परम गहन है अत: बड़ी सावधानी से चलना चाहिए।
🔥कौलाचारो परम गहनो योगी नाम अपी अगम्य:।।

:-आचार्य राजगौरव ठाकुर 
नोट:-यह पूजन स्थल पिंडी जो चित्र में दिख रहा है,हमारे क्षेत्र का कामाख्या स्थान कहा जाता है जो अत्यंत गुप्त तंत्र स्थल के रूप में विख्यात है।

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