Monday, 19 February 2024

नवग्रहों का शरीर पर प्रभाब

*ग्रहों का शरीर पर प्रभाव और होने वाले रोग नवग्रहों के प्रकोप से आपको होती हैं गंभीर बीमारियां*

कई बार आप बीमार पड़ते हैं और लगातार इलाज के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो कई बार आपकी बीमारी डॉक्टर की समझ से भी बाहर होती है। यह सब ग्रहों के प्रकोप के कारण होता है। प्रत्येक ग्रह का हमारी धरती और हमारे शरीर सहित मन- मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते हमें सामान्य या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। सतर्क रहकर हम कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं। यहां आप विभिन्न ग्रहों के प्रभाव से होने वाली बिमारियों के बारे में जान सकते हैं

 ● *सूर्य*

• दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।
• सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है।
• मुंह में थूक बना रहता है।
• व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है।
• दिल का रोग हो जाता है। 
• मुंह और दांतों में तकलीफ होती है।
• सिरदर्द बना रहता है।

_सूर्य ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• इलाइची, केसर एवं गुलहठी, लाल रंग के फूल मिश्रित जल द्वारा स्‍नान करने से सूर्य के दुष्‍प्रभाव कम होत

● *चंद्रमा*

• चन्द्रमा मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है।
• मिर्गी का रोग।
• पागलपन।
• बेहोशी।
• फेफड़े संबंधी रोग।
• मासिक धर्म की गड़बड़ी।
• याददाश्त कमजोर होना। 
• मानसिक तनाव और घबराहट।
• तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय।
• सर्दी-जुकाम बना रहना।
• मन में बार-बार आत्महत्या का विचार आना।

_चंद्र ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• सफेद चंदन, सफेद फूल, सीप, शंख और गुलाब जल मिश्रित पानी से नहाने से आपकी राशि पर चंद्र के दुष्‍प्रभाव कम होते

● *मंगल*

• आंख के रोग
• हाई ब्लड प्रेशर
• वात रोग
• गठिया
• फोड़े-फुंसी होना।
• चोट लगना।
• बार-बार बुखार।
• शरीर में कंपन।
• गुर्दे में पथरी हो जाती है।
• शारीरिक ताकत कम होना।
• रक्त संबंधी बीमारी।
• बच्चे पैदा करने में तकलीफ। 

_मंगल ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

 • लाल चंदन, लाल फूल, बेल वृक्ष की छाल, जटामांसी, हींग मिश्रित जल से नहाने से मंगल ग्रह के दुष्‍परिणों को भी कम किया जा सकता है।

● *बुध*

• तुतलाहट
• सूंघने की शक्ति क्षीण होना
• दांतों का खराब होना
• मित्र से संबंधों का बिगड़ना
• अशुभ हो तो बहन, बुआ और मौसी पर विपत्ति आना
• नौकरी या व्यापार में नुकसान होना
• सेक्स पावर कम होना।
• व्यर्थ की बदनामी।

_बुध ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• अगर आप चाहते हैं कि आप पर बुध की कृपा दृष्टि बनी रहे तो आपको अपने स्‍नान के जल में अक्षत, जायफल, गाय का गोबर मिश्रित करके स्‍नान करना होगा।

● *गुरु*

• इससे श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द होता है
• कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द भी होने लगता है
• इसके अलावा गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ युति अनुसार भी बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी आदि

_गुरु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• सफेद सरसों, दमयंती, गूलर और चमेली के फूल मिलाकर स्‍नान करने से आप पर गुरु के दुष्‍प्रभावों का असर बहुत कम होता है

● *शुक्र*

• शरीर में गाल, ठुड्डी और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है
• वीर्य की कमी हो जाती है। कोई यौन रोग हो सकता है या कामेच्छा समाप्त हो जाती है
• लगातार अंगूठे में दर्द 
• त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होना
• अंतड़ियों के रोग
• गुर्दे में दर्द
• पांव में तकलीफ आदि

_शुक्र ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• शुक्र को आपके वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। शुक्र को खुश रखने से आपका वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है। इसके लिए बस आपको अपने स्‍नान के जल में जायफल, मैनसिल, केसर, इलाइची और मूली के बीज मिलाकर नहाना होगा। ऐसा करने से शुक्र ग्रह के दुष्‍प्रभाव दूर हो सकते हैं।

● *शनि*

• शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भौंह और कनपटी से होता है
• समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भौंह के बाल झड़ जाते हैं
• कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है
• सिर के बाल समय पूर्व ही झड़ जाते हैं
• सांस लेने में तकलीफ
• हड्डियों की कमजोरी के कारण जोड़ों का दर्द पैदा हो जाता है
• रक्त की कमी
• पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना
• सिर की नसों में तनाव
• अनावश्यक चिंता और घबराहट का बढ़ना 

_शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• शनि को न्‍याय के देवता का सम्‍मान प्राप्‍त है। यह व्‍यक्ति को उसके कर्म के अनुरूप परिणाम देते हैं। अत: हमको अपने कर्म तो दुरुस्‍त रखने ही चाहिए साथ ही कुछ विशेष चीजों को स्‍नान के जल में मिलाकर नहाने से आप शनि के दुष्‍प्रभावों से दूर रह सकते हैं। इन चीजों में सरसों, काले तिल, सौंफ, लोबान, सुरमा, काजल आदि शामिल हैं। 

● *राहु*

• गैस की परेशानी
• बाल झड़ना
• पेट के रोग
• बवासीर
• पागलपन
• निरंतर मानसिक तनाव
• नाखूनों का टूटना

_राहु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• इसके लिए आप स्‍नान औषधि के रूप में लोबान, कस्‍तूरी, गजदंत आदि सामग्री से मिश्रित जल से स्‍नान करके राहु की पीड़ा को दूर कर सकते हैं।

● *केतु*
• संतान उत्पति में रुकावट
• सिर के बाल का झड़ना
• शरीर की नसों में कमजोरी
 • चर्म रोग होना
• कान खराब होना या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ना
• कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या

_केतु ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_

• लाल चंदन और छाग मूत्र मिश्रित जल से स्‍नान करके आप केतु के दुष्‍प्रभावों को अपने आप खत्‍म कर देंगे।

यदि अज्ञानवश कोई त्रुटि हो तो कृप्या अवगत कराते हुए क्षमा करें l

Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti guna
9893946810

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