Saturday, 7 October 2017

पाँच दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है। 19 अक्टूम्बर २०१७ लक्ष्मी पूजा, दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है। लिंक ओपन करे

पाँच दिन का दीवाली उत्सव धनत्रयोदशी के दिन प्रारम्भ होता है और भाई दूज तक चलता है।

19 अक्टूम्बर २०१७ लक्ष्मी पूजा, दिवाली पूजा लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है।

कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा को करने के लिए महानिशिता काल भी बताते हैं।

हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, उनके लिए यह समय ज्यादा उपयुक्त होता है।

सामान्य लोगों के लिए हम प्रदोष काल मुहूर्त उपयुक्त बताते हैं।

पंडित भुबनेश्वर ने बताया लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं।

लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है।

ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है।

इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।

वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

हम यथार्थ समय उपलब्ध कराते हैं। हमारे दर्शाये गए मुहूर्त के समय में त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं।

हम स्थान के अनुसार मुहूर्त उपलब्ध कराते हैं इसीलिए आपको पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिए।

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धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है।

धनतेरस पूजा मुहूर्त = १९:१९ से २०:१७

मतलव : शाम 07 बजकर 19 मिनिट से 08 बजकर 09  बजकर 17 मिनिट तक

अवधि = ० घण्टे ५८ मिनट्स

प्रदोष काल = १७:४५ से २०:१७

मतलब : -शाम 5 बजकर 45 मिनिट से  8 बजकर 17 मिनीट तक

वृषभ  लग्न  :काल = १९:१९ से २१:१४

मतलब:-शाम 07 बजकर 19 मिनिट से 09 बजकर 14 मिनिट तक

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ = १७/अक्टूबर/२०१७ को ००:२६ बजे

मतलव :16 ओर 17 तारीख की रात्रि :12 बजकर  26 मिनिट से प्रारंभ

त्रयोदशी तिथि समाप्त = १८/अक्टूबर/२०१७ को ००:०८ बजे

मतलब :-17 ओर 18 तारीख की रात्रि  12:बजकर 8 मिनिट तक

वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।
असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^-  18 अक्टूम्बर 2017 नरक चतुर्दशी

वास्तविकता में यह दोनों अलग-अलग त्यौहार है और एक ही तिथि को मनाये जाते हैं। यह दोनों त्यौहार अलग-अलग दिन भी हो सकते हैं और यह चतुर्दशी तिथि के प्रारम्भ और समाप्त होने के समय पर निर्भर होता है।

दीवाली के दौरान अभ्यंग स्नान को चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन करने की सलाह दी गई है।

चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।

यह माना जाता है कि जो भी इस दिन स्नान करता है वह नरक जाने से बच सकता है।

अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।

अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा से एक दिन पहले या उसी दिन हो सकता है।

जब सूर्योदय से पहले चतुर्दशी तिथि और सूर्योदय के बाद अमावस्या तिथि प्रचलित हो तब नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन हो जाते हैं।

अभ्यंग स्नान चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए हमेशा चन्द्रोदय के दौरान (लेकिन सूर्योदय से पहले) किया जाता है।

अभ्यंग स्नान के लिए मुहूर्त का समय चतुर्दशी तिथि के प्रचलित रहते हुए चन्द्रोदय और सूर्योदय के मध्य का होता है।

नरक चतुर्दशी के दिन को छोटी दीवाली, रूप चतुर्दशी, और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
है।

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लक्ष्मी पूजा

19 अक्टूबर २०१७ (बृहस्पतिवार) लक्ष्मी-गणेश पूजा

(1)प्रदोष काल मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = १९:११ से २०:१६
मतलब :-शाम 7 बजकर 11 मिनिट से प्रारंभ

अवधि = १ घण्टा ५ मिनट्स

(2)प्रदोष काल = १७:४३ से २०:१६

(मतलब):- 5 बजकर 43 मिनिट से 8 बजकर 16 मिनिट तक

वृषभ काल = १९:११ से २१:०६

बृषभ लग्न :-7 बजकर 11 मिनिट से 9 बजकर 6 मिनिट तक

अमावस्या तिथि प्रारम्भ
= १९/अक्टूबर/२०१७ को ००:१३ बजे

अमावस्या तिथि समाप्त

२०/अक्टूबर/२०१७ को ००:४१ बजे लक्ष्मी पूजा

महानिशिता काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = २३:४० से २४:३१+ *

मतलब :-रात्रि  11 बजकर 40 मिनिट से 12 बजकर 31 मिनीट तक

(स्थिर लग्न के बिना)
अवधि = ० घण्टे ५१ मिनट्स

सिंह काल = २५:४१+ से २७:५९+

मतलव :-रात्रि 1 बजकर 41 मिनिट से 3 बजकर 59 मिनिट तक

चौघड़िया पूजा मुहूर्त दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त

प्रातःकाल मुहूर्त (शुभ) = ०६:२८ - ०७:५३

प्रातःकाल मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) = १०:४१ - १४:५५
सायंकाल मुहूर्त (अमृत, चर) = १६:१९ - २०:५५

रात्रि मुहूर्त (लाभ) = २४:०६+ - २४:४१+

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गोवर्धन पूजा पर्व

तारीख - 20 अक्तूबर 2017, शुक्रवार

गोवर्धन पूजा सुबह का मुहूर्त- सुबह 06:28 बजे से 08:43 बजे तक
दोपहर :-अभिजीत मुहूर्त दिन का आधा भाग
गोवर्धन पूजा शाम का मुहूर्त - 04:27 बजे से सायं 05:42 बजे तक

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21 अक्टूम्बर भाई दोज़

भाई दूज टीका मुहूर्त = १२:४५ से १५:०२
अवधि = २ घण्टे १६ मिनट्स

द्वितीय तिथि प्रारम्भ = २१/अक्टूबर/२०१७ को ०२:०७ बजे

द्वितीय तिथि समाप्त = २२/अक्टूबर/२०१७ को ०३:३० बजे

Pandit भुबनेश्व र
कस्तूरवानागर पर्णकुटी वुना

09893946810

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