ज्योतिष समाधान

Tuesday, 5 March 2024

होलीका दहन पर बन रहा विशेष योग सर्वार्थसिद्धि, और रवि योग में होगा दहन

 होलीका दहन पर बन रहा विशेष योग सर्वार्थसिद्धि, और रवि योग में होगा दहन
 होलिका दहन रविवार, 24 मार्च  2024 को
 बही दिन घोड़ी ,बही दिन गाय,
 बही दिन होली दियो जलाये
 गुरुदेव भुवनेश्वर जी महाराज पर्णकुटी आश्रम  ने बताया हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी.
होलिका दहन का समय 24 मार्च रविवार को रात्रि 11बजकर 14 मिनिट से 12बजकर 20मिनिट तक श्रेष्ठ है
होलिका दहन की अग्नि की लपटों की दिशा से अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरा साल व्यापार, शिक्षा, वित्त, कृषि, रोजगार आपदा, विपत्ति आदि के लिए कैसा रहने वाला है. क्योंकि होलिका दहन के समय हवा की दिशा से ही भविष्य में घटित होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं से संकेत मिल जाते हैं.

गुरुदेव भुवनेश्वर  पर्णकुटी वालो ने बताया कि जब होलिका की अग्नि सीधे आकाश की ओर उठे तो इसे सबसे अच्छा माना जाता है. इसका अर्थ यह होता है कि पूरा साल बढ़िया रहने वाला है. कुछ फेर-बदलाव देखने को मिल सकते हैं. लेकिन प्राकृतिक आपदा या जानमाल की हानि वाली घटनाएं कम होती है.
पूर्व दिशा: होलिका की लपटे यदि पूर्व दिशा की ओर चल रही हवा की ओर उठे तो ऐसा माना जाता है कि, इस साल धर्म, अध्यात्म, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उन्नति होने वाली है. स्वास्थ्य के लिहाज से भी इस दिशा में लपटों का उठना अच्छा माना जाता है.

पश्चिम दिशा: होलिका दहन की लपटे यदि पश्चिम दिशा की ओर उठे तो इससे पशुधन में लाभ, आर्थिक प्रगति का संकेत माना जाता है. लेकिन इससे कुछ प्राकृतिक आपदाओं के भी संकते मिलते हैं.

उत्तर दिशा: होलिका दहन की अग्नि अगर उत्तर दिशा की हवा की ओर उठे तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है. यह इस बात का संकेत है कि देश में आर्थिक प्रगति और सुख-शांति रहेगी. क्योंकि इस दिशा में भगवान कुबेर और अन्य देवी-देवताओं का वास होता है.

दक्षिण दिशा: इस दिशा में होलिका दहन की अग्नि का रुख करना बहुत ही अशुभ माना गया है. यदि होलिका की लपटे दक्षिण की हवा की ओर उठती है तो इससे अशांति, वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़े, आपराधिक मामले आदि बढ़ने की संभावना होती है.
आग्नेय दिशा में आगजनी कारक
नैऋत्य दिशा में फसल हानि
वायव्य- चक्रवात, पवनवेग
ईषान दिशा में अच्छी वर्षा की सूचक।
चारों दिशाओं में घूमने पर- संकट की परिचायक है

 गुरुदेव 

भुवनेश्वर 
पर्णकुटी आश्रम गुना 
9893946810

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