Thursday, 2 March 2017

होलिका दहन मुहूर्त 12 मार्च 2017 लिंक ओपन करे


होलिका दहन १२वाँ मार्च २०१७ (रविवार)

होलिका दहन पूजा होलिका दहन मुहूर्त

होलिका दहन मुहूर्त = १८:२३ से २०:२३

अवधि = १ घण्टा ५९ मिनट्स

भद्रा पूँछ = ०४:११ से ०५:२३
भद्रा मुख = ०५:२३ से ०७:२३

रंगवाली होली १३th, मार्च को

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ =

११/मार्च/२०१७ को २०:२३ बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त =

१२/मार्च/२०१७ को २०:२३ बजे

होलिका दहन के दिन का पञ्चाङ्ग होलिका दहन के दिन का चौघड़िया मुहूर्त

टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी नई दिल्ली के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।

होलिका दहन २०१७ हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन,

१】जिसे होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना चाहिये।

२】भद्रा, जो पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है, के समय होलिका पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिये।

३】सभी शुभ कार्य भद्रा में वर्जित हैं।

४】होलिका दहन के मुहूर्त के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये -

५】भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है।

६】यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये।

७】यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।

८】परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये।

९】धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है।

१०】धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है।

११】किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है।

१२】कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।

१३】होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है।

१४】यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।

१५】इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त धर्म-शास्त्रों के अनुसार निर्धारित है।

१६】हम होलिका दहन के श्रेष्ठ मुहूर्त को प्रदान कराते हैं।

१७】इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त हमेशा भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है क्योंकि भद्रा मुख में होलिका दहन सर्वसम्मति से वर्जित है।

१८】होलिका दहन के साथ-साथ इस पृष्ठ पर भद्रा मुख और भद्रा पूँछ का समय भी दिया गया है जिससे भद्रा मुख में होलिका दहन से बचा जा सके।

१९】यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है।

२०】रंगवाली होली, जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है, होलिका दहन के पश्चात ही मनायी जाती है और इसी दिन को होली खेलने के लिये मुख्य दिन माना जाता है।

सम्पर्क सूत्र
पंडित =भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना
9893946810

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