भारतीय संस्कृति के अनुसार अगर कोई अनजान व्यक्ति भी भूले-भटके हमारे घर आ जाए तो उसे भी मेहमान ही समझना चाहिए और यथासंभव उसका सत्कार करना चाहिए।
मनु स्मृति के अनुसार कुछ लोगों को कभी मेहमान नहीं बनाना चाहिए और यदि ऐसे लोग दिख भी जाएं तो उनसे नमस्ते भी नहीं करना चाहिए। ये लोग कौन हैं और इन्हें क्यों मेहमान नहीं बनाना चाहिए, जानिए-
श्लोक पाषण्डिनो विकर्मस्थान्बैडालव्रतिकांछठान्। हैतुकान्वकवृत्तींश्च वाड्मात्रेणापि नार्चयेत्।।
अर्थात्-
1. पाखंडी, 2. दुष्ट कर्म करने वाला, 3. दूसरों को मूर्ख बनाकर उनका धन लूटने वाला, 4. दूसरों को दुख पहुंचाने वाला व 5. वेदों में श्रद्धा न रखने वाला।
इन 5 लोगों को अतिथि नहीं बनाना चाहिए और इनका शिष्टाचार पूर्वक स्वागत भी नहीं करना चाहिए।
1. पाखंडी जो लोग अपने मूल स्वभाव को छुपाकर स्वयं को सज्जन दिखाने का प्रयास करते हैं, ऐसे लोग पाखंडी होते हैं। ऐसे लोग धर्म के नाम पर लोगों के साथ छल करते हैं और उनका धन, वैभव आदि छिन लेते हैं। ऐसे लोग अपने निजी हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और अपने परिवार, मित्र, हितैशी आदि का भी नुकसान कर सकते हैं। इसलिए मनु स्मृति के अनुसार पाखंडी लोगों को कभी मेहमान नहीं बनाना चाहिए।
2. दुष्ट कर्म करने वाला ऐसे लोग जो लूट-पाट, डकैती, चोरी आदि बुरे काम करते हैं तथा बलपूर्वक लोगों की संपत्ति पर अधिकार करते हैं, को कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए। ऐसे लोग अपना हित साधने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अतिथि बनकर आने पर यह आपकी संपत्ति पर भी हाथ साफ कर सकते हैं। ऐसे लोग योजनाबद्ध तरीके से आपके घर व जमीन आदि पर कब्जा भी कर सकते हैं। अगर आप इनकी योजना जान जाएं तो ये आपका अहित करने से भी चूकते। इसलिए दुष्ट कर्म करने वाले लोगों को कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए
3. दूसरों को मूर्ख बनाकर उनका धन लूटने वाला जो लोग दूसरों को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में उलझाकर उनका धन हड़प लेते हैं, ऐसे लोगों को भी कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए। ऐसे लोग खास तौर पर महिलाओं व बुजुर्गों को अपना शिकार बनाते हैं और रुपया-पैसा दोगुना करने का लालच देकर उनका माल हड़प लेते हैं। यदि इनकी नजर आपकी धन-संपत्ति पर पड़ जाए तो ये आपको भी बहला-फुसलाकर अपना हित साध सकते हैं। ऐसे लोग समय आने पर अपने-पराए का भेद भी भूल जाते हैं और जान-माल का नुकसान भी कर सकते हैं। इसलिए दूसरों को मूर्ख बनाकर उनका धन लूटने वालों को कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए।
4. दूसरों को दुख पहुंचाने वाला आमतौर पर लोग दूसरों का दुख बांटने की कोशिश करते हैं मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें दूसरों को दुखी देखकर आनंद आता है। ऐसे लोग अक्सर अन्य लोगों को किसी न किसी रूप में दुख पहुंचाने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को अगर घर पर अतिथि बनाकर बुलाया जाए तो निश्चित रूप से ये आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को दुख पहुंचाने की कोशिश करेंगे। महिलाओं व बच्चों का स्वभाव पुरुषों की अपेक्षा कुछ नरम होता है। ये लोग इस बात का फायदा उठाकर उन्हें भी दुख पहुंचा सकते हैं। इसलिए ऐसे लोग जो दूसरों को दुख पहुंचाते हों, को कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए।
5. वेदों में श्रद्धा न रखने वाला जो व्यक्ति वेदों में श्रद्धा नहीं रखता, वह नास्तिक होता है। ऐसे लोगों अधार्मिक कार्यों को करने वाले हो सकते हैं। इन्हें सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों का ज्ञान नहीं होता। अनजाने में ही कई बार ऐसी बातें कह जाते हैं जो परिवार के सामने नहीं कहनी चाहिए या जिससे किसी का मन दुख सकता है। ऐसी स्थिति में वाद-विवाद होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे लोगों के घर में आने से नकारात्मक ऊर्जा (नेगेटिव एनर्जी) अधिक हो जाती है व सकारात्मक ऊर्जा (पॉजिटिव एनर्जी) का स्तर कम हो सकता है। अतः जो व्यक्ति वेदों में श्रद्धा न रखता हो, उसे कभी अतिथि नहीं बनाना चाहिए।
No comments:
Post a Comment