Thursday, 20 April 2017

अक्षयतृतीया का विश्लेषण और परशुराम जयंती का विश्लेषण

ज्योतिषाचार्य भुबनेश्वर पर्णकुटी बालो के अनुसार
परशुराम जयंती और  अक्षयतृतीया का विश्लेषण
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                            (  १ )
             सूत्र क्या है सिधान्त क्या है

१】तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए। जबकि 29 तारीख को  06बजकर 55 मिनिट तक है यानि 2 घड़ी 03 पल है   1 घड़ी 24 मिनिट की होती है  जो रोहिणी नक्षत्र युक्त है । उदया तिथि भी 29 तारीख को ही है।

२】धर्मसिन्धु  और निर्णय सिंधु के पेज 188 अनुसार   लिखा है की

श्लोकः

इयमेव तृतीया परशु राम जयंती ।
सा प्रदोष व्यापनी ग्रार्हया।
इसका मतलव प्रदोष काल  के समय जो तिथि हो  उसे ग्रहण करे क्योकि परशु राम जी का जनम रात्रि के पहले पहर में हुआ है और उस समय तृतीया तिथि थी  जो की 28 तारीख को है ।

३】स्कन्द एबम भविष्य पुराण में

  श्लोक

बैशाखस्य सिते पक्षे तरतियायां पुनर्वसौ।
निशायां प्रथमे यामे रमाख्या समये हरी।।

अर्थ=

मतलव ये हुआ की  बैशाख के शुक्लपक्ष  की तृतीया में पुनर्वसु नक्षत्र में और रात्रि  के प्रथम पहर में रेणूका के गर्भ से स्वयं हरी ने  अवतार लिया इसका मतलव की परशुराम जयन्ती  मनाने के लिए पुनर्वसु नक्षत्र का होना जरुरी और तिथी प्रदोष व्यपनी हो।

अत:28 तारीख को पुनर्वसु की जगह कृतिका नक्षत्र है । 
लिकिन तिथि प्रदोष व्यापनि है जो  की तारीख 28 को बन रही है  । अगर किसी तिथि की दो दिन में उसकी प्राप्ति हो  अंशत:तो  भी  पूर्वा ही ले ।

】यह तृतीया अपराह्न व्यापिनी लेना चाहिए। ऐसा पदम पुराण में भी बताया है।

यानी दोपहर के समय जो  तृतीया तिथि  है उसी को अपरान्ह व्यापनि कहेंगे ।

ये हुआ परशु राम जयंती का सूत्र

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अब बात करते  हैअक्षय तृतीया की की अक्षय तृतीया
का सूत्र क्या है

निर्णय सिंधु

तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए। जबकि 29 तारीख को  06 बजकर 55 मिनिट तक है यानि 02 घड़ी 03 पल है   01घड़ी 24 मिनिट की होती है  जो रोहिणी नक्षत्र युक्त है । उदया तिथि भी 29 तारीख को ही है।

बैशाखे शुक्लपक्षे तू तृतीया रोहिणी युता।

अर्थ=

मतलव बैशाख की तृतीया रोहणी नक्षत्र से युक्त हो केवल उसी में गौरी ब्रत करे क्योकि ये तिथि गौरी पूजन की भी है ।

६】दूसरी बात

निर्णय सिंधु  देवी पुराण में पेज 186 लिखा है
की 

तरतियायां तू बैशाखे  रोहिंणिर्यक्ष प्रपूज्य तू
उद कुम्भप्रदानेन् शिवलोके महीयते ।।

अर्थ = बैशाख मास के शुक्ल पक्ष में तृतीया और रोहणी नक्षत्र के  योग में  जल से भरे घड़े को भर कर दान करने वाला  शिव लोक को जाता है  जो की तारीख 29 को बनेगा 

'७】निर्णय सिन्धु' में वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगा स्नान का महत्व बताया है -

बैशाखे शुक्लपक्षे तु तृतीयायां तथैव च।
गंगातोये नर: स्नात्वा मुच्यते सर्वकिल्विषै: ॥

बैशाख की अक्षय तृतीया को गंगा में स्नान करने समस्त पाप नष्ट हो जाते है

】 निर्णय सिंधु में पेज नंबर 183 पर स्पस्ट लिखा है

गौरी ब्रत में द्वतिया वेध कला काष्ठादि रूप से भी त्याज्य है जो इसलिए अक्षय तृतीया28 तारीख को नही मानी जा सकती 
क्योकि 28 तारीख  को तृतीया द्वतिया युक्त है

निर्णय सिंधु पेज 184

  गौरी विनायकौपेता रोहिणी बुधसयुता।
बिनापिरोहिनीयोगातपुण्डयकोटिप्रदा सदा।।

अर्थ  गौरी विनायकोपेता का मतलव  =
तृतीया अगर चतुर्थी युक्त हो और रोहिणी नक्षत्र और बुधबार हो तो करोड़ो फलो को देने वाली है।
 
इससे सिद्ध होता है की परशुराम जयंती 28 तारीख को

और अक्षय तृतीया  तृतीया 29 को मानी जाना चाहिए
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28 तारीख को रोहिणी नक्षत्र  प्रारम्भ  =10:39से

दूसरे दिन  29 तारीख को

सूर्य उदय से 10 बजकर 56 मिनट 22 सेकंड तक रहेगा।

तृतीया तिथि प्रारम्भ= 10:29 on 28/Apr/2017

तृतीया तिथि समाप्त् = 06:55 on 29/Apr/2017

】इस दिन सूर्योदय प्रातः 6:02 मिनट पर है।

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                           (  2 )
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क्या करें अक्षय तृतीया का दिन–????

१०】अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल प्रदान करता है।

१०】इस दिन दान एंव उपवास करने हजार गुना फल मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन महालक्ष्मी की साधना विशेष लाभकारी एंव फलदायक सिद्ध होती है।

११】इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।

सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥

१२】अर्थात सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय है वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। उनकी साक्षी में किया गया धर्म-कर्म व दिया गया दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा गया है।आखातीज अबूझ मुहूर्त मानी गई है। अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है।

१३】हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते है, लेकिन शास्त्रीय मान्यता अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ हैं।

१४】इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।

१५】प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।

१६】ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

१७】इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।

१८】आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।

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शास्त्रों में अक्षय तृतीया का वर्णन/

जानकारी —–

१९】इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।

२०】इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।

२१】नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।

२२】श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।

२३】हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।

२४】वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।

2५】पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया के दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है। इसी दिन महाभारत युद्ध की समाप्ति तथा द्वापर युग प्रारम्भ हुआ था।
भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।

२६】भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।

२७】ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।  हैं।

२८】अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।

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                                 ( ४ )
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यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आपके ऊपर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से प्रारंभ किया जा सकता है।

उपाय——

२९】अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जप करें-

“”ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।””

प्रत्येक दिन सात बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा। यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।

तंत्र शास्त्र के अंतर्गत अनेक समस्याओं का समाधान निहित है। यह साधारण तंत्र उपाय जल्दी ही परिणाम देते हैं। यदि आपकी कोई परेशानी या जिज्ञासा हो तो आप हमें बताएं।
पंडित bhubneshwar  पर्णकुटी गुना
09893946810

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३०】अधिकांश माता-पिता और युवाओं की एक महत्वपूर्ण समस्या है सही समय पर विवाह। आधुनिकता की दौड़ में युवा अपने कैरियर को लेकर इतने व्यस्त रहते हैं कि उनकी शादी की सही आयु कब निकल जाती है उन्हें पता भी नहीं चलता। ऐसे में कई लोगों के लिए विवाह होना और मुश्किल हो जाता है।

हम यहां एक अचूक प्रयोग बता रहे हैं जिससे अविवाहित युवाओं की विवाह संबंधी समस्या का त्वरित निराकरण हो जाएगा।यह प्रयोग लड़के और लड़कियों दोनों द्वारा किया जा सकता है।

प्रयोग की विधि———-

इस प्रयोग को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। यह प्रयोग रात के समय किया जाना चाहिए।इसके लिए आप एक बाजोट / पटिये पर पीला कपड़ा बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस बैठ जाएं।मां पार्वती का चित्र अपने सामने रखें।अपने सामने बाजोट पर एक मुट्ठी गेहूं की ढेरी रखें। माता पार्वती  के सामने बैठ कर 108 बार इन चोपाईयो का नित्य पाठ करे

गौरी-पूजन
जय जय गिरिबरराज किशोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी ।।,
जय गजबदन सडानन माता ।
जगत जननि दामिनी दुति गाता ।।
नहिं तब आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहीं जाना ।।
भव भव विभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहिनी स्वबस बिहारिनी ।।
मोर मनोरथ जानहु निकें ।
बसहु सदा उर पुर सबही कें ।।
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं ।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं ।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी ।
खसी माल मूरति मुस्कानी ।।
सादर सिंय प्रसादु सिर धरेउ ।
बोली गौरि हरषु हिय भरेऊ । ।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी ।।

एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली

लड़कों के लिए मंत्र——

पत्नी मनोरमा देहि मनोवृत्तानुसारणीम ।
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोभ्द्वाम ।।

अर्थात्
हे देवी ! मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली पत्नी
प्रदान करो ,जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा
उत्तम कुल मै उत्पन्न हुई हो ।
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३१】विष्णुधर्ममें उल्लेख है।

पंडित भुबनेश्वर  पर्णकुटी के अनुसार बैशाख मास में पडऩे वाली दूसरी आखातीज के मुहूर्त विशेष में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य संपन्न कराए जा सकते हैं।
आखातीज के मुहूर्त में महत्व का कारण उसका सूर्य मेष राशि में स्थित होना है। इसके साथ चंद्रमा वृषभ राशि में संचरण करते हैं। सूर्य मेष राशि में उच्च के रहने एवं चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च के रहने से यह श्रेष्ठ समय माना गया है।

चंद्रमा व सूर्य प्रधान ग्रह हैं, जिनकी उच्च स्थिति होने से सभी स्थितियां अनुकूल हो जाती हैं। इससे विवाहादि आदि मांगलिक कार्यों व देव प्रतिष्ठा में सूर्य-चंद्रमा का बलवान होना आवश्यक होता है।इसके कारण वार, नक्षत्र, योग, करण आदि का दोष नहीं लगता।

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३२】आप चाहें तो अक्षय तृतीया के दिन एक टोटका करके यह जान सकते हैं कि आने वाले साल में आपकी आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी।

इसके लिए आपको सिर्फ पांच रुपए खर्च करने होंगे। आज के दिन पांच रुपए का साबुत धनिया खरीदें।

इसे संभालकर पूजा घर में रख दें। रात को लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें। माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है।

धनिया का पौधा हरा भरा लेकिन पतला है तो सामान्य आय का संकेत होता है। पीला और बीमार पौधा निकलता है या पौधा नहीं निकलता है तो आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

देश के कुछ भागों में यह टोटका काफी प्रचलित है। आप भी
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३३】अपनी राशि के अनुसार उपाय कीजिए और पाएं मां लक्ष्मी की कृपा।

मेष राशि

के लिए धन वृद्घि का आसान तरीका
जिनकी जन्म राशि मेष है उन्हें लाल कपड़े में सवा पाव या सवा किलो मसूर दाल बांधकर व्यावसायिक प्रतिष्ठान में रखना चाहिए। नौकरी पेशा व्यक्ति दाल को पूजा स्थान में रख सकते हैं। दाल का दान भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा।

वृषः

तब धन वृद्घि का योग बनेगा वृष राशि में जन्मे व्यक्तियों के स्वामी ग्रह शुक्र सुख प्रदान करने वाले ग्रह हैं। इस राशि के व्यक्तियों को अक्षय तृतीया के दिन एक कलश में जल भरकर दान करना चाहिए। न वृद्घि के लिए सफेद बर्तन में गंगा का जल भरकर सफेद कपड़े से उसका मुंह बंद कर दें। इसे घर में पूजा स्थान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में रखने से धन वृद्घि का योग बनेगा।

मिथुनः

सुख और धन बढ़ेगाबुध की राशि मिथुन में जिनका जन्म हुआ है उन्हें मूंग की दाल दान करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन कांसे के बर्तन में हरा कपड़ा लपेटकर पूजा स्थल में रखें इससे राशि स्वामी की स्थिति मजबूत होगी। सुख और धन बढ़ेगा।

कर्क :

आय बढ़ेगा, व्यय में कमी आएगीचन्द्रमा की राशि कर्क में जन्मे व्यक्तियों को
अक्षय के तृतीया के दिन चांदी में मोती धारण करना चाहिए। चांदी का एक सिक्का जल में रखकर पूर्व दिशा में रखने से आय बढ़ेगा। व्यय में कमी आएगी।

सिंहः

स्वास्थ्य और धन का लाभसूर्य की राशि सिंह में जिनका जन्म हुआ है
उन्हें अक्षय तृतीया के दिन सुबह सबसे पहले उगते हुए सूर्य को जल देना चाहिए। इसके बाद गुड़ का दान करें। किसी बर्तन में समुद्री अथवा सेंधा नमक डालकर घर में घुमाएं और इसे पूजा स्थान में कहीं रख दें। स्वास्थ्य और धन का लाभ बढ़ेगा।

कन्याः
दान से बढ़ेगा धन बुध की दूसरी राशि कन्या में जिनका जन्म हुआ है उन्हें कपूर की बाती जलाकर पूरे घर में घुमाना चाहिए। हरी चूडियां, ऋंगार समान और मूंग की दाल दान कर सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन पन्ना धारण करना आपके लिए बहुत ही शुभ रहेगा।

तुलाः

सुखदायक और उन्नति प्रदान करने बालातुला राशि के व्यक्तियों को धन वृद्घि के लिए
अक्षय तृतीया के दिन सफेद वस्त्र का दान करना चाहिए। हीरा अथवा जर्कन धारण करना आपके लिए सुखदायक और उन्नति प्रदान करने वाला होगा। घर में अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठान में सफेद रंग की मूर्ति स्थापित करें।

वृश्चिक राशिः

धन वृद्घि के लिए अनुकूलइस राशि के व्यक्तियों को एक शीशी में शहद भरकर उसे लाल कपड़े में लपेटकर घर के दक्षिण भाग में रह देना चाहिए। इस दिन मूंगा धारण करना आपके स्वास्थ्य और धन वृद्घि के लिए अनुकूल रहेगा।

धनुः

धन वृद्घि के लिए करें यह उपाय गुरु की इस राशि में जिनका जन्म हुआ है उन्हें पीले कपड़े में हल्दी लपेटकर पूजा स्थान में रखना चाहिए। आपके लिए अच्छा रहेगा कि कोई धार्मिक पुस्तक श्रद्घालुओं में बांटे। बूंदी के लड्डू दान करना भी शुभ रहेगा।

मकरः

शनि से पाए धन का आशीर्वादआपके राशि के स्वामी शनि हैं। अक्षय तृतीया के दिन किसी बर्तन में तिल का तेल भरकर काले कपड़े में लपेट लें। इसे घर के पूर्वी भाग में रखें। इसके बाद ग्यारह बार दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। यह आपके भाग्य को बलवान बनाएगा। प्रयास के अनुरुप धन बढ़ता जाएगा।

कुंभः
अक्षय तृतीया इस काम के लिए उत्तमहैआपकिसी भीखारी या जरुरतमंद को आर्थिक दान दें। इससे भाग्य को बल मिलेगा। तिल, लोहा, नारियल का दान भी आपके लिए अनुकूल रहेगा। धन और सुख के लिए नीलम धारण कर सकते हैं। अक्षय तृतीया इस काम के लिए उत्तम है।

मीनः

धन और सम्मान दोनों बढ़ेगा  पीले रंग के वस्त्र में पीला सरसों और कुछ सिक्के बांधकर पूजा स्थान में उत्तर पूर्व दिशा की ओर रखें। किसी बुजुर्ग व्यक्ति को वस्त्र दान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। पिता और गुरु का कभी अपमान न करें, धन और सम्मान दोनों बढ़ेगा।

पंडित
bhubneshwar
पर्णकुटी गुना
09893946810

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