Monday, 10 July 2017

पंचागीय गणना के अनुसार करीब 20 साल बाद श्रावण-भादौ मास में सोमवार के दिन महापर्व और त्योहारों का अनुक्रम बन रहा है। 10 जुलाई को सोमवार के दिन श्रावण मास की शुरुआत होगी। सोमवार के दिन ही रक्षाबंधन और स्मार्तमत के अनुसार जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी। भगवान महाकाल की शाही सवारी के दिन सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। इससे पहले 1997 में इस प्रकार का संयोग बना था। महाकाल की नगरी उज्जयिनी में श्रावण-भादौ मास में सोमवार के दिन महापर्वों का संयोग धर्म आध्यात्म की दृष्टि से श्रेष्ठ है। 10 जुलाई को सोमवार के दिन शिव के प्रिय श्रावण मास की शुरुआत होगी।

पावन श्रावण मास में इस साल कई दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है जो आम जनता के लिए अतिशुभ हैं।

श्रावण 10 जुलाई 2017 को शुरू हो रहा है। जो विशेष योग इस दौरान बन रहे हैं, उनमें भगवान शिव का विधिवत पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। यह श्रावण मास आयु, विद्या, स्वास्थ्य एवं शांति के लिए श्रेष्ठ होगा क्योंकि ग्रहों की चाल स्पष्ट संकेत दे रही है कि इस साल श्रावण मास अनूठा होगा और भगवान शिव भक्तों की झोली भर देंगे।

ज्योतिषियों के अनुसार, यह श्रावण मास प्रतिवर्ष आने वाले श्रावण से अलग है।

वर्ष 2017 में श्रावण में कुछ दुर्लभ योग बन रहे हैं। इनमें सबसे पहला है -

सोमवार से ही श्रावण मास का शुभारंभ। ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब पवित्र श्रावण मास का शुभारंभ सोमवार से हो। श्रद्धालु श्रावण मास लगने के बाद सोमवार की प्रतीक्षा करते हैं और भगवान शिव का पूजन करते हैं,

परंतु इस बार उन्हें अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी होगी, क्योंकि श्रावण का पहला दिन ही सोमवार है। श्रावण का अंतिम सोमवार भी एक रोचक योग बना रहा है।

पंचांग के अनुसार, श्रावण का पहला सोमवार 10 जुलाई को, दूसरा 17 जुलाई को, तीसरा 24 जुलाई को, चौथा 31 जुलाई को और पांचवा 7 अगस्त को है। इस प्रकार 2017 में श्रावण में कुल 5 सोमवार आएंगे, जिसका मतलब है भोलेनाथ के भक्तों को पूजा-उपासना के लिए अधिक अवसर प्राप्त होंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि श्रावण का समापन भी सोमवार से ही हो रहा है। 7 अगस्त को सोमवार है। उसी दिन रक्षाबंधन है। ये समस्त योग विद्या, लक्ष्मी, कृषि और रोजगार के लिए शुभ साबित होंगे। वहीं इस साल श्रावण 29 दिनों का होगा परंतु पांच सोमवारों के कारण यह अद्भुत होगा।

श्रावण का शुभारंभ वैधृति योग के साथ हो रहा है। इससे शिव की पूजा का शीघ्र फल मिलेगा। साथ ही तीन सोमवार सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ आएंगे जो शिवभक्तों को श्रेष्ठ फल देंगे।

इस श्रावण में परम पावन एकादशी भी गुरुवार को आएंगी जो विद्या एवं मोक्ष का वरदान देंगी। इसके अलावा 7 अगस्त को चंद्रग्रहण है, परंतु शिवभक्तों को इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि शिव ही चंद्र के स्वामी हैं। जो इस मास में उनका विधिपूर्वक पूजन करेगा, शिव उसके समस्त दोष एवं दुख दूर कर देंगे।

पंचागीय गणना के अनुसार करीब 20 साल बाद श्रावण-भादौ मास में सोमवार के दिन महापर्व और त्योहारों का अनुक्रम बन रहा है। 10 जुलाई को सोमवार के दिन श्रावण मास की शुरुआत होगी। सोमवार के दिन ही रक्षाबंधन और स्मार्तमत के अनुसार जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी।
भगवान महाकाल की शाही सवारी के दिन सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। इससे पहले 1997 में इस प्रकार का संयोग बना था। महाकाल की नगरी उज्जयिनी में श्रावण-भादौ मास में सोमवार के दिन महापर्वों का संयोग धर्म आध्यात्म की दृष्टि से श्रेष्ठ है। 10 जुलाई को सोमवार के दिन शिव के प्रिय श्रावण मास की शुरुआत होगी।

इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तथा सायंकाल सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। यह स्थिति मास पर्यंत शिव उपासना के लिए श्रेष्ठ है। इसके अलावा 7 अगस्त 2017 सोमवार को रक्षा बंधन है। इस दिन चंद्रग्रहण भी होगा | इस दिन दिन चन्द्रमा श्रावण नक्षत्र और मकर राशि में होगा |

इसके बाद 14 अगस्त 2017 को स्मार्तमतानुसार महाकाल, गोपाल मंदिर तथा सांदीपनि आश्रम में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 21 अगस्त सोमवार को भगवान महाकाल की शाही सवारी के साथ सोमवती अमावस्या है।

इस दिन रामघाट पर शिप्रा तथा सोमतीर्थ पर स्नान के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु आएंगे। सावन का महीना जिसमें भगवान शंकर की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यूं तो भगवान शंकर की पूजा के लिए सोमवार का दिन पुराणों में निर्धारित किया गया है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, उसके बाद सावन के महीने में आनेवाला प्रत्येक सोमवार, फिर हर महीने आनेवाली शिवरात्रि और सोमवार का महत्व है। पर सावन के महीने की तो विशेष मान्यता है।

सावन माह में शिवभक्त श्रद्धा तथा भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं. सावन माह में शिव की भक्ति के महत्व का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है.

चारों ओर का वातावरण शिव भक्ति से ओत-प्रोत रहता है. शिव मंदिरों में शिवभक्तों का तांता लगा रहता है. भक्तजन दूर स्थानों से जल भरकर लाते हैं और उस जल से भगवान का जलाभिषेक करते हैं| जानिए क्या है सावन की मान्यता ??? ऐसी मान्यता है कि प्रबोधनी एकादशी (सावन के प्रारंभ) से सृष्टि के पालन कर्ता भगवान विष्णु सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर अपने दिव्य भवन पाताललोक में विश्राम करने के लिए निकल जाते हैं और अपना सारा कार्यभार महादेव को सौंप देते है।

भगवान शिव पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दुःख-दर्द को समझते है एवं उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं, इसलिए सावन का महीना खास होता है।

शिव को सावन ही क्यों प्रिय है?

महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांएं चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है।

हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गयें हैं।

जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है,

उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है।

श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराज मान है।

जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है।

सूर्य गर्म है एवं चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश होती है।

जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठण्डक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।


पंडित भुबनेश्वर 

कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना 

9893946810

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