प्रेत बाधा निवारक मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी यक्षणी पूतना मारी महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम् क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर हुं फट् स्वाहा। इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से कभी भूत निकट नहीं आ सकते।
आप ऊपरी बाधा हटाने के उपाय के अंतर्गत ये उपाय करना न भूलें| काली सरसों, काले बकरे का दायाँ सींग, सर्प की केंचुली, गुग्गुल, नीम के पत्ते, अपामार्ग के पत्ते और बच को लेकर अच्छे से कूट पीस लें| इस चूर्ण को जलते कंडे पर डालकर धूनी करें और पीड़ित व्यक्ति को धूनी दें| ऐसा करने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है|
| आप 5 ग्राम कपूर, 5 ग्राम काली मिर्च और 5 ग्राम हींग ले लें| इसको पीसकर इसका पाउडर बनायें और फिर इसकी छोटी छोटी गोलियां बना लें| इन गोलियों को 2 बराबर भागों में बाँट दें और फिर एक हिस्से को सुबह और दूसरे को शाम को घर में जलाएं|
शनिवार के दिन इस प्रयोग को करें| इस दिन काले धतूरे की जड़ लेकर आयें और पीड़ित की भुजा पर बांध दें| ऐसा करने से भूत, प्रेत और पिशाच उसका पीछा करना छोड़ देंगे| यदि पीड़ित स्त्री है तो जड़ को उसकी बायीं भुजा में बांधना चाहिए, यदि वह पुरुष है तो उसे उसकी दाहिनी भुजा में बांधना चाहिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
तू है वीर बड़ा हनुमान |
लाल लंगोटी मुख में पान |
ऐर भगावै |
बैर भगावै |
अमुक में शक्ति जगावै |
रहे इसकी काया दुर्बल |
तो माता अंजनी की आन |
दुहाई गौरा पार्वती की |
दुहाई राम की |
दुहाई सीता की |
ले इसके पिण्ड की खबर |
ना रहे इसमें कोई कसर |
यदि कोई अकारण ही दुर्बल होता जा रहा हो और कारण समझ में नहीं आये तो इस मंत्र का 7 बार जाप करते हुए प्रत्येक मंत्र के बाद रोगी पर फूँक लगाए और यही रोगी स्वयं करता है तो रोगी खुद को फूक लगाए इसके साथ ही रोगी को हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा से उनके चरणों का सिन्दूर लाकर तिलक भी करें | रोगी किसी भी रोग से पीड़ित हो उसे स्वास्थ्य लाभ अवश्य मिलेगा ||
Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti guna
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