【1】ध्वजा रोहण मुहूर्त
【1】कूर्म चक्र
बर्तमान तिथि को पांच से गुणा करके ,कृतिका नक्षत्र से लेकर दिन नक्षत्र की संख्या को मिलाये तथा उसमें 12 जोड़कर 9 का भाग देवे 1,4,7, बचे तो कुर्मबास जल में श्रेष्ठ
2,5,8, बचे तो स्थल में वास हानि कारक 3,6,,9,बचे तो आकाश में मृत्यु कारक
【2】स्तम्भ चक्र
【3】शिवबास
【4】ध्वजा रोहण के भूमि शयन,रुदन रजस्वला भूमि हास्य
【1】भूमि शयन
आपको सूर्य संक्रांति समझ मे आ गयी हैं तो किसी भी महीने की सूर्य संक्रांती से 5, 7, 9, 15, 21 या 24 वे दिन को भू शयन माना
अथवा
सूर्य जिस नक्षत्र पर हो उस नक्षत्र से आगे गिनने पर 5, 7,9, 12, 19, 26 वे नक्षत्र मे पृथ्वी शयन होता हैं ।
इस तरह से यह भी काल सही नही हैं ।
【2】भू रुदन :-
हर महीने की अंतिम घडी,
वर्ष का अंतिम् दिन,
अमावस्या,
हर मंगल वार को भू रुदन होता हैं ।
अतः इस काल को शुभ कार्य भी नही लिया जाना चाहिए । यहाँ महीने का
【3】भू हास्य :-
तिथि मे पंचमी ,दशमी ,पूर्णिमा ।
वार मे – गुरु वार ।
नक्षत्र मे – पुष्य, श्रवण
【4】भू रजस्वला
सूर्य संक्रांति को एक मान कर गिना जाए तो 1, 5, 10, 11, 16, 18, 19 दिन भू रजस्वला होती हैं ।
।। हरि ॐ ।।
💐 वास्तुमुहूर्त अध्याय टिप्पणी 💐
कलश चक्र: (प्रवेश हेतु)
सूर्यनक्षत्र से चंद्र नक्षत्र तक गिनतियाँ करते हुवे प्रथम पाँच नक्षत्र नेष्ट
एवं
चौदवे नक्षत्र से एकीसवे नक्षत्र तक के आठ नक्षत्र नेष्ट
बाकी के नक्षत्र श्रेष्ठ माने गये हैं।
शास्त्रार्थ:
" संग्राम ख़िल दुर्ग, शैल, नगर, प्रासाद देवालय।
क्षेत्राराम, गृहप्रवेश, समये, ज्ञेयं हि चक्रं मिद्दम ।।"
अर्थात : घर के प्रवेशमें, किल्ला प्रवेशमें, गाँव या नगर प्रवेशमें, राजमहल - गुफ़ा प्रवेशमें, देवालय - मंदिर भगवान के प्रवेशमें, बाग़- बग़ीचे एवं तीर्थ प्रवेश में कलशचक्र अवश्य देखें।
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स्तंभचक्र:
सूर्य के नक्षत्र से दिन नक्षत्र तक गिनतियाँ करते हुवे प्रथम दो नक्षत्र अशुभ,
बाद के २० नक्षत्र शुभ एवं
अंत के ६ नक्षत्र अशुभ होते हैं।
(यहाँ अभिजीत सहित गणना करें)
स्तंभ मुहूर्त:
गृहारंभ के मासादि में कुर्मचक्र शुद्धि देखकर स्तंभपूजन पश्चात स्तंभ अग्निकोण में स्थापित करते हुवे अन्य स्तंभ स्थापित करें
【5】यज्ञ शाला निर्माण मुहूर्त
【6】प्रथम स्तम्भ स्थापन दिशा
【7】 यज्ञ मण्डप लाने का मुहूर्त
【8】मूर्ती लेने जाने के लिये मुहूर्त
【9】प्रतिष्ठा के लिये मूर्ती लाने का नगर प्रवेश मुहूर्त
【10】लग्न अनुसार देव प्रतिष्ठा मुहूर्त
【11】यज्ञ प्रारम्भ मुहूर्त
【12】कलश यात्रा मुहूर्त
【13】 हवन के लिये अग्निवास मुहूर्त
【14】 हवन के लिये ग्रह मुख आहुति मुहूर्त
【15】 हवन प्रारंभ चोघड़िया मुहूर्त
【17】यज्ञ मे गणेश पूजन हेतु मुहूर्त
बर्ष मासो दिनं लग्नं मुहूर्तश्चेति पञ्चकम्।
कालस्यांगानि मुखयानि प्रबलान्युत्तरोतरम्॥
लग्नं दिनभवं हन्ति मुहूर्तः सर्वदूषणम्।
तस्मात् शुद्धि मुहूर्तस्य सर्व कार्येषु शस्यते॥”
”वर्ष का दोष श्रेष्ठ मास हर लेता है,
मास का दोष श्रेष्ठ दिन हरता है,
दिन का दोष श्रेष्ठ लग्न
व लग्न का दोष श्रेष्ठ मुहूर्त हर लेता है,
अर्थात
मुहूर्त श्रेष्ठ होने पर
वर्ष, मास, दिन व लग्न के समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं।
【8】
【9】
【10】
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