नवरात्र की पूजा में सबसे महत्वपूर्ण कलश स्थापना को माना जाता है। शास्त्रों में कलश स्थापित करने को गणेशजी का स्वरूप माना गया है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना इसलिए की जाती है ताकि गणेशजी की कृपा से नवरात्र के 9 दिन बिना किसी विघ्न बाधा के पूजा के कार्य संपन्न हो सकें। कलश भगवान गणेश का स्वरूप है जिसमें सभी तीर्थ, समुद्र, पवित्र नदियों, वरुण सहित अनेक देवताओं का वास होता है। वैदिक परंपरा के अनुसार कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री में 7 प्रकार के अनाजों भी शामिल किया गया है। इसे सप्त धान्य भी कहा जाता है। इन 7 प्रकार के अनाज का संबंध 7 ग्रहों से माना जाता है। कलश स्थापना में इसका प्रयोग करके सभी ग्रहों की शांति का आह्वान किया जाता है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये 7 प्रकार के अनाज…
2/8पहला अनाज जौ
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नवरात्र की पूजा में जौ का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। जौ का संबंध बृहस्पति ग्रह से माना गया है। जौ के प्रयोग से आपका गुरु बलवान होता है और आपके गुरु के बलवान होने से करियर, रुपये-पैसे और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
3/8दूसरा अनाज सफेद तिल
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कलश स्थापना के लिए प्रयोग होने वाले 7 अनाज में से सफेद तिल भी एक है। सफेद तिल को शुक्र से जोड़कर देखा जाता है। शुक्र के मजबूत होने से आपके भौतिक सुखों में वृद्धि के साथ दांपत्य जीवन में भी मधुरता बनी रहती है।
4/8तीसरा अनाज धान
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कलश स्थापना के लिए प्रयोग होने वाले 7 अनाज में धान तीसरे स्थान पर है। धान का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। हवन आदि पूजा में धान का प्रयोग करने से आपका चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा के मजबूत होने से व्यक्ति सर्दी, जुकाम के साथ अन्य मौसम जनित बीमारियों से दूर रहता है। वहीं चंद्रमा अपने स्वभाव के अनुरूप व्यक्ति के क्रोध को कम करता है।
5/8चौथा अनाज मूंग
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मूंग का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को रूप, गुण, बुद्धि और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। कलश स्थापना में मूंग को शामिल करना जरूरी माना जाता है।
6/8पांचवां अनाज मसूर
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कलश स्थापना के लिए पांचवें अनाज के रूप में मसूर का प्रयोग किया जाता है। मसूर का संबंध उग्र ग्रह माने जाने वाले मंगल से होता है। मसूर को पूजा में शामिल करने से मंगल के दुष्प्रभाव आपके ऊपर नहीं रहते हैं।
7/8छठवां अनाज काले चने
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कलश स्थापना के लिए छठवें अनाज के रूप में काले चने का प्रयोग किया जाता है। काले चने का संबंध शनि ग्रह से होता है। शनि ग्रह को कर्मों का देवता माना जाता है। शनिदेव अच्छे कर्मों का फल देने के साथ ही बुरे कर्मों की सजा भी देते हैं। पूजा में चने का प्रयोग करने से आप शनि की दशा से दूर रहते हैं।
8/8सातवां अनाज गेहूं
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कलश स्थापना के लिए सातवें अनाज के रूप में गेहूं का प्रयोग किया जाता है। गेहूं का संबंध सूर्य ग्रह से माना जाता है। पूजा में गेहूं का प्रयोग करने से आपका सूर्य ग्रह मजबूत होता है। सूर्य के मजबूत होने से आपको निरोगी काया के साथ ही दीर्घायु की भी प्राप्ति होती है।
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