१.मोरपंख को अपने शयन कक्ष एवम कार्यालय में रखे |
२सुर्य ग्रहण , चन्द्र ग्रहण , अमावस्या अथवा नागपंचमी के दिन एक ताम्बे का बड़ा सर्प सुबह सूर्योदय से पहले शिवलिंग पर गुप्त रूप से चढ़ाये उसके पश्चात् चाँदी का रेंगता हुआ सर्प बना कर उसके मुख पर गोमेद और पूंछ पर लहसुनिया जड्वाकर सर पर से सात बार उतार कर बहते जल में प्रवाहित करे |
३ ताम्बे के एक कलश में काले तिल और सर्प सर्पिनी का जोड़ा रखकर कुछ जल भरकर अमावस्या के दिन शिवलिंग पर अर्पित करे
४. वर्ष में एक बार बुधवारी अमावस्या या नागपंचमी के दिन व्रत रखकर राहु के मंत्रो का जप कराकर उसका दशांश हवन कराये |
५ नव नाग स्तोत्र का ९ बार पाठ चन्दन की अगरबत्ती जलाकर करे
अनन्तं वासुकी शेषम पद्मनाभम च कम्बलम | संखपाल धर्त राष्ट्रं तक्षकं कालिय्म तथा ||
एतानि नव नामानि नागानं च महात्मनाम | सायकले पठें नित्यं प्रात काले विशेषत | तस्य विषभय नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ||
५..पाँच सूखे जटा वाले नारियल सर पर से सात बार उतार कर जल प्रवाह करने से राहत मिलती हैं |
६. नाग पंचमी के दिन व्रत रखकर उसी दिन नाग प्रतिमा की अंगूठी पूजा कर धारण करे |
७..वर्ष में एक बार रुद्राभिषेक कराये पर भी राहत प्राप्त होती हैं
८ .प्रतिदिन स्नान के उपरांत धुप दीप जलाकर नवनाग गायत्री मंत्र का १०८ बार जप करने से भी राहत प्राप्त होती हैं
मंत्र .
.ॐ नव नागाय विद्महे विष दन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात |
९..यदि स्वपन में सांप दिखाई देता हो और उससे भय बना रहता हो तो निम्न मंत्र का संध्या कल में १०८ बार जप दीप जलाकर करे
मंत्र .
.नर्मदाये नमह प्रातन्दाये नमो निशि | नमोअस्तु नर्मदे तुभ्यम त्राहि मम विष सर्पतः
१०..प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत भगवन शिव का ध्यान करते हुए शिव चालीसा का पाठ करे तो भी कालसर्प दोष से राहत प्राप्त होती हैं
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