भू रुदन :-
हर महीने की अंतिम घडी, वर्ष का अंतिम् दिन, अमावस्या, हर मंगल वार को भू रुदन होता हैं । अतः इस काल को शुभ कार्य भी नही लिया जाना चाहिए । यहाँ महीने का मतलब हिंदी मास से हैं और एक घडी मतलब 24 मिनिट हैं । अगर ज्यादा गुणा न किया जाए तो मास का अंतिम दिन को इस आहुति कार्य के लिए न ले।
भू रजस्वला :-
इस का बहुत ध्यान रखना चाहिए ।यह तो हर व्यक्ति जानता हैं की मकरसंक्रांति लगभग कब पड़ती हैं । अगर इसका लेना देना मकर राशि से हैं तो इसका सीधा सा तात्पर्य यह हैं की हर महीने एक सूर्य संक्रांति पड़ती ही हैं और यह एक हर महीने पड़ने वाला विशिष्ट साधनात्मक महूर्त होता हैं । तो जिस भारतीय महीने आपने आहुति का मन बनाया हैं ठीक उसी महीने पड़ने वाली सूर्य संक्रांति से (हर लोकलपंचांग मे यह दिया होता हैं । लगभग 15 तारीख के आस पास यह दिन होता हैं । मतलब सूर्य संक्रांति को एक मान कर गिना जाए तो 1, 5, 10, 11, 16, 18, 19 दिन भू रजस्वला होती हैं ।
भू शयन :-
आपको सूर्य संक्रांति समझ मे आ गयी हैं तो किसी भी महीने की सूर्य संक्रांती से 5, 7, 9, 15, 21 या 24 वे दिन को भू शयन माना जाया हैं । सूर्य जिस नक्षत्र पर हो उस नक्षत्र से आगे गिनने पर 5, 7,9, 12, 19, 26 वे नक्षत्र मे पृथ्वी शयन होता हैं । इस तरह से यह भी काल सही नही हैं । अब समय हैं यह जानने का कि भू हास्य क्या है ?
भू हास्य :- तिथि मे पंचमी ,दशमी ,पूर्णिमा । वार मे – गुरु वार । नक्षत्र मे – पुष्य, श्रवण मे पृथ्वी हसती हैं । अतः इन दिनों का प्रयोगकिया जाना चाहिए । गुरु और शुक्र अस्त :- यह दोनों ग्रह कब अस्त होते हैं और कब उदित । आप लोकल पंचांग मे बहुत ही आसानी से देख सकते हैं और इसका निर्धारण कर सकते हैं । अस्त होने का सीधा सा मतलब हैं की ये ग्रह सूर्य के कुछ ज्यादा समीप हो गए और अब अपना असर नही दे पा रहे हैं ।
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