गुरुदेब भुबनेश्वर जी पर्णकुटी आश्रम वालो ने बताया की इस वार दीपावली पर बन रहा है त्रिवेणी सयोंग । इस संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना से धन वर्षा होगी।
दिपावली पर समृद्धि और सामर्थ्य प्रदान करने वाला आयुष्मान-सौभाग्य और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी त्रिवेणी संयोग बनने जा रहा है।इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा।गुरुदेब भुबनेश्वर जी ने बताया कि ।श्री महालक्ष्मी पूजा किस लग्न कौन कौन सी पूजा किस समय करे। स्थिर लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम प्रदोषकाल एबं बृषभ लग्न काल ही श्रेष्ठ होती है इसी लग्न में पूजा करना चाहिए ।
।गादी स्थापना मुहूर्त /
स्याही भरने का मुहूर्त /
कलम दवात सवारने का मुहूर्त /
अमावस्या तिथि प्रारम्भ = ६/नवम्बर/२०१८ को रात्रि १०:२७ बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = ७/नवम्बर/२०१८ को सायंकाल ०६:३१ बजे
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【०१】वृश्चिक लग्न –
यह दिवाली के दिन की सुबह का समय होता है.
वृश्चिक लग्न में
मंदिर,
हॉस्पिटल,
होटल्स,
स्कूल,
कॉलेज में पूजा होती है.
राजनैतिक,
टीवी फ़िल्मी कलाकार
वृश्चिक लग्न में ही लक्ष्मी पूजा करते है.
बृश्चिक लग्न=
प्रता:【०७:३८से 0९:५५ 】तक
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【०२】धनु लग्न
प्रता:【 ०९:५५से दोपहर ११:४२ 】तक,
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【०३】कुम्भ लग्न –
यह दिवाली के दिन दोपहर का समय होता है.
कुम्भ लग्न में वे लोग पूजा करते है, जो बीमार होते है,
जिन पर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है,
जिनको व्यापार में बड़ी हानि होती है.
कुम्भ लग्न दोपहर 【०१:४३ से ०३:४३】 तक
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प्रदोष काल मुहूर्त = गौ धुली बेला
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 【०५:४८से ०८:१२】
प्रदोषकाल =सायंकाल【०५:२७ से ०८:०६】
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【०४】वृषभ लग्न
यह दिवाली के दिन शाम का समय होता है.
यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
वृषभ लग्न काल
【सायंकाल०६:१९ /से०८:१५】तक】
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【०५】सिंहलग्न –
यह दिवाली की मध्य रात्रि का समय होता है.
संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
महानिशिता काल में तांत्रिक और पंडित लोग पूजा करते है,
ये वे लोग होते है, जिन्हें लक्ष्मी पूजा के बारे में अच्छे से जानकारी होती है.
लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र :
ॐ हिम् महालक्ष्मै च विदमहै,
विष्णु पत्नये च धीमहि
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
【०५】सिंह लग्न=
अर्ध रात्रि काल【१२:४६से/०३:०२】तक
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चौघड़िया मुहूर्त
गादी स्थापना मुहूर्त /स्याही भरने का मुहूर्त / कलम दवात सवारने का मुहूर्त /
【०१】प्रता:【०६:५४से०९:३८】 तक
【लाभ 】【अमृत 】बेला/
【०२】दोपहर /【११:००से१२:००/】तक 【शुभ】 वेला
【०३】दोपहर /【०३:०५से ०४/२७】तक चंचल बेला
【०४】सायंकाल/ 【०४:२७से०५:४८】तक लाभ वेला
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लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है
और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है।
कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा को करने के लिए महानिशिता काल भी बताते हैं।
हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं,
उनके लिए यह समय ज्यादा उपयुक्त होता है।
सामान्य लोगों के लिए हम प्रदोष काल मुहूर्त उपयुक्त बताते हैं।
लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं
क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं।
लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है
जब स्थिर लग्नप्रचलित होती है।
ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है।
इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।
वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है
और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह
अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।
संपर्क
Gurudev bhubneshwar
पर्णकुटी आश्रम गुना
०९८९३९४६८१०
०६२६२९४६८१०
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