Saturday, 27 May 2017

रीती रिवाज जरूरी है शादी में

आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ रीति रिवाजों के बारे में।

1. सगाई की अंगूठी पहनाना

शादी से पहले की सबसे खास रस्म होती है सगाई। हिन्दू धर्म के अनुसार सगाई वाले दिन वर-वधु एक दूसरे को बाएं हाथ की चौथी उंगली (अनामिका उंगली) में अंगूठी पहनाते हैं। सगाई की रस्म अंगूठी पहनाकर ही सम्पन्न होती है।

वैज्ञानिक तर्क :-

शरीर विज्ञान के अनुसार बायें हाथ की चौथी उंगली में एक ऐसी नस होती है जो सीधे दिल से जुड़ी होती है। इस उंगली में अंगूठी पहनने पर उस नस पर दबाव पड़ता है जिससे दिल तक रक्त संचार सुचारू रूप से होता है और दिल मजबूत होता है।तथा अंगूठी पहनाने वाले की याद दिलमें हमेशा रहती है और उसके लिए प्यार बना रहता है।

2. शरीर पर हल्दी का लेप लगाना शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी का लेप लगाया जाता है
परम्परा के अनुसार शादी से पहले हल्दी लगाने पर चेहरे पर निखार आता है तथा वर-वधु बुरी नजर से बचे रहते हैं।

वैज्ञानिक तर्क :-

हल्दी में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं तथा हल्दी एंटी-सेप्टिक भी होती है। हल्दी लगाने से त्वचा सम्बन्धी रोग, इन्फैक्शन या शारीरिक दर्द बहुत जल्दी ठीक हो जाते है तथा चेहरे और त्वचा पर प्राकृतिक निखर आता है। हल्दी लगाने से वर-वधु को शादी के समय थकान महसूस नही होती है।

3. हाथ पैरों पर मेंहदी लगाना

शादी से पहले दूल्हा तथा दुल्हन के हाथ पैरों में मेहंदी लगाई जाती है। परम्परा के अनुसार मेहंदी लगाना शुभ होता है। मान्यता के अनुसार हाथों में मेहंदी का रंग जितना गहराचढ़ता है, वर तथा वधु के बीच उतना ही गहरा प्यार होता है। इसलिये मेहंदी को शगुन माना गया है।

वैज्ञानिक तर्क :-

विज्ञान के अनुसार मेहंदी में एंटिसेप्टिक गुण होते हैं। मेहंदी लगाने से शरीर को ठंडक मिलती है जिससे तनाव, सिरदर्द और बुखार से राहत मिलती है। इसलिये शादी से पहले इन बीमारियों से बचाने के लिए वर तथा वधु को महंदी लगाई जाती है।

4. अग्नि के चारों ओर फेरे लेना

शादी की सबसे मुख्य रस्म है अग्नि के चारो ओर सात फेरे लेना। जब तक यह रस्म पूरी नही हो जाती तब शादी नही मानी जाती है। इसीलिए वर तथा वधु अग्नि के चारो ओर चक्कर लगाकर सात फेरे लेते हैं।

वैज्ञानिक तर्क :-

अग्नि जलाने से नकरात्मक ऊर्जा दूर होती है। अग्नि में आम, चन्दन की लकड़ियाँ, घी, चावल, सामग्री आदि चीजें डाली जाती हैं जिनके जलने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है तथा शांति का माहौल बनता है। जिससे वहाँ उपस्थित लोंगो के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है तथा मानसिक शांति मिलती है तथा वर वधु में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे भी पढ़ें :-

5. मांग में सिंदूर भरना

हिन्दू धर्म के अनुसार शादी के दिन दूल्हा, दुल्हन की मांग में सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नि स्वीकार करता है। जिसके बाद दुल्हन हमेशा अपनी मांग में सिंदूर भरती है। मांग में सिंदूर भरा होना शादीशुदा होने का प्रतीक है।

वैज्ञानिक तर्क :-

शरीर विज्ञान के अनुसार मांग भरने वाली जगह पर यानि माथे से लेकर सिर के बीच तक दिमाग की एक बहुत महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील ग्रंथी होती है जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। जब इस जगह सिंदूर लगाया जाता है तो यह एक औषधि का कार्य करता है।जिससे दिमाग शांत रहता है। शादी के बाद महिला पर गृहस्थी का दबाव आ जाता है जिससे उसे तनाव, चिंता अनिद्रा, सिरदर्द आदि बीमारियाँ घेर लेती हैं। सिंदूर में हल्दी, चूना तथा पारा होता है। पारा दिमाग को ठंडा रखता है। इसलिये मांग में सिंदूर भरा जाता है। ताकि इन बीमारियों से बचा जा सके। दूसरा कारण ये भी है कि पारे की वजह से पत्नि के मन में सेक्स की इच्छा बनी रहती है जो शादीशुदा जिन्दगी के लिए बहुत जरूरी है। और इसी वजह से कुँवारी लडकियाँ तथा विधवा स्त्रियाँ अपनी मांग में सिंदूर नही भरती हैं।

6. हाथों में चूड़ियाँ पहनना

भारतीय संस्कृति के अनुसार स्त्रियों का शादी के बाद चूड़ियाँ पहनना बहुत जरूरी है। चूड़ियाँ सुन्दरता में भी चार चाँद लगा देती हैं। मान्यता के अनुसार चूड़ियाँ पति के नाम की पहनी जाती है।

वैज्ञानिक तर्क :-

हाथों की कलाइयों में कई एक्यूप्रेशर बिन्दु (Points) होते हैं। चूड़ियों से इन बिंदुओं पर pressure पड़ता है जिससे Blood Circulationसही रहता है। जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

7. पैरो की उंगलियों में बिछुवे पहनना

शादी के बाद स्त्रियाँ पैर की दूसरी उंगली में बिछुवे पहनती हैं। जो धर्म परम्परा है तथा सुन्दरता का प्रतीक है और एक श्रंगार भी है।

वैज्ञानिक तर्क :-

पैर की दूसरी उंगली में एक नस होती है जो गर्भाशय से होती हुई दिल तक जाती है। बिछुवे पहनने से इस नस पर दबाव पड़ता है जिससे गर्भाशय तथा दिल तक रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। जिससे गर्भाशय मजबूत बनता है तथा मासिक धर्म का चक्र नियमित रहता है। दूसरा कारण ये भी है कि बिछुवे चांदी के होते है और चांदी ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।

जो पृथ्वी से ऊर्जा ग्रहण करके स्त्रियों के शरीर में प्रवाहित करती है।

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