सिर पर गिरे बहुत सुख पावै।
औ ललाट ऐश्वर्य बढावै।।
कण्ठ मिलावै फिर को लाई।
कांधे पड़े विजय हो जाई।।
जुगल कान जो जुगल भूजाहू।
गोधा गिरे होय धन लाहू ।।
हाथन ऊपर जो कहु परई।
संपत्ति सकल गेह में भरई ।।
निश्चय पीठ परै सुख लावै ।
कांख गिरे प्रिय बंधु दिखावै ।।
कटि के परै वस्त्र बहुत रंगा।
गुदा परै मिल मित्र अभंगा ।।
जुगल जांघ पर आन जो परई।
धन इन सकल मनोरथ सरई ।।
जांघ परै नर होइ निरोगी ।
पर्व परै तन जीव वियोगी।।
यहि विधि पल्ली सरट विचारा ।
भड्डर कहते ज्योतिष सारा ।।
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