Monday, 28 March 2022

चैत्र नवरात्र महूर्त विश्लेषण पर्णकुटी गुना

गुड़ी पड़वा में ‘गुड़ी’ शब्द का अर्थ ‘विजय पताका’ और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि से है। साथ ही चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा पर्व के मौके पर प्रत्येक घर में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है और लोग हर्ष उल्लास के साथ इसे मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन अपने घर को सजाने और गुड़ी फहराने से घर में सुख समृद्धि आती है और बुराइयों का नाश होता है। 
इस पर्व पर सूर्य देव की विशेष आराधना भी की जाती है। लोग सूर्य उपासना करके आरोग्य और सुख- समृद्धि की कामना करते हैं।
आपको बात दें कि गुड़ी पड़वा के त्योहार पर लोग पूरन पोली बनाते हैं जो  परिवार के लोग इसे एक साथ बैठकर खाते हैं।
आपको बता दें कि गुड़ी पड़वा पर नीम की पत्तियों को खाने की परंपरा है।
ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की। यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं।
महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वारा इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की गई थी।
इसी कारण हिन्दू पंचांग का आरंभ भी गुड़ी पड़वा से ही होता है। (पंचांग) के ये पांच प्रमुख अंग हैं- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण (तिथि का आधा भाग)। पंचांग के माध्यम से समय के विभिन्न अंगों का अध्ययन और विश्लेषण करके यह जाना जाता है कि किस कार्य को करने के लिए कौन सा दिन सही है।नव-संवत्सरोत्सव में काल (समय) का, उसके विभिन्न अंगों- वर्ष, मास, तिथि, वार, नक्षत्र आदि के साथ पूजन करने का उद्देश्य समय की महत्ता को समझाना है। 

हिन्दुओं में पूरे वर्ष के दौरान साढ़े तीन मुहूर्त बहुत शुभ माने जाते हैं।
ये साढ़े तीन मुहूर्त हैं–
गुड़ी पड़वा,
अक्षय तृतीया,
दशहरा
और दीवाली, दिवाली को आधा मुहूर्त माना जाता है 

राजा शनि

दुर्भिक्ष मरकं रोगान करोति पवनं तथा ।

शनैश्चराब्दो दोषाश्च विग्रहांश्चैव भूभुजम् ।।

शनि के वर्ष में उपद्रव, युद्ध, दंगे, मारकाट का वातावरण तैयार होता है। अनेक देशों में परस्पर तनाव व टकराव होता है। जनहानि व दुर्भिक्ष होते हैं। तूफान से जनधन हानि, कम वर्षा या वर्षा के साथ तेज हवाएं चलती हैं। पेयजल से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राजनैतिक मतभेद सामान्य रहता है। न्याय तथा कार्यप्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन होगा। मौद्रिक नीति में परिवर्तन होगा। महंगाई बढ़ेगी। उड़द, कोयला, लकड़ी, लोहा, कपड़ा, स्टील महंगे होंगे।

मंत्री बृहस्पति

विविध दान्ययुता खलु मेदिनि प्रचुरतोयधनामुदिता भवेत ।

नृपतयो जन लालन तत्परा: सुरगुरौ खलु मंत्रिपदान्विते ।।

देवगुरु बृहस्पति के मंत्री होने से सभी प्रकार के अनाजों की अच्छी पैदावार, खूब वर्षा, शासन की लोकभाव नीतियों के कारण सर्वत्र प्रसन्नता रहती है। किंतु राजा शनि होने से उपरोक्त फलों में न्यूनता समझनी चाहिए।

 किस दिन घटस्थापना होने से किस बाहन पर आती है
 देवी जी
शशिसुर्ये गजारूढा ,शनिभोमे तुँरगमे ।
गुरू शुक्रो च दोलायाँ- बुधे नौका प्रकीर्तिता ।।

1सोमवार रविवार को हाथी पर
2शनिवार मंगलवार को घोड़े पर
3गुरुवार शुक्रवार को खटोला यानी डोली पर
4 बुधवार को नोका पर

बाहन पर आने का फल
गजे च जलदा देवी , छत्र भँग तुरँगमे ।
नौकायाँ सर्व सिद्धिस्यात दोलायाँ मरणँ धुव्रम ।।

रविवार और सोमवार को आगमन( नवरात्र शुरू होने का दिन) होता है तो वाहन हाथी है 
जो जल की वृष्टि कराने वाला है ,

शनिवार और मँगल वार को आगमन होता है तो राजा और सरकार को पद से हटना पड सकता है ,

गुरूवार और शुक्रवार को आगमन हो तो दोला ( खटोला ) पर आगमन होता है जो जन हानि , 
ताँडव , रक्तपात होना बताता है ,

बुधवार को आगमन हो तो देवी नोका ( नाव ) पर आती है तब भक्तो को सभी सिद्धि देती है ।
इस दिन इंद्र योग, अमृत सिद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. गुड़ी पड़वा पर इंद्र योग सुबह 08:31 मिनट तक है. फिर इसके बाद अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग 1 अप्रैल से सुबह 10:40 मिनट से 02 अप्रैल को सुबह 06:10 मिनट तक है.

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