Thursday, 13 July 2017

१. तान्त्रिक-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति पर कोई भी तांत्रिक अभिचार या टोटका असर नहीं करता। २

----------------------------------------------------------------------------- सावधानियां १. तान्त्रिक-दीक्षा प्राप्त व्यक्ति पर कोई भी तांत्रिक अभिचार या टोटका असर नहीं करता। २. टोने-टोटके प्राय: शनिवार, रविवार या मंगलवार को करने का विधान है, किन्तु कुछ टोटके ग्रहण, दीपावली, होली आदि विशेष अवसरों पर भी किये जाते हैं। ३. टोटका-प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता तथा इसके लिए किसी गुरु, विद्वान या तांत्रिक से दीक्षा लेने की भी जरूरत नहीं होती। ४. टोटकों में यह विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जैसा बताया गया है, वैसा ही करें। सामिग्री या विधि को अपनी बुद्धि से संशोधित करने का प्रयास कदापि नहीं करना चाहिए। ५. टोटके अन-टोके ही करने चाहिए। इसकी चर्चा या इस पर बहस करने से यह बे-असर हो जाते हैं। -------------------------------------- दो शब्द शास्त्रों में चिकित्सा के आठ अंग माने गए हैं, जिनमें एक भूत-विद्या भी है । ‘टोटका’ इस भूत-विद्या का ही एक सूक्ष्म अंग माना जाता है । कई विद्वान इसे पदार्थ-विज्ञान से भी जोड़ते हैं । जिस प्रकार प्राणियों के शरीर में एक अदृश्य-सी विशेष शक्ति विद्यमान रहती है, जिसे हम ‘तेजस्’ कहते हैं; उसी प्रकार उद्भिज प्राणियों और सभी जड़-चेतन पदार्थों में भी यह तेजस्-तत्व विद्यमान रहता है । ‘टोटका’ से सम्बन्धित क्रियाओं के पीछे यह तेजस् ही क्रियाशील होता है । अत: टोटके के गुण-दोष भी पदार्थों के द्रव्य-गुण की भाँति प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते, बल्कि उनका प्रभाव अलक्षित और अप्रत्यक्ष होता है । हमारा देश कृषि-प्रधान देश है । देश के अधिकांश लोग गाँवों में निवास करते है । ग्रामीणजन पुरानी बातों में विशेष आस्था रखते हैं । इसका एक कारण यह भी है कि ग्रामीणजन प्राकृतिक पदार्थों व वनस्पतियों के गुण-दोष व तेजस्-तत्व से पारम्परिक रूप से परिचित होते हैं । यद्यपि टोटका-विज्ञान अथवा भूत-विद्या हमारे देश की पारम्परिक विद्या है, किन्तु इसका प्रचलन चीन, मिस्र आदि देशों में भी प्राचीनकाल से चला आ रहा है । आधुनिक ‘पेंâग-शुुई’ भारत की इस प्राचीन विद्या का ही चीनी-संस्करण है । नेपाल में तथा भारत के असम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में इन अदृश्य-शक्ति-सम्पन्न टोटकों का प्रचलन आज भी है । प्रस्तुत तन्त्र-वुंâजिका में आमजनों में प्रचलित कुछ पारम्परिक टोटकों का वर्णन है । आशा है, ये जनोपयोगी सिद्ध होंगे । ----------------------------------------- यह टोटके व साधनायें विशेष रूप से उन पीड़ित व्यक्तियों के लिए हैं, जिन्हें यह आभास है कि उन पर कुछ कर दिया गया है अथवा करवाया गया है — जिससे वह सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं । अत: वह अपनी समस्या के अनुसार इनका प्रयोग करेंगे तो उनका जीवन भी सुखमय हो जायेगा । -------------------------------------------- अभिलाषा-पूर्ति मंगलवार के दिन हनुमानजी की मूर्ति के माथे का सिंदूर दाहिने हाथ से लेकर सीताजी की मूर्ति के चरणों में लगा दें तथा अपने मन की अभिलाषा को सीताजी के सामने एक ही साँस में निवेदन कर दें । आपकी अभिलाषा अवश्य पूरी होेगी । ध्यान रखें– दोनों ही प्रतिमाऐं (हनुमानजी व सीताजी की) प्राण-प्रतिष्ठा की हुई होेनी चाहिए । समस्या के समाधान हेतु जीवन में कई बार ऐसी उलझनपूर्ण समस्याएँ आ खड़ी होती हैं, जिनका समाधान तर्क -वितर्क बुद्धि या युक्ति से सम्भव नहीं हो पाता । ऐसे में समस्याग्रस्त व्यक्ति की स्थिति विंâकत्र्तव्य-विमूढ़ जैसी हो जाती है । इस तरह की परिस्थिति उपस्थित होने पर यह प्रयोग करके समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है । शनिवार की शाम को बरगद के वृक्ष का एक साफ-स्वच्छ पत्ता तोड़ लें । उस पत्ते पर रोली से अपनी समस्या लिख दें । इसके बाद कच्चे सूत का लाल धागा या कलावा अपने सिर से पाँव तक का नाप लें और उससे बरगद के पत्ते को लपेटकर बहते पानी में प्रवाहित कर दें । यह प्रयोग सात शनिवार तक लगातार करें । दुर्भाग्य-नाश का उपाय यदि जीवन में दुर्दिनों का फेर चल रहा हो, बनते हुए कार्य बिगड़ रहे हों, अनावश्यक रूप से असफलताएँ सामने आ रही हों– तो एक काली पतंग आसमान में उड़ावें और खूब दूर तक उड़ाने के बाद अपने हाथ के पास से पतंग की डोर को तोड़ दें । इसके बाद न तो कभी पतंग उड़ावें और न ही आसमान से गिरती हुई किसी पतंग को लूटें । आँधी की दिशा बदलना आसमान में आँधी आने के लक्षण दिखायी दें, तभी घर के दरवाजों में लगे किवाड़ों (पल्लों) के आधार (खुमी) में थोड़ा-थोड़ा पानी डाल देने से आँधी का रुख बदल जाता है । वर्षा को रोकना (१) असामयिक वर्षा से हानि की सम्भावना दिखायी दे रही हो तो किसी वुँâआरी कन्या से कपड़े की एक पुतली (गुड़िया) बनवाकर आँगन में या खुले मैदान में उसे उलटा करके लटकवा देने से वर्षा कुछ समय के लिए थम जाती है । (२) अतिवृष्टि से जन-धन की हानि या किसी कार्य में व्यवधान पड़ने की सम्भावना दिखे, तब विधवा महिलाएँ नग्न होकर, हाथ में मूसल लेकर वर्षा में भीगते हुए नृत्य करें तो वर्षा थम जाती है । वर्षा होने के लिए समयानुकूल वर्षा न होने से अथवा वर्षा-ऋतु आ जाने पर भी पानी न बरसने से फसलों के लिए सूखे की स्थिति बन जाती है । ऐसे समय में विवाहित व पुत्रवती महिलाएँ रात्रि में नग्न होकर यदि खेतों में हल चलावें तो अपेक्षित वर्षा होने लगती है । कुदृष्टि से बचाव (१) कार्यस्थल, मकान या दुकान को दृष्टि-दोष से बचाने के लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को सिन्दूर लगाकर उस स्थान के प्रवेशद्वार के ऊपर अंग्रेजी के ‘यू’ आकार में जड़ दें । प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को इसे धूप दिखलावें । (२) शनि या मंगल के दिन प्रातःकाल सात हरी मिर्च एवं नीबू काले धागे में पिरोकर दरवाजे के ऊपर लटका दें । ध्यान रखें कि धागे में चार मिर्चें नीचे तथा तीन मिर्चें ऊपर और बीच में नीबू पिरोया जाय । नीबू में सुई बगली से आर-पार होनी चाहिए । लाभ-प्राप्ति हेतु अशोक-वृक्ष के बीज ताँबे के ताबीज में भरकर कण्ठ में धारण करने से व्यक्ति प्राय: सभी कामों में लाभ अर्जित करता है । चिन्ता-मुक्ति हेतु अशोक वृक्ष की तीन पत्तियाँ प्रात: बासी मुख से चबायें सोलह दिन तक यह क्रिया करने से मानसिक चिंता से मुक्ति मिलती है तथा शरीर और मन स्वस्थ हो जाते हैं । रक्षा-ताबीज सात या नौ पपीते के बीज ताँबे के ताबीज में भरकर गले में पहनने से तंत्र-मंत्र या बुरी नजर से रक्षा होती है । निरंतर धन-हानि से बचने के लिए रविवार की रात्रि को सोते समय एक लोटा जल में थोड़ा-सा दूध मिलाकर उसे सिरहाने की तरफ नीचे रखकर सोवें । सोमवार को प्रात: स्नानादि करके उस लोटे के जल को कीकर के पेड़ की जड़ में डाल दें । सात सोमवार तक निरन्तर यह प्रयोग करने से लगातार हो रही धन-हानि से अवश्य छुटकारा मिल जाता है । धन-प्राप्ति के उपाय (१) काले तिल, जौ का पीसा हुआ आटा और तेल मिश्रित करके एक रोटी पकावें, उसे अच्छी तरह से दोनों तरफ से सेकें, फिर उस पर तेल मिश्रित गुड़ चुपड़ कर व्यक्ति पर सात बार उवारकर भैंसे को खिलावें । शनि या मंगल के दिन यह प्रयोग करें । यह अनुभूत प्रयोग है । (२) दीपावली के दिन प्रात: व्यक्ति बिना स्नान किए, बिना दातुन किए, एक नारियल को पत्थर से बाँधकर नदी या तालाब के जल में डुबो दे और डुबोते समय प्रार्थना करे कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊँगा । सूर्यास्त के बाद उस नारियल को जल से निकालकर ले आवें तथा लक्ष्मीपूजन के समय उसकी भी पूजा कर भण्डारगृह या संदूक में रख दें, तो पूरे वर्ष असाधारण रूप से धन प्राप्त होता रहता है । (३) श्री महालक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों के शुद्ध घी का दीपक जलाएँ । उसी दिन धनलाभ होगा । (४) पीपल के वृक्ष की जड़ में कच्ची घानी के तेल का दीपक जला दें । (५) अगर अचानक धनलाभ की स्थितियाँ बन रही हों, विंâतु लाभ नहीं मिल रहा हो तो गोपी-चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए । स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है । जीविका प्राप्ति हेतु तीन सौ ग्राम काले उड़द का आटा लेकर, बिना छाने इसको गूंधकर खमीर उठा लें । तत्पश्चात् इसकी एक रोटी तैयार करके मामूली–सी आँच पर सेंक लें, ताकि इसकी आसानी से गोलियाँ बन सवेंâ । इस रोटी में से एक चौथाई भाग तोड़कर काले रंग के कपड़े में बाँध लें । शेष पौन रोटी की १०१ छोटी-छोटी गोलियाँ बनाकर, किसी ऐसे जलाशय के पास जायें, जिसमें मछलियाँ हों । यह गोलियाँ उन मछलियों को खिला दें । अब कपड़े में बँधी रोटी को मछलियों को दिखाते हुए एकसाथ पानी में प्रवाहित कर दें । इस प्रकार ४० दिनों तक नियमित रूप से यह क्रिया करें । इससे बेरोजगारी अवश्य दूर होगी । कोई नौकरी, व्यापार अथवा उदरपूर्ति के लिए कुछ-न-कुछ व्यवस्था जरूर हो जाएगी । रोजगार-वृद्धि के उपाय (१) शुक्रवार के दिन भुने हुए चने, गुड़ और खट्टी-मीठी गोलियांँ मिलाकर उन्हें ८ वर्ष तक की आयु के बालकों में बाँट दें । लगातार सात शुक्रवार तक इस टोटका को करने से रोजगार में वृद्धि होने लगती है । (२) बुधवार के दिन लड्डू लाएँ और जो व्यक्ति रोजगार चलाता हो लड्डू सात बार उसके ऊपर से उतारकर रख दें । दूसरे दिन परिवार का कोई व्यक्ति सूरज उगने से पहले, जब तारे दिखलाई दे रहे हों, उठे और उन लड्डुओं को किसी भी सपेâद गाय को खिला दे और मुड़कर न देखे । रोजगार में वृद्धि होगी । (३) घर, दुकान अथवा कार्यालय में गाय के आगे खड़े होकर वंशी बजाते हुए भगवान कृष्ण का चित्र रखने पर क़र्जा नहीं चढ़ता और धन डूबने की सम्भावना भी कम ही रहती है । (४) भगवान शिव पर नित्य प्रात: जल चढ़ाने, प्रत्येक सोमवार को दीपक जलाने और प्रदोष का व्रत करने से ऋण से शीघ्र मुक्ति मिल जाती है । निर्विघ्न साझेदारी के लिए टोटका दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी-पूजन करने के पश्चात् कच्चे सूत के कुछ धागे एक साथ रखकर उन्हें बटकर रस्सी जैसी बना लें । मातेश्वरी लक्ष्मीजी के पूजन-स्थल पर उनका ध्यान करते हुए यह प्रक्रिया पूर्ण करें । सूत की इस डोरी पर पूजन की रोली के छींटे लगाएँ और रात्रिभर पूजा के थाल में रखा रहने दें । दूसरे दिन कार्यालय, पैâक्ट्री अथवा दुकान में इसे किसी ऊँची कील अथवा खूँटी पर टाँग दें । पूरे वर्ष इसे एक ही जगह टँगा रहने दें । प्रत्येक दीपावली पर इस विधि से नई डोरी बनाकर वहाँ टाँगें और पुरानी डोरी को पवित्र नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें । सूत की इस डोरी के समान ही दृढ़ साझेदारी बनी रहेगी । कर्मचारियों पर नियन्त्रण का टोटका किसी भी शनिवार को प्रात: घर से पैâक्ट्री अथवा कार्यालय आते समय मार्ग में पड़ी हुई कोई भी लोहे की कील उठाकर चुपचाप ले आएँ । कार्यालय में आकर कहीं से भैंस का पेशाब लेकर पहले उसमेें कील को धोइए और इसके बाद गंगाजल से धोइए । इस कील को उस कमरे अथवा हॉल में ठोंक दीजिए जहाँ कर्मचारी काम करते हैं । यह कील पर्याप्त गहरी और इस प्रकार ठोंकिए कि उस पर कोई कुछ टाँग न सके । जब तक कील अपने स्थान पर स्थिर रहेगी, आपके कर्मचारी भी उसी प्रकार स्थिर होकर कार्य करते रहेंगे । धन-संपत्ति बढ़ाने के टोटके अशोक-वृक्ष की जड़ का एक छोटा-सा टुकड़ा किसी पवित्र स्थान पर घर में रखकर धूप-दीप देते रहने से घर में धन-सम्पत्ति की प्रचुरता बनी रहती है । विद्या-प्राप्ति के उपाय हर रविवार को सूर्य-पूजन करें, नमकरहित भोजन करें तथा लाल वस्तु का दान करें । इससे मनुष्य विद्यावान बनता है । कार्य से भागने पर रविवार के दिन एक बोतल शराब ले लें । सर्वप्रथम थोड़ी-सी शराब भैरव पर अर्पण करें । उसके बाद उस बोतल को सात बार उस पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से उतार कर किसी को दान दे दें या फिर दिन ढले किसी चौराहे पर, मरघट में या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें । आप परिस्थिति में तुरन्त सुधार अनुभव करेंगे । अनिच्छित कार्य से बचाव के लिए दो लौंग फूलदार और एक कपूर का टुकड़ा ले लें । इन्हें तीन बार गायत्री-मन्त्र से अभिमंत्रित कर लें । इसके बाद इन्हें जला दें । ध्यान रखें– जलाते समय आपका मुख पूर्व की ओर हो और गायत्री मन्त्र का उच्चारण बराबर चलता रहे । अब जो भस्मी बनी है, उसे किसी कागज में समेट लें । दिन में दो समय यह भस्मी जीभ पर नाममात्र के लिए रखें । धीरे-धीरे आपकी मजबूरियाँ समाप्त हो जाएँगी और कोई अनिच्छित कार्य नहीं करना पड़ेगा । दीर्घ रोग से मुक्ति दीर्घ समय से यदि कोई बीमार हो तो शनिवार की रात्रि में बेसन की एक रोटी बनाकर उस पर सरसों का तेल चुपड़कर रोगी के ऊपर सात बार घुमावें और काले कुत्ते कोे वह रोटी खिला दें । कुत्ता काला ही होना चाहिए तथा नर हो, मादा न हो । इस प्रयोग के करने से रोगी लम्बी बीमारी से मुक्त हो जाता है । प्रेत-बाधा से मुक्ति शनिवार या मंगलवार के दिन संध्याकाल में जब दोनों वक्त मिल रहे हों, तब एक लाल कपड़े में थोड़ा-सा सिंदूर, ताँबे का पैसा और काले तिल रखकर पोटली बना लें । इस पोटली को प्रेत-ग्रस्त रोेगी के ऊपर सात बार घुमाकर किसी रेलवे लाइन अथवा सड़क के पार पेंâककर पीछे मुड़कर देखे बिना लौट आवें । जाते समय रास्ते में किसी से बात न करें । इस टोटके से प्रेत-बाधा से मुक्ति मिल जाती है । दुष्टात्माओं से घर की रक्षा इक्कीस दिन तक रोज सूर्यास्त के समय गाय का आधा किलो कच्चा दूध लें । उसमें नौ बूँद शुद्ध शहद की मिलाकर एक अच्छे साफ-सुथरे बर्तन में डालकर, स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहनकर मकान की ऊपरी छत से प्रारंभ करके, नीचे तक प्रत्येक कमरे, जीने, गैलरी आदि में उस दूध के छींटे देते हुए, मुख्य द्वार तक आएं और द्वार के बाहर बचे हुए शेष दूध को धार से वहीं गिरा दें । इस प्रक्रिया को करते हुए अपने इष्टदेव का स्मरण अवश्य करते रहें । इक्कीस दिनों तक ऐसा करने से घर हरेक प्रकार की बलाओं से शुद्ध हो जाता है । भूत भगाने के टोटके (१) यदि कोई व्यक्ति किसी ऊपरी बाधा से ग्रस्त है, तो शनिवार के दिन दोपहर को सवा दो किलो बाजरे का दलिया तैयार करे । उसमें थोड़ा गुड़ मिला दे । माटी की एक हाँडी में उस दलिया को डाल लें । फिर सूर्यास्त के समय उस हाँडी को अस्वस्थ व्यक्ति के पूरे शरीर पर बाएँ से दाएँ सात बार घुमाकर चौराहे पर रख आएँ । जाते और आते वक्त न तो पीछे मुड़कर देखें और न ही किसी से बातचीत करें तथा इस पूरे कांड में घर का भी कोई व्यक्ति सामने नहीं आना चाहिए । यह बहुत ही शक्तिशाली उतारा है और इसका शुभ या अशुभ प्रभाव भी शीघ्र ही पड़ता है । (२) कच्चे (लकड़ी के) कोयले के सात छोटे टुकड़े, एक अण्डा, थोड़ा-सा चावल, थोड़ा-सा हलवा तथा पीपल की टहनी लें । एक मिट्टी का सकोरा लेकर उसमें हलवा रखकर उसके ऊपर कोयले रख दें । कोयले हलवे में पैâलाकर रखें और उनके ऊपर कच्चे चावल डाल दें । इस सकोरे को रोगी के ऊपर से सात बार घुमाकर उतार लें । इसे ले जाकर किसी चौराहे पर उल्टा रखें और अंडा उस सकोरे पर मारकर फोड़ दें तथा इसके ऊपर पीपल की टहनियाँ रखकर बिना पीछे देखे वापस घर आ जाएँ । (३) रविवार को पवित्र होकर तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ लाकर काले कपड़े की छोटी थैली में तीनों को बांधकर गंडा तैयार करें । इसे गले में पहनने से हर तरह की भूत-बाधा दूर हो जाती है । (४) नीम के पत्र, वच, हींग, साँप की वेंâचुली और सरसों-- इनको पीसकर धूनी देंं, तो सभी प्रकार के भूतादि दूर हो जाते हैं । (५) रविवार को तुलसीपत्र, कालीमिर्च प्रत्येक आठ- आठ तथा सहदेइया की जड़ लाकर तीनों को ताँबे के यंत्र में भरकर धारण करने से भूतप्रेत-बाधा दूर हो जाती है । प्रेमोन्माद की समाप्ति के लिए प्रेम के दीवाने मनुष्य के लिए यह टोटका विचित्र प्रभावक है, लोहे के एक टुकड़े को आग में गर्म करो और उसे पानी में बुझाओ । इसी प्रकार तीन बार गर्म करो और क्रमश: पानी में बुझाओ और प्रत्येक बार बुझाते समय यह कहते जाओ कि जिस प्रकार यह गर्म लोहा पानी में शीतल होता है, उसी प्रकार अमुक का प्रेम अमुक से शीतल हो जाय । फिर उसी पानी से प्रेम में पागल रोगी का मुँह धुलाओ और थोड़ा पानी उसके वक्षस्थल पर भी छिड़क दो । तीन दिन तक यह क्रिया करने से वह अपने प्रेमी को भूल जायेगा । बच्चों की खाँसी (१) शनिवार के दिन कौवे की बीट काले कपड़े में बंद करके सिलाई कर दें । इस छोटी-सी पोटली को काले धागे से बच्चे के गले में लटका दें । बच्चे की खाँसी स्वत: बन्द हो जाएगी । बच्चों के दाँत सुगमता से निकलें (१) सीपियों की माला बालक के गले में पहना देने से भी दाँत निकलने में आसानी हो जाती है । (२) आलू की जड़ को बच्चों के गले में बाँधने पर बच्चों के दाँत आसानी से निकल आते हैं । (३) लोहे अथवा ताँबे का कड़ा बालक के हाथ या पैर में पहनाने से दाँत सरलता से निकल आते हैं । और दृष्टि-दोष (नजर) नहीं लगने पाता । बालक का बार-बार रोना रविवार या मंगलवार को नीलकंठ का पंख लाकर जिस चारपाई पर बालक सोता हो, उसमें लगा दें-- तो बालक का अधिक रोना बन्द हो जाता है । नींद में बच्चों के चिहुँकने का बचाव बच्चा अगर नींद में बार-बार चिहँुक उठता हो तो उससे बचाव के लिए यह उपाय आजमायें । चौरस्ते पर चमक-दीवा रखें । अर्थात्, एक आटे का दिया बनाकर, चार बत्तियाँ रुई की उसमें डालकर चुपचाप चौैराहे पर जावें । पानी के लोटे में वुंâकुम डालकर बच्चे पर सात बार उवारकर साथ ले जावें और पहले दीया रखकर उसे जला दें । फिर उसके चारों तरफ लोटे के पानी से गोल वुंâडला करके घर लौट आवें । पीछे न देखें । चमक (बच्चे का चिहँकना) बन्द हो जाएगा । (२) किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन फिटकरी का एक टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें । रात में बच्चे को सोते समय बुरे स्वप्न नहीं आएँगे और न ही बच्चा चिहँुकेगा । पुत्र-प्राप्ति हेतु मोर-पंख के मध्य का भाग– जो गहरे नीले व आसमानी रंग का होता है तथा नेत्र की आकृति-जैसा दिखता है– उसको काटकर व खरल में पीसकर रख लें । इस चूर्ण कोे किसी गर्भवती स्त्री को गर्भ के प्रथम व द्वितीय मास में तीन-तीन दिन खिलावें तोे गर्भ से पुत्र पैदा होता है । गर्भ-स्थापन हेतु पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में वट-वृक्ष की जड़ प्राप्त करें । इसे लाल कपड़े में बाँधकर बाँह पर धारण करने से गर्भ स्थिर होता है । वंध्या स्त्री को भी इस प्रयोग से मातृत्व-लाभ होता है । गर्भ-रक्षा का उपाय (१) गर्भिणी स्त्री को कमर में लाजावर्त धारण कराने से गर्भ की रक्षा होती है । (२) जिस स्त्री का गर्भ गिर जाता हो, उसे गर्भ-स्राव का खतरा उत्पन्न होने पर यह टोटका करना चाहिए । कुम्हार के हाथों में लगी मिट्टी को शहद में घोलकर जीभ से चाटें तथा ऊपर से सवा पाव बकरी का दूध पी लें, तो गर्भ-स्राव रुक जाता है । सुखपूर्वक प्रसव के लिए (१) यदि शिशु-जन्म के समय प्रसव-पीड़ा से छटपटाती हुई स्त्री की कमर में नीम की जड़ बाँधें तो उसे प्रसव में कोई कष्ट नहीं होता है । (२) स्त्री के बाँये हाथ पर चुम्बक रख देने से भी शिशु-जन्म बिना किसी कष्ट के हो जाता है । (३) लाल कपड़े में थोड़ा-सा नमक बाँधकर प्रसविनी के बाँयें हाथ की ओर लटका दें, बिना कष्ट के बच्चा सहज ही उत्पन्न हो जाता है । भोजन खत्म न होने का उपाय भगवान को भोग लगाई हुई थाली अन्तिम आदमी के भोजन करने तक ठाकुरजी के सामने रखी रहे, तो बनायी हुई भोजन-सामग्री बीच में खत्म नहीं होती । रसोई पर नजर न लगने का उपाय बड़ा भोज किया हो, तो मुख्य मिठाई के पात्र के मध्य एक कोयला रख देने से रसोई को नजर नहीं लगती है । रसोई भरपूर करने का टोटका यह एक टोटका ही नहीं, बल्कि समाज में पूर्ण रूप से स्वीकृत परम्परा का रूप ले चुका है । शादी-विवाह, प्रीतिभोज और भण्डारे आदि में सभी वस्तुएँ तैयार करने के बाद भण्डार में कपड़े से ढँककर रख दी जाती हैं । इसका आधार यह टोटका है कि यदि भोजन बनाने के बाद तैयार खाद्य-पदार्थों को कपड़े से ढँककर रखा जाए और अन्त तक उस कपड़े को पूरी तौर पर हटाया न जाए तब कितने ही व्यक्ति भोजन करें, वह भोजन कम नहीं पड़ता । भोजन को नजर से बचाने का टोटका कोई व्यक्ति खाना खाने बैठा हो और दूसरे व्यक्ति की बुरी नजर न लगे, तो इसके लिए पहले भूमि अथवा चौकी पर पानी से एक त्रिकोण बना लें, फिर उस पर थाली रखें । ऐसा करने से भोजन पर नजर लगने का भय नहीं रहता । पंचक-दोष का निवारण ऐसी मान्यता है कि पंचक में मरने पर पाँच बन्धुजनों की मृत्यु होती है । अत: किसी की मृत्यु पंचक में हो, तोे शेष पंचकों की संख्यानुसार दर्भ के पुतले बनाकर शव के साथ जला दें । पैरों को जगाने का टोटका अक्सर एक ही स्थान पर, एक ही ढंग से देर तक बैठे रहने पर पैर सो जाते हैं, यानि सुन्न हो जाते हैं । ऐसे में आप २७ का अंक अंगुली से शून्य अंग पर लिख दीजिए । पैरों की शून्यता नष्ट हो जायेगी । यह प्रयोग भी अनुभूत है । नजर उतारने के उपाय (१) झाड़ू को हाथ में लेकर मन ही मन जिसकी नजर लग सकती है, ऐसे संभाव्य व्यक्ति के नाम का उच्चारण करें और नजर लगे व्यक्ति पर से झाड़ू उतारें । झाड़ू की दो- तीन-चार काड़ियाँ तोड़कर उस पर थूवेंâ और दूर पेंâक दें । (२) नजर लगे व्यक्ति पर से फिटकरी उवारें । उसे बायें हाथ से वूâटें, उसका चूर्ण कुएँ में या अन्य कहीं पेंâक दें । उस दिन उपवास रखें । (३) रविवार या शनिवार को नजर लगे व्यक्ति के सिर पर से तीन बार दूध पेâरकर एक मिट्टी की परात में रखें । यह दूध कुत्ते को दें । यदि कुत्ता दूध पी ले तो नजर उतर जायेगी । (४) शनिश्चर को हनुमानजी के मन्दिर में जाकर हनुमानजी के वंâधों पर से सिन्दूर लाकर नजर लगे व्यक्ति के भाल-प्रदेश पर लगावें । (५) काले धागे में रीठा पिरोकर गले में पहना देने से बच्चों को नजर नहीं लगती तथा नजर लगी हो तो उसका असर समाप्त हो जाता है । (६) डंडी सहित सात लाल मिर्चें, राई, नमक की डली और फिटकरी मुट्ठी में लेकर नजर लगे हुए व्यक्ति पर सात बार घुमाकर धधकती हुई आग में झौंक देने से नजर-दोष दूर हो जाता है । (७) रुई की बत्ती सरसों के तेल में डुबो कर नजर-लगे व्यक्ति पर सात बार उसारकर सुलगा दें तथा बत्ती के दूसरे सिरे को दीवार पर चिपका दें अथवा चीमटे से पकड़े रहें । जिसको नजर लगी है, वह व्यक्ति उस जलती हुई बत्ती को देखे तो बत्ती में से आग झरने लगती है । इस टोटके से भी नजर-दोष दूर होता है । (८) एक नीबू नजर-दोष से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतारें तथा उसके दो टुकड़े करके या तो अनजानी दिशा में पेंâक दें अथवा चौराहे पर रख आवें । नजर से बचाने वाले टोटके (१) हल्दी के द्वारा पीले रंग के रंगे हुए सूती कपड़े में अजवायन रखकर, पोटली-सी बनाकर काले धागे के द्वारा बच्चे के गले में लटकाए रखने से उसे बुरी नजर नहीं लगती । (२) बच्चे को नजर से बचाने के लिए उसके गाल पर काजल की बिंदी लगा दें या उसके मस्तक पर काजल से आधा चन्द्रमा बनाकर बीच में बिंदी लगा दें । बच्चे को नजर का भय नहीं रहेगा । (३) रविवार के दिन बच्चे के सिर से तीन बार दूध उतारकर मिट्टी के पात्र में भर दें और दूध कुत्ते को पिला दें । (४) दुकान को नजर लगी हो तो रविवार अथवा मंगलवार के दिन सात लाल मिर्चें धागे में पिरोएं और बीच में नींबू पिरो दें । फिर इन्हें दुकान के प्रवेश द्वार पर माला की तरह बांध दें । नजर उतर जाएगी । (५) अस्वस्थ व नजर लगे व्यक्ति के ऊपर चारों ओर से फिटकिरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में डाल दें । तीन दिन लगातार तीनों समय यह क्रिया करें, नजर उतर जाएगी और व्यक्ति या बच्चा स्वस्थ हो जाएगा । चेचक से रक्षा (१) नीम की टहनियों को कलावे में बाँधकर बन्दन वार बनाएँ और उन्हें घर के सभी दरवाजों पर बांध दें । (२) घर में शाम के समय नीम के सूखे पत्ते कण्डों की आग पर डालकर उनकी धूनी पूरे घर में दें । (३) चेचक से बचाव के लिए नीम की पकी हुई पाँच या सात निबौलियाँ प्रतिदिन एक सप्ताह तक पानी के साथ अच्छी तरह चबाकर खाएँ । गठिया से राहत जेब में कच्चा आलू रखने से प्रत्येक प्रकार के गठिया-रोग में आराम मिलता है । पथरी से राहत लोहे की अंगूठी बनवाकर दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनने से पथरी रोग की पीड़ा में अतिशीघ्र लाभ होता है । हिस्टीरिया का उपाय भेंड़ की जूँ कम्बल के रोएँ में लपेटकर ताँबे के जन्तर में धारण करने से स्त्रियों का हिस्टीरिया रोग दूर हो जाता है । मोटापा / स्थूलता राँगे की अंगूठी बनवाकर दायें हाथ की कनिष्ठिका अंगुली में पहिनाने से रोगी का मोटापा कम होता है । उदर-व्याधि एक रंग काले कुत्ते का बाल और अकरकरा बच्चे के गले में बाँध देने से बालक के उदर-रोग व ज्वर नष्ट हो जाते हैं । सूखा रोग का शक्तिशाली टोटका यदि बच्चे का शरीर पीला पड़ जाए, उसका शरीर दिन-प्रतिदिन सूखता जाए तो समझना चाहिए कि उसे सूखा रोग हो गया है । जब यह स्पष्ट हो जाए कि सूखा रोग ही हुआ है, तो मजीठ की लकड़ी में छिद्र करके और सूती धागा पिरोकर गले में डाल देना चाहिए । बच्चा नीरोग होकर हृष्ट-पुष्ट हो जाएगा । बवासीर के लिए टोटके (१) सर्प की केंचुली जलाकर और उससे लंगोट को धूनी देकर रोगी को वह लंगोट पहनने को दें । बवासीर शांत हो जाएगी । (२) मंगलवार को सफेद व लाल रंग के धागों को आपस में मिलाकर बट लें और पाँवों के अँगूठों में बाँध लें । इससे बवासीर का रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है । (३) काले धतूरे की जड़ (लगभग छह माशा) धागे के सहारे कमर पर बांधने से भी बवासीर चाहे जैसी हो, मिट जाती है । आँख आना (१) रास्ते का छोटा-सा कंकड़ उठा कर जिस तरफ की आँख आयी है उसी तरफ के कान में उस कंकड़ को कान के ऊपरी भाग में बैठा देना चाहिए, इससे आँखें दुखना बन्द होकर आँख की लाली खत्म हो जाती है । कंकड़ को कान में एक या दो दिन तक रखना चाहिए, इसके बाद निकाल कर चौराहे पर फेंक देना चाहिए । कान के कंकड़ से आँख में आयी हुई लाली उस वंâकड़ के दबाव से खत्म होती है और वंâकड़ का तनाव आँखों की बारीक नसों पर पड़ता है । (२) मेंहदी के ताजे पत्तों को तोड़कर उसको पत्थर पर पीसकर उसको गुदा पर बाँधने से आयी हुई आँखों की लाली खत्म होकर आँखें ठीक हो जाती हैं । आँख की गुहेरी मिटाने का टोटका प्रात:काल शौच जाने और गुदा को धोने के पश्चात्, परन्तु हाथ धोने से पहले शौचस्थल पर बैठे रहकर ही अपने दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली को गुहेरी के निकट ले जाएँ, परन्तु उसे छुएँ नहीं । अब गुहेरी के निकट अंगुली रखते हुए तीन-चार बार कहें कि देख मैं तुझे छू लूँगा, मैं तुझे छू लूँगा, तू चली जा, नहीं तो मैं तुझे छू लूँगा । ऐसा कहते समय आप प्रत्येक बार अंगुली को गुहेरी के अधिक निकट ले जाएँ और थोड़ा पीछे करके दोबारा कहते समय निकट ले जाएँ, परन्तु उसे छुएँ नहीं । तीन-चार दिन ऐसा करने पर गुहेरी स्वयं ठीक हो जाती है । शराब का नशा उतारने हेतु उपाय नारियल की गिरी और दूध खिलाने-पिलाने से शराब का नशा उतर जाता है । कीड़े-पतंगे भगाने का उपाय (१) प्याज के टुकड़े को दीपक में रख देने से उस दीपक के पास पतंगे नहीं आते । (२) काले घोड़े की पूँछ के बाल दरवाजे पर बाँधने से मच्छर आदि कमरे में नहीं जा पाते । चूहे भगाने का टोटका ‘समुद्र-खार’ को आटे में मिलाकर घर में रखने से चूहे भाग जाते है । विभिन्न रोगों के लिए अनुभूत टोटके (१) बच्चों के हाथ-पाँव में लोहे अथवा ताँबे का कड़ा पहनाने से उसके दाँत आसानी से निकल आते हैं । इससे बालक को नजर भी नहीं लगती । (२) सिर में रोग हो तो पीले कपड़े में धनियाँ; मुख-रोग हो तो सफेद कपड़े में जीरा; हाथ, बाहु, भुजा-सम्बन्धी रोग हो तो बैगनी कपड़े में हींग; हृदय-सम्बन्धी रोग हो तो नीले कपड़े में काली मिर्च; उदर-सम्बन्धी रोग हो तो आसमानी कपड़े में तुलसी-वृक्ष की जड़; कमर में कोई रोग हो तो हरे कपड़े में छोटी इलायची के दाने; मूत्राशय सम्बन्धी कोई रोग हो तो पीले कपड़े में खड़ी हल्दी; गुप्तेन्द्रिय रोग हो तो नारंगी कपड़े में नागकेसर; जंघा में कोई रोग हो तो लाल कपड़े में लाल मिर्च; पैरों में कोई रोग हो तो सपेâद कपड़े में एरण्ड के बीज; स्नायविक-विकार, श्वास-तन्त्र या रक्त-सम्बन्धी विकारों में काले रंग के कपड़े में काला जीरा; प्रत्येक रविवार को हाथ गला या कमर में धारण करके तीसरे दिन प्रत्येक मंगलवार को उतारकर चौराहे पर फेंक दिया करें । (३) फौलादी लोहे का छल्ला बायें और दांये दोनों हाथों के अँगूठे में धारण करने से पथरी रोग धीरे-धीरे दूर होने लगता है । (४) रांगा-धातु का छल्ला बनवाकर मध्यमा अंगुली में पहनने से मेदा-वृद्धि या मोटापे का रोग दूर होने लगता है ।

No comments:

Post a Comment