बालक के जन्म लेते ही लोगों में सामान्य जिज्ञासा होती है की बच्चे के पाये (पैर) कौन से हैं.
ज्योतिष में नक्षत्र अनुसार बालक के पायों का निर्धारण होता है.
पाये चार प्रकार के होते हैं
स्वर्ण,
लौह,
रजत
और ताम्र.
नक्षत्रानुसार इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से है –
1. स्वर्ण पाया (सोने के पैर) –
रेवती से तीन नक्षत्र आगे यानि रेवती, अश्विनी और भरणी नक्षत्र में जन्म हो तो बालक के पाये स्वर्ण के माने जाते हैं. स्वर्ण पाया मध्यम शुभ माना गया है.
2. लौह पाया (लोहे के पैर) –
कृतिका से तीन नक्षत्र आगे यानि कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का जन्म लौह पाया कहलाता है. लौह पाये का जन्म अशुभ और हानिकारक माना जाता है.
3. रजत पाया (चांदी के पैर) –
आर्द्रा से बारह नक्षत्र आगे यानि आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा और अनुराधा नक्षत्र में जन्म रजत पाया जन्म होता है. रजत पाये का जन्म शुभ और श्रेष्ठ माना गया है.
4. ताम्र पाया (तांबे के पैर) –
ज्येष्ठा से नौ नक्षत्र आगे तक का जन्म ताम्र पाया कहलाता है. जैसे ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तराभाद्रपद. ताम्र पाये का जन्म सामान्य शुभ माना जाता है. श्रेष्ठता का क्रम यदि निर्धारित करना हो तो प्रथम रजत, द्वितीय ताम्र, तृतीय स्वर्ण और चतुर्थ स्थान पर लौह पाया होता है.
पंडित
bhubneshwar
कस्तूरवा नगर पर्णकुटी गुना
9893946810
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