Saturday, 10 April 2021

किस भाव से क्या देखे कुंडली परिक्षण

कुंडली के सभी बारह भावों से जीवन के विभिन्न विषयों की जानकारी ली जा सकती है। इसका विस्तार में वर्णन निम्नलिखित हैं-

प्रथम भाव (लग्न भाव)


प्रथम भाव से निम्नलिखित विषयों का विचार किया जाता है-

देह, तनु, शरीर रचना, व्यक्तित्व, चेहरा, स्वास्थ्य, चरित्र, स्वभाव, बुद्धि, आयु, सौभाग्य, सम्मान, प्रतिष्ठा और समृद्धि।

द्वितीय भाव (धन / कुतुम्ब भाव)


संपत्ति, परिवार, वाणी, दायीं आंख, नाखून, जिह्वा, नासिका, दांत, उद्देश्य, भोजन, कल्पना, अवलोकन, आभूषण, कीमती पत्थर, अप्राकृतिक मैथुन, ठगना और जीवनसाथियों के बीच हिंसा।

तृतीय भाव (पराक्रम / सहोदर भाव)


छोटे भाई और बहन, सहोदर भाई बहन, संबंधी, रिश्ते, पड़ोसी, साहस, निश्चितता, हमुरी, सीना, दाएं कान, हाथ, लघु यात्राएं, नाड़ी तंत्र, संचरण, संप्रेषण, लेखन, पुस्तक लेखन, समाचार पत्रों की सूचना, संवाद इत्यादि लिखें, शिक्षा, बुद्धि इत्यादि।

चतुर्थ भाव (सुख / मातृ भाव)


माता, संबंधी, वाहन, घरेलू वातावरण, सौन्दर्य, भूमि, आवास, शिक्षा, जमीन-जायदाद, वंशावली प्रकृति, जीवन का उत्तरार्ध भाग, छिपा हुआ, गुप्त प्रेम संबंध, सीना, वैवाहिक जीवन में ससुराल पक्ष और परिवार के हस्तक्षेप, गहने, कपड़े।

पंचम भाव (संतान / शिक्षा भाव)


संतान, बुद्धि, प्रसिद्धि, श्रेणी, उदर, प्रेम संबंध, आनंद, मनोरंजन, सट्टा, पूर्व जन्म, आत्मा, जीवन स्तर, पद, प्रतिष्ठा, कलात्मकता, हृदय, पीठ, खेल में निपुणता, प्रतियोगिता में सफलता।

षष्ठ भाव (रिपु भाव)


रोग, ऋण, विवाद, अभाव, अंक, मामा, मामी, शत्रु, सेवा, भोजन, कपड़े, चोरी, बदनामी, पालतू पशु, सरकारी कर्मचारी, मनोहर कर्मचारी, कमर

सप्तम भाव (कलत्र भाव)


पति / पत्नी का व्यक्तित्व, जीवनसाथी के साथ संबंध, इच्छाएं, काम शक्ति, साझेदारी, प्रत्यक्ष श्रतु, मुआवजा, यात्रा, कानून, जीवन के लिएone, विदेशों में प्रभाव और प्रतिष्ठा, जनता के साथ संबंध, यौन रोग, मूत्र रोग।

अष्टम भाव (आयु / मृत्यु भाव)


आयु, मृत्यु का प्रकार अर्थात मृत्यु कैसे होगी, जननांग, बाधाएं, दुर्घटना, आकस्मिक की संपत्ति, विरासत, बपति, पैतृक संपत्ति, वसीयत, पेंशन, परिधान, चोरी, डकैती, चिंता, रूकावट, युद्ध, शत्रु, विरासत में मिला धन, मानसिक वेदना, वैवाहिक जीवन।

नवम भाव (भाग्य / धर्म भाव)


सौभाग्य, धर्म, चरित्र, दादा-दादी, लंबी यात्राएं, पोता, बुजुर्गों और देवताओं के प्रति श्रद्धा व भक्ति, आध्यात्मिक उन्नति, स्वप्न, उच्च शिक्षा, पत्नी का छोटा भाई, भाई की पत्नी, तीर्थयात्रा, दर्शन, संपर्क से संपर्क करें।

दशम भाव (कर्म भाव)


व्यवसाय, कीर्ति, शक्ति, अधिकार, नेतृत्व, अधिकार, सम्मान, सफलता, रूतबा, स्नेह, चरित्र, कर्म, उद्देश्य, पिता, मालिक, नियोजक, अधिकारी, अधिकारियों से संबंध, व्यापार में सफलता, नौकरी में तरक्की, सरकार से सम्मान।

एकादश भाव (लाभ भाव)


लाभ, समृद्धि, कामनाओं की पूर्ति, मित्र, बड़ा भाई, तखने, बायां कान, परामर्शदाता, प्रिय, रोग मुक्ति, प्रत्याशा, पुत्रवधू, इच्छाएं, कार्यों में सफलता।

द्वादश भाव (व्यय भाव)


हानि, दण्ड, कारावास, व्यय, दान, विवाह, जलाश्रयों से संबंधित कार्य, वैदिक यज्ञ, अदा किया गया, विवाहेत्तर काम क्रीड़ा, काम क्रीड़ा और यौन संबंधों सेtyन्न रोग, काम क्रीड़ा, कमजोरी, शयन सुविधा, ऐय्याशी, भोग विलास , पत्नी की हानि, शादी में नुकसान, नौकरी छूटना, अपने लोगों से सिपाही, संबंध विद्या, लंबी यात्रा, विदेश में सुरक्षा।

Gurudev  bhubneshwar

Parnkuti guna

9893946810

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