Friday, 14 October 2022

दीपावली फेस्टिवल में कब मनाया जायेगा कौन-सा त्योहार

 जानें 5 दिनों चलने वाले दीपावली फेस्टिवल में कब मनाया जायेगा कौन-सा त्योहार

धनतेरस पूजा, शनिवार, 22 अक्टूबर, 2022

काली चौदस, रविवार, 23 अक्टूबर, 2022

लक्ष्मी पूजा, सोमवार, 24 अक्टूबर, 2022

नरक चतुर्दशी, सोमवार, 24 अक्टूबर, 2022

आंशिक सूर्य ग्रहण, 25 अक्टूबर, 2022

गोवर्धन पूजा, बुधवार, 26 अक्टूबर, 2022

भाई दुज, बुधवार, 26 अक्टूबर, 2022

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कार्तिक कृष्ण पक्ष१४सोमवार दि.२४-१०-२०२२तिथि मान२६-४५घट्यात्मक, 
अन्यत्र अक्षांशभेदेन२७-२१,घंटात्मक शाम ५-२२या फिर स्थानीय पंचाङ्ग अनुसार .
इसके उपरांत अमावश्या हस्त नक्षत्र१९-५०घट्यात्मक, घंटात्मक२बजकर४१ मि. तक

कार्तिक कृष्ण अमावस्या मंगलवार सूर्य ग्रहण भी है.
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ग्रहणस्पर्श काल४-३१और मोक्ष ५-५७है।सूतक समय १२ घंटे३०घटी पहले समय प्रातः काल ४-३० बजे से लग जायेगा ,ग्रहण का सभी स्थानों पर मोक्ष समय अधिकतम समय ६-४२तक दृश्य होगा। यह ग्रस्तास्त सूर्य ग्रहण है। 
दीवाली का पूजन चतुर्दशी सोमवार को शास्त्र सम्मत है
इस दिन प्रदोषकाल५-५८से८-३२तक अति शुभ है, 
बृषभ लग्न स्थिर राशि समय७-००बजे से८-५९बजे तक रहे गा 
 
दीपावली अमावस्या के बजाय चौदस को क्यों? 
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शास्त्र प्रमाण ..
आषाढ़ी श्रावणी चैव फाल्गुनी दीप मल्लिका ।
नंदा विद्धा न कर्तव्या कृते अर्थ क्षयो भवेत्।।
                                            धर्म सिंधु
नंदा पढ़वा को कहते हैं , इसदिन लक्ष्मी जी का पूजन होता है जो कि धन की देवी हैं ,

दीपोत्सव वेलायां प्रति पद्विद्यते यदि ।
सा तिथि विवुधै त्याज्या यथा नारी रजश्वला।।
ऐसा धर्म सिंधु ग्रंथ में लेख है ।

पढ़वा मिली अमावस्या रजश्वला स्त्री की भाँति अशुद्ध है जैसे कि कि चार दिवस स्त्री शास्त्र रीति से त्यागने योग्य है।
प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ग्रहण करना है प्रदोषे दीपदानलक्ष्मीपूजनादि विहितम्।।

पूर्वत्रैव प्रदोष व्याप्तौ (ग्राह्या )लक्ष्मी पूजनादौ पूर्वा,,

प्रदोषकाल व्यापिनी यदि साढ़े तीन पहर है तो पूजन अमावस्या में ही होता है चतुर्दशी तिथि में नहीं।

इससे कम के वेधमें चतुर्दशी युक्त में पूजन करें।

विशेष बात......?
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 इस दिन स्वाती नक्षत्र का बढ़ा महत्व है जो कि इस बार मिलना स़भव नहीं है।,,,

चतुर्दश्यादि दिनत्रयेsपिदीपावलिसंज्ञके यत्रयत्राधन्हि स्वाति नक्षत्र योगस्तस्य प्राशस्त्यम्।।

धन तेरस दो दिन प्रदोषकाल में है तब दूसरी लेना ,इस नियम से 23-10-2022को है।
नरक चतुर्दशी दीपावली के साथ ही,, दीपावली पूजन से पूर्व, 
अभ्यंग स्नान नरक निवृत्तित हेतु तिल तेल का बना उवटन सूर्योदय पूर्व लगाकर स्नान ब्रह्म मुहूर्त में २४-१०-२०२२को,करें।
गौ पूजन रात्रि में लक्ष्मी पूजन के वाद
गोक्रीढ़न अमावस्या को प्रातः काल२५-१०-२०२२
भावी इन्द्र दैत्यराज बलि पूजन भी इसी दिन होती है यह दोनों सूतक रहित शुद्ध समय में शास्त्रीय नियमानुसार अन्न कूट, गोवर्धन पूजा, के साथ २६-१०-२०२२को होगी।
यम द्वितीया भाई दोज दि. २७-१०-२०२२को शास्त्रोक्त है। जयश्रीमन्नारायण

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