Saturday, 7 January 2017

makar sankaranti punya kaal muhurt 2017

Makar Sankranti Punya Kaal Muhurta 2017 Makara Sankranti

Phalam Punya Kaal Muhurta = 07:44 to 12:12

Duration = 4 Hours 27 Mins

Mahapunya Kaal Muhurta = 07:44 to 09:13

Duration = 1 Hour 29 Mins Panchang for Makara Sankranti Day

Choghadiya Muhurat on Makara Sankranti
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मकर संक्रांति 2017 2018 में फिर से 14 जनवरी को और वर्ष 2019 2020 में 15 जनवरी को मनाया जायेगा। यह क्रम 2030 तक चलता रहेगा।

 दिनांक 14 जनवरी 2017  2 शनिवार प्रात: 7:57बजे सूर्य धनु राशि से  मकर सक्रांति प्रवेश होगी  धनु से मकर राशि में प्रवेश करने के समय को  मकर सक्रांति कहते है  इसी पुण्डय काल बेला में स्नान  काने से   पुण्डय प्राप्त होता है  

अर्की का समय प्रात:०७:४४मिनिट से ९:१३तक रहेगा 

इसके वाद अन्य लोगो को वालक् बृद्ध रोगियो असहाय लोगो के लिए पुण्डय काल मुहूर्त 

अर्की का समय प्रत: ७:४४से दोपहर१२:१२ तक

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सक्रांति बाहन 

गर करणे

 हस्ति बाहनं,  =हाथी

गदर्भ उप बाहनं ,= गधा

 रक्त वस्रम्,=लाल कपडे 

धनुष आयुध, =धनुष

लोह पात्रं, =लोहे का  पात्र 

पय भक्षणं ,= दूध पीते हुए 

गोरोचन लेपनं, =शरीर पर गोरोचन लगाया हुआ 

पशु वर्ण, = पशु जैसा रंग

विल्वपुष्प,  =विलवपुष्प हाथ में लिए हुए 

मुकुट भूषणं,=मुकुट धारण किये हुए 

 श्वेत कंचुकी ,,= सफेद चोली पहने हुए 

प्रोणाअवस्था,=  बृद्ध अवस्था 

उपविष्टा स्थिति 

इस दिन से शुभ कार्यो का मुहूर्त समय प्रारम्भ हो जाता है।
विवाह, 
मुण्डन,
नवीन व्यापारं, 
ग्रह प्रवेश के लिये लोगो का शुभ मुहूर्त का इन्तजार समाप्त होता है।

इस पर्व को दक्षिण भारत में तमिल वर्ष की शुरूआत इसी दिन से होती है.
वहाँ यह पर्व 'थई पोंगल' के नाम से जाना जाता है.

सिंधी लोग इस पर्व को 'तिरमौरी' कहते है.

उत्तर भारत में यह पर्व 'मकर सक्रान्ति के नाम से

और गुजरात में 'उत्तरायण' नाम से जाना जाता है. 
मकर संक्रान्ति को पंजाब में लोहडी पर्व,

उतराखंड में उतरायणी,

गुजरात में उत्तरायण,

केरल में पोंगल,

गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता

मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुडे़ हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था.

इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है.

सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है.

महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था.

कहा जाता है कि आज ही के दिन गंगा जी ने भगीरथ के पीछे- पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी.

इसीलिये आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है.

मकर संक्रान्ति के दिन से मौसम में बदलाव आना आरम्भ होता है. यही कारण है कि रातें छोटी व दिन बडे होने लगते है.

सूर्य के उतरी गोलार्ध की ओर जाने बढने के कारण ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ होता है. सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढने लगती है.

इस दिन को देवता छ: माह की निद्रा से जागते है। 
भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक नयी शुरुआत का दिन होता है। 
मान्यता है कि पवित्र माघ मास में जो व्यक्ति नित्य भगवान विष्णु की तिल से पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, 
मकर सक्रांति के दिन तो भगवान विष्णु की तिल से अवश्य ही पूजा करनी चाहिए। 
ज्योतिष के अनुसार यदि इस दिन प्रभु सूर्यदेव को प्रसन्न करने पर विशेष फल मिलता है और भगवान सूर्यदेव को प्रसन्न करने के उपाय करने से व्यक्ति के किस्मत के दरवाजे निसंदेह ही खुल जाते हैं। 
मकर संक्रांति को सभी जातकों को चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही अपनी शय्या का त्याग करना चाहिए । 
फिर स्नान आदि करने के बाद उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे के जल में कुंकुम तथा लाल रंग के फूल डालकर अध्र्य दें। 
अध्र्य देते समय ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जप जरुर करते रहें। 
इस प्रकार सूर्य को अध्र्य देने से मन की सभी इच्छाएँ अवश्य ही पूर्ण हो जाती है । 
मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व है। 
हमारे शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए दान का सहस्त्रों गुना पुण्य प्राप्त होता है। 
इस दिन कंबल, 
गर्म वस्त्र, 
घी, 
दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी 
और तिल आदि का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है। 
इस दिन गरीबों को यथा सम्भव भोजन करवाने से उस घर में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं रहती है। 
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना बहुत शुभ माना जाता है। 
इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़ और पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाने से भी भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। 
मकर संक्रांति के दिन साफ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को दान देने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूँकि तांबा सूर्य की धातु है अत: मकर संक्रांति के दिन तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य के दोष कम होते है।
मकर संक्रांति में तिल के प्रयोग का विशेष महत्व है। इस दिन तिल से उबटन, जल में तिल डालकर स्नान आदि अवश्य करना चाहिए।
इस दिन तिल - स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक रोगी नहीं होता है। 
इसी लिए निरोगी शरीर की कामना करने वालें मनुष्य को तिल के उबटन से सुबह अवश्य ही स्नान करना चाहिए। 
देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है। तिल युक्त जल पितरों को देना,अग्नि में तिल से हवन करना, तिल खाना खिलाना एवं दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। 
तिल के दान से आपकी कुंडली के कई दोष दूर होते है , विशेष रूप से कालसर्प योग, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या, राहु-केतु के दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन तिल के लड्डुओं के साथ हरे मूंग और चावल की खिचड़ी का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। 
मकर संक्रांति के दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के पश्चात अपने पितरों को भी उनका स्मरण करते हुए तिलयुक्त जल देने से पितर प्रसन्न होते है एवं जातक पर उसके पितरों का सदैव शुभाशीष बना रहता है। 
इसी दिन राजा भागीरथी ने अपने पूर्वजों का तर्पण कर उनकी आत्माओं को तृप्त किया था । इस दिन पितरों के निमित किये गए तर्पण से पितर बहुत प्रसन्न होते है। उनके आशीर्वाद से जीवन में कोई भी संकट नहीं रहता है, हर तरह के सुखों की प्राप्ति होती है । 
मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके कुश के आसन पर बैठें। फिर अपने सामने चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर सूर्यदेव का चित्र, प्रतिमा या सूर्य यंत्र स्थापित करें। 
इसके बाद सूर्यदेव का पंचोपचार पूजन करें और भगवान सूर्य देव को गुड़ का भोग लगाएँ। 
पूजन में लाल फूल का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे किसी भी मंत्र का कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।
मंत्र - ऊँ भास्कराय नम: ।। ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।। भगवान सूर्य कि सदैव कृपा प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जप प्रत्येक रविवार को अवश्य ही किया जाना चाहिए।
ऐसा करने से यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य दोष है तो उसका प्रभाव भी कम होता है और शुभ फलों कि अवश्य ही प्राप्ति होती है। ध्यान रहे क्योंकि हिन्दू धर्म संस्कृति में मकर संक्राति का विशेष महत्व है अत: हर व्यक्ति को अपने जीवन में सभी अस्थिरताओं को दूर करने और जीवन में शुभ फलों कि प्राप्ति के लिए इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार जप,तप, दान पुण्य अवश्य ही करना चाहिए, इस शुभ अवसर को किसी को भी कतई गवाँना नहीं चाहिए ।
पंडित bhubneshwar अनुसार प्रायश्चित करने के लिए भी यह दिन अति उत्तम है।
मकर संक्रांति के दिन भगवान शंकर के सामने हाथों में काले तिल और गंगाजल लेकर संकल्प करें और अपनी गलतियों की क्षमा याचना करें। निश्चित रूप से भगवान गलतियों को क्षमा करेंगे और मनवांछित फल की प्राप्ति होगी। 
मकर संक्रांति के दिन गौ माता को तिल मिली हुई खिचड़ी खिलाने से शनि ग्रह और सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।। 
गौ माता को इस दिन खिचड़ी के साथ जो भी वस्तु खिलाई जाती है। उस ग्रह से संबंधित पीड़ा अवश्य ही कम होती है। इसलिए हर जातक को दान के साथ गाय को खिचड़ी अवश्य ही खिलानी चाहिए । 
इस दिन तीर्थों, मन्दिर, देवालय में देव दर्शन, एवं पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना एवं गोरोचन का तिलक लगाना श्रेयकर है। 
इस संक्रांति का सभी राशियों पर प्रभाव

मेष- सम्मान प्राप्त होगा 
वृषभ- अनजाना भय 
मिथुन- यश कीर्ति में वृद्धि 
कर्क- वाद विवाद का भय 
सिंह- लाभ मिले 
कन्या- मन में प्रसन्नता 
तुला- धन में वृद्धि 
वृश्चिक- हानि हो सके
धनु- उत्तम लाभ की प्राप्ति 
मकर- मनवाँछित सफलता मिले 
कुंभ- सर्वत्र सफलता-लाभ 
मीन- दुःख मिल सकता है

पंडित =bhubneshwar
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना

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