Saturday, 29 July 2017

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा ।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दु:ख सिंधु तारक ।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ।।

वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयकारी ।।

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दु:ख सगरे खोंवे ।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।
कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी ।।

पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरु डमकावत ।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ।।

बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावें ।
कहें धरणीधर नर मनवाछिंत फल पावे ।।

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