दुर्गा जी के आगमन और प्रस्थान का विचार नवरात्र मे - आगमन -
नवरात्र कलशस्थापन का प्रथम दिन ,
शशिसुर्ये गजारूढा , लपलशनिभोमे तुँरगमे ।
गुरू शुक्रो च दोलायाँ- बुधे नौका प्रकीर्तिता ।।
गजे च जलदा देवी , छत्र भँग तुरँगमे ।
नौकायाँ सर्व सिद्धिस्यात दोलायाँ मरणँ धुव्रम ।।
रविवार और सोमवार को आगमन( नवरात्र शुरू होने का दिन) होता है तो वाहन हाथी है जो जल की वृष्टि कराने वाला है ,
शनिवार और मँगल वार को आगमन होता है तो राजा और सरकार को पद से हटना पड सकता है ,
गुरूवार और शुक्रवार को आगमन हो तो दोला ( खटोला ) पर आगमन होता है जो जन हानि , ताँडव , रक्तपात होना बताता है ,
बुधवार को आगमन हो तो देवी नोका ( नाव ) पर आती है तब भक्तो को सभी सिद्धि देती है ।
देवी का प्रस्थान -
विजया दशमी के दिन के वार से गणणा..
शशिसुर्ये दिने यदि सा विजया, महिषा गमनेरूज शोक करा,
शनिभोमे यदि सा विजया चरणायुद्धयानकरी विकला , बुधशुक्र यदि सा विजया गजवाहनगा शुभ वृष्टि करा ,
सुर राजगुरौ सा विजया नरवाहनगा शुभ सौख्य करा ।।
विजयादशमी यदि रविवार और सोमवार को हो तो माँ दुर्गा का प्रस्थान महिष ( भैसाँ) पर होता है ,
जो शोक देता है ,
यदि शनिवार और मँगलवार को विजया दशमी हो तो पैदल जाती है तब जनता विकल तबाही का अनुभव करती है ,
यदि बुध और शुक्रवार को गमन करे तो हाथी पर जाती है माँ तब शुभ वृष्टि देती है ,
गुरूवार को विजयादशमी हो तो आदमी सवारी होता है जो सुख शान्ति मिलती है.-------
बँगाल मे षष्टि ( छठवे दिन ) से माँ का आगमन जोडा जाता है ,इस कारण अन्तर होता है ...
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