Monday, 10 January 2022

रिस्तेदारो से भी भाग्य में अड़चन आती है

कुंडली के बारह भावों मे छुपे रिश्ते :

कुंडली के बारह भावों की विवेचना कर आप जान सकते हैं कि प्रत्येक भाव किसी न किसी रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है तथा प्रत्येक ग्रह इंसानी रिश्तों से संबंध रखता है और यदि कुंडली में कोई विशेष ग्रह कमजोर हो तो उस ग्रह से संबंधित रिश्तों को मजबूत करके भी ग्रह को दुरुस्त किया जा सकता है। आइए देखें कैसे - 

1. सूर्य : यह‍ पिता का प्रतिनिधि है। यह राज्य का भी प्रतिनिधि है। सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए पिता, ताऊ से रिश्ते मजबूत रखना चाहिए। 

2. चंद्र : यह माँ का प्रतिनिधि है। माँ से रिश्ते मजबूत होने पर चंद्रमा स्वयं मजबूत होता है और जीवन में संघर्ष कम हो जाता है। 

3. मंगल : यह भाई-बहनों का प्रतीक है। यह ऊर्जा व आत्मविश्वास का ग्रह है। अत: इसका प्रबल होना जरूरी है। अत: भाई-बहनों से संबंध दुरुस्त रखें। 

4. बुध : यह मामा, मौसी, नानी (ननिहाल) का प्रतिनिधि है। बुध अभिव्यक्ति का कारक है। अत: जिन लोगों को ननिहाल का स्नेह मिलता है, उनका बुध मजबूत होता है। बहन,भुवा,बेटी,मौसी,साली भी बुद्ध ही है 

5. गुरु : यह शिक्षक, बुज़ुर्ग, ताऊ, चाचा, गुरु का प्रतिनिधि है। गुरु ज्ञान का कारक है अत: शिक्षक का स्नेह जीवन की दिशा बदल सकता है। यह गुरु स्त्री की कुंडली में पति का भी कारक होता है। 

6. शुक्र : शुक्र से स्त्री का विचार किया जाता है। कला में वृद्धि के लिए शुक्र की प्रबलता जरूरी है। अत: स्त्री का मान-सम्मान करने से शुक्र मजबूत होता है। 

7. शनि : यह सेवकों-नौकरों का प्रतिनधि है। शनि का प्रबल होना जीवन में सफलता दिलाता है। अत: नौकरों अधीनस्थों से योग्य व्यवहार रखना चाहिए। 

8. राहु-केतु : राहु से दादा, नानी  व केतु से नाना, दादी का विचार किया जाता है। 

विशेष : यदि बचपन से ही रिश्तों में स्नेह सौहार्द्र बनाकर रखा जाए तो ग्रह स्वयं ही मजबूती पाने लगते हैं।

ग्रह नक्षत्र हमारे आपसी रिश्पर क्या प्रभाव डालते हैं, इस संबंध में लाल किताब में बहुत ‍कुछ लिखा हुआ है। लाल किताब अनुसार प्रत्येक ग्रह हमारे एक रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है अर् कुंडली में जो भी ग्रह जहाँ भी स्थित है तो उस खाने अनुसार वह हमारे रिश्तेदार की स्थिति बताता है। 

1. सूर्य : पिता, ताऊ और पूर्वज। 
2. चंद्र : माता और मौसी। 
3. मंगल : भाई और मित्र। 

4. बुध : बहन, बुआ, बेटी, साली और ननिहाल पक्ष। 

5. गुरु : पिता, दादा, गुरु, देवता। स्त्री की कुंडली में इसे पति का प्रतिनिधित्व प्राप् 
6. शुक्र : पत्नि या स्त्री। 

7. शनि : काका, मामा, सेवक और नौकर। 
8. राहु : साला और ससुर। हालाँकि राहु को दादा का प्रतिनि‍धित्व प्राप्त है। 
9. केतु : संतान और बच्चे। हालाँकि केतु को नाना का प्रतिनि‍धी माना जाता है। 

ठीक इसके विपरीत लाल किताब का विशेषज्ञ रिश्तेदारों की स्थिति जानकर भी ग्रहों की स्थिति जान सकता है। ग्रहों को सुधारने के लिए रिश्तों को सुधारने की बात कही जाती है अर्थात् अपने रिश्ते प्रगाढ़ करें। 

प्रथम भाव :  
स्वयं, नाना, दादी, 

द्वितीय भाव: 
, पिता की बड़ी भाभी (बड़ी ताई), पिता की बड़ीबहन के पति (बड़ेफूफा),माँ के बड़े भाई(बड़ेमामा)या माँ की बड़ी बहन(बड़ी मौसी),

तृतीया भाव :  छोटे भाई बहन, पिता की चाची,

चतुर्थ भाव :  माता,ससुर,

पंचमभाव :  संतान, बड़ी बहन के पति, बड़े भाई की पत्नी भाभी, पिता की बड़ीमामी, माता के बड़े मामा,बड़े साले जी 

छठा भाव : 
ननिहाल, माँ के छोटे भाई (छोटे मामा), शत्रु, या माँ की छोटी बहन (छोटी मौसी), चाची,  छोटे फूफा जी 

साँतवा भाव :  पत्नी, दादा, नानी, दूसरी संतान 

आंठवा भाव :  बड़े मामा की पत्नी (बडी मामी), पत्नी के बड़े मामा, , पिता की बड़ी बहन या भाई, ,माँ के बड़े भाई की पत्नी य या माँ की बड़ी बहन के पति (बड़ेमौसाजी)

नवम भाव:  परदादा, छोटे भाई की पत्नी, छोटी बेहेन का पति, छोटा साला, तीसरी संतान, 

दशम भाव :  पिता, सास 

एकादश भाव :  बड़ी बहन, बड़ा भाई, पिता के बड़े मामा, 

द्वादश भाव:  पिता से छोटे भाई बहन (चाचा और बुवा) छोटी मामी, छोटे मौसा, 

अंतत: यह माना जा सकता है कि कुंडली का प्रत्येक भाव किसी न किसी रिश्ते का प्रतिनिधित्व करता है तथा प्रत्येक ग्रह मानवीय रिश्तों से संबंध रखता है। यदि कुंडली में कोई ग्रह कमजोर हो तो उस ग्रह से संबंधित रिश्तों को मजबूत करके भी ग्रह को दुरुस्त किया जा सकता है। 

दूसरी ओर ग्रहों को मजबूत करके भी किसी रिश्तों को मजबूत तो किया ही जा सकता है। साथ ‍ही वे रिश्तेदार भी खुशहाल हो सकते हैं, जैसे कि बहन को किसी भी प्रकार का दुख-दर्द है तो आप अपने बुध ग्रह को दुरुस्त करने का उपाय करें।
Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti guna
9893946810

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