Tuesday, 18 July 2017

कौन से ग्रह के किस भाव में होने से क्या चिन्ता मिलती है ? इस बात को जानने के लिये नीचे लिखे ग्रह और ग्रह के भाव में होने से मिलने वाली चिन्ता का विवरण है,इसे अपने पास सम्भाल कर रखिये,और समय पर इसका प्रयोग करिये।

अब समस्या आती है कि कौन से ग्रह के किस भाव में होने से क्या चिन्ता मिलती है ? इस बात को जानने के लिये नीचे लिखे ग्रह और ग्रह के भाव में होने से मिलने वाली चिन्ता का विवरण है,इसे अपने पास सम्भाल कर रखिये,और समय पर इसका प्रयोग करिये।

कुछ समय में आपको पहिचानना आ जायेगा कि सामने वाला किस चिन्ता में है,लो आप बन गये पूरे ज्योतिषी।

जैसे ही ग्रह भाव को छोडेगा,उस व्यक्ति की चिन्ता का अन्त हो जायेगा।

अब बीच के समय को या तो ज्योतिषी के पास भागने में लगाइये,या फ़िर आराम से चलने वाली चिन्ता का निराकरण अपने अनुसार करिये।

सबसे पहले सूर्य के बारे में बताते हैं कि वह किस भाव में क्या चिन्ता देता है।

सूर्य पहले भाव में हो तो किसी के द्वारा कपट करने और छल करने की चिन्ता है,किसी ने झूठ कहकर बदनाम किया है।

सूर्य के दूसरे भाव में होने से जो कार्य किया जा रहा है उसके अन्दर लगने वाले धन बल या बाहु बल या भाग्यबल की चिन्ता है,

तीसरे भाव में किसी के द्वारा किये जाने वाले झगडे की चिन्ता है,

चौथे भाव में किसी के प्रति जलन चल रही है,

पांचवें भाव में सन्तान या शिक्षा या खेल की हारजीत की चिन्ता है।

छठे भाव में रास्ते में जाते वक्त या आते वक्त कोई काम किया जाना था उसकी चिन्ता है।

सातवें भाव में होने पर जीवन साथी या साझेदार के अहम भरे शब्द कहने की चिन्ता है।

आठवें भाव में ह्रदय की बीमारी या नौकर के द्वारा काम नहीं करने की चिन्ता है।नवें भाव से विदेश में रहने वाले व्यक्ति की चिन्ता है,

दसवें भाव में राज्य या सरकार द्वारा परेशान किये जाने की चिन्ता है,

ग्यारहवें भाव में सरकार से या पुत्र अथवा पिता के धन की चिन्ता है,

बारहवें भाव में आने जाने वाले रास्ते और शत्रु द्वारा परेशान किये जाने की चिन्ता है।

अब चन्द्रमा के बारे में बताते हैं,कि वह किस भाव में किस प्रकार की चिन्ता देता है।

चन्द्रमा पहले भाव में अपने निवास की चिन्ता देता है,

दूसरे भाव में धन और विदेश के व्यक्ति या काम की चिन्ता देता है,

तीसरे भाव में घर से दूर रहने की चिन्ता और किसी प्रकार के धार्मिक प्रयोजन करने की चिन्ता है,

चौथे भाव में कैरियर और मकान अथवा माता या पानी की परेशानी है,

पांचवे भाव में संतान अथवा जल्दी से पैसा वाला बनने की चिन्ता,

छठे भाव में किये जाने वाले प्रयासों मेअसफ़लता,

सातवें भाव में जीवन साथी या साझेदार के द्वारा किये जाने वाले कपट की चिन्ता,

आठवें भाव में मुफ़्त में प्राप्त होने वाले धन और पिता के परिवार से मिलने वाली सम्पत्ति की चिन्ता,

नवें भाव में लम्बी दूरी की यात्रा करने या किसी के द्वारा किये गये कपट की कानूनी सहायता प्राप्त नहीं होना,

दसवें भाव में वादा खिलाफ़ी की चिन्ता,

ग्यारहवें भाव में मित्र द्वारा धोखा देने की चिन्ता,

बारहवें भाव से चोरी गया या खोयी चीज की चिन्ता समझनी चाहिये। मंगल के बारे में…
Gurudev bhubneshwar
Kasturwa nagar
Parnkuti guna
8892946810

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