Thursday, 6 July 2023

मकर सक्रांति कब है 14 या 15 जनवरी को

मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज है. कोई 14 जनवरी की मकर संक्रांति बता रहा है तो कोई 15 जनवरी को. इस बारे में ज्योतिषाचार्य गुरुदेव श्रीभुवनेश्वरजी पर्णकुटी आश्रम गुना वालो ने जानकारी दी है कि मकर संक्रांति का पर्व किस दिन मनाया जाएगा.
इस साल मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज हैं.
कोई 14 जनवरी की मकर संक्रांति बता रहा है तो कोई 15 जनवरी को

ज्योतिषविद गुरुदेव श्री भुवनेश्वर जी पर्णकुटी वालो के मुताबिक,
 इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य ग्रह 14 जनवरी दिन शनिवार को धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे  सायंकाल  - 08:57 पर प्रवेश करेंगे.

इसलिए रविवार, 15 जनवरी को सुबह उदिया तिथि में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा.
मकर संक्रांति पर पुण्यकाल  15 जनवरी को
प्रातः 5 बजकर 43 मिनट से शाम 6 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
वहीं महा पुण्यकाल सुबह 5 बजकर 43 मिनट से 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
यह पर्व 15 जनवरी को पूरे दिन मान्य होगा.


दोपहर तक का समय स्नान, दान के लिए विशेष पुण्य फलदायक रहेगा
इस दिन नदी के तट पर स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करने का विधान है.
ऐसा करने से इंसान की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
साथ ही मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं और इसी से देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं.
मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है और शादी-विवाह जैसे शुभ व मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हट जाती है.

मकर संक्रांति पर राहु-शनि दोष एवं साढ़ेसाती के लिए
ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना जाता है.
शनि दोष से निवृत्ति के लिए मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल की खिचड़ी अवश्य दान करें.
ऐसा करने से निश्चित ही शनि दोष दूर होता है.
इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन तिल का भी दान कर सकते हैं‌.
ऐसी मान्यता है कि तिल के दान से भी शनि दोष दूर होता है.
मकर संक्रांति के दिन कंबल का दान भी बहुत फलदायी माना गया है.
इससे राहु दोष से मुक्ति मिलती है.

सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग व राजपद योग का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। चित्रा नक्षत्र, शश योग सुकर्मा योग, वाशी योग, सुनफा योग और बालव करण योग बनेगा. यह योग कई लोगों की किस्मत चमका देगा. इन योगों में शुभ कार्य, दान, पुण्य, तीर्थ यात्रा,
भागवत महापुराण करना किस्मत के बंद दरवाजे खोल देता है

मकर संक्रांति में तिल के प्रयोग का विशेष महत्व है। इस दिन तिल से उबटन, जल में तिल डालकर स्नान आदि अवश्य करना चाहिए।

इस दिन तिल - स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक रोगी नहीं होता है। इसी लिए निरोगी शरीर की कामना करने वालें मनुष्य को तिल के उबटन से सुबह अवश्य ही स्नान करना चाहिए। देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है। तिल युक्त जल पितरों को देना,अग्नि में तिल से हवन करना, तिल खाना खिलाना एवं दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। तिल के दान से आपकी कुंडली के कई दोष दूर होते है , विशेष रूप से कालसर्प योग, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या, राहु-केतु के दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन तिल के लड्डुओं के साथ हरे मूंग और चावल की खिचड़ी का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के पश्चात अपने पितरों को भी उनका स्मरण करते हुए तिलयुक्त जल देने से पितर प्रसन्न होते है एवं जातक पर उसके पितरों का सदैव शुभाशीष बना रहता है। इसी दिन राजा भागीरथी ने अपने पूर्वजों का तर्पण कर उनकी आत्माओं को तृप्त किया था । इस दिन पितरों के निमित किये गए तर्पण से पितर बहुत प्रसन्न होते है। उनके आशीर्वाद से जीवन में कोई भी संकट नहीं रहता है, हर तरह के सुखों की प्राप्ति होती है । मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर अपने सामने चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर सूर्यदेव का चित्र, प्रतिमा या सूर्य यंत्र स्थापित करें। इसके बाद सूर्यदेव का पंचोपचार पूजन करें और भगवान सूर्य देव को गुड़ का भोग लगाएँ। पूजन में लाल फूल का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे किसी भी मंत्र का कम से कम 5 माला जप अवश्य करें। मंत्र - ऊँ भास्कराय नम: ।। ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।। भगवान सूर्य कि सदैव कृपा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप प्रत्येक रविवार को अवश्य ही किया जाना चाहिए। ऐसा करने से यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य दोष है तो उसका प्रभाव भी कम होता है और शुभ फलों कि अवश्य ही प्राप्ति होती है।

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