Thursday, 22 December 2016

सीढियां भवन के पाश्र्व में दक्षिणी व पश्चिमी भाग में दायीं ओर हो तो उत्तम है ।

सीढियां भवन के पाश्र्व में दक्षिणी व पश्चिमी भाग में दायीं ओर हो तो उत्तम है ।

सीढियों का द्वार पूर्व या दक्षिण दिशा में होगा तो भी शुभफलप्रद होता है ।

यदि सीढियां अन्य दिशाओं में, तथा घुमावदार बनानी पड़े तो सीढियां घड़ी की सुई की दिशा में याने बांये से दायीं ओर मुड़नी चाहिये ।

दक्षिण-पश्चिम भाग भारी हो इसके लिये इन दिशाओं में सीढियां बनाने का मत है । कुछ विद्वानों का मत है सीढियां उत्तर या पश्चिम में होनी चाहिये, मोड़ मध्य में होना चाहिये । अन्य मत यह है कि चढते समय मध्य बिन्दु तक व्यक्ति का मुख पश्चिम या दक्षिण में होवे तथा अंत में उत्तर, पूर्व में निकलना शुभ है ।

सुरक्षा की दृष्टि से सीढियां के ऊपरी भाग अथवा ऊपर नीचे दोनों जगह द्वार रखा जाय तो ठीक रहे परन्तु ध्यान रहे ऊपर वाले सुरक्षा द्वार की ऊँचाई आवास के दक्षिण पश्चिमी भाग से कम होवे ।

– क्लपर का द्वार नीचे के द्वार से १/१२ भाग कम होना चाहिये । सीढियां व पिलर, बीम की शुभ संख्या के लिये प्राचीन यह मत है।

संख्या के ३ भाग करें ।
पहला भाग इन्द्र का ॥ २ भाग जिंद (प्रेत) का ३ भाग राज का । इस तरह ३ का भाग देने पर २ बचे तो जिंद (राक्षस) भाग का होना चाहिये

ताकि अधिक भार वहन कर सके इसके साथ ही यह ध्यान रखना चाहिये कि सीढियों की संख्या विषम होवे ।

अतः सीढियों की संख्या ५, ११, १७, २३ संख्या में हो तो उत्तम रहे।
बीम की संख्या सम हो सकती है परन्तु जिंद का भाग आना चिहये ।
यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि सीढियां पूर्वी या उत्तरी दिशा की दीवारों को स्पर्श नहीं करें । कम से कम ३ इंच की दूरी होवे ।
अगर पुराने खरीदे मकान में सीढियां उत्तर पूर्व में बनी हो तो दक्षिण पश्चिम में एक कमरा बनाने से वास्तु दोष कम हो जाता है ।

दरवाजे या मेन गेट के सामने सीढियां नहीं होनी चाहिये

एक मारवाड़ी कहावत है – ‘जिसके सामने होवे नाल (सीढियां) उसके सिर पर काल ॥”

अगर सीढियां दक्षिणी भाग में बनाये, दक्षिण में बॉलकानी हो तो पूर्व में बालकॉनी बनाये । अगर पश्चिम भाग में हो पश्चिम में बालकॉनी हो तो उत्तर में बालकॉनी अवश्य बढाये ।
अगर एक से अधिक जगह सीढियां बनानी हो, बहुमंजिली इमारत में बाहर से अलग सीढियां बनानी हो तो मेनगेट के दाहिनी तरफ बनाये जैसे पूर्वमुखी मकान हो तो पूर्व दक्षिणी भाग में अलग सीढियां बना सकते है । दक्षिणमुखी मकान हो तो दक्षिणपश्चिमी भाग में अलग सीढियां बनाये ।

किसी भी तरह की सीढियां ईशान कोण में नहीं बनानी चाहिये ।
नैऋत्य कोण में भी कम काम में लेवे । यदि आवश्यकतावश नैऋत्य कोण में ही बनानी पड़े तो उत्तर की ओर कम से कम ६” उत्तर की ओर छोड़कर बनाये ।

कुछ जगह छोड़कर दक्षिणी भाग की ओर बनाये (चित्र अ) । मकान दक्षिण या उत्तरमुखी हो तो वायव्य कोण से पश्चिमी की ओर (चित्र ब) बनाये । ।

अगर पूर्व दिशा में सीढियां बनानी हो तो इस तरह बनाये कि चढ़ते समय दक्षिण में मुंह होवे तथा उस पर निकास पूर्व दिशा की बालकॉनी पर होवे ।
सीढियां अग्निकोण से कुछ पूर्व की ओर की दीवार के सहारे होवे ।
अगर दक्षिण दिशा में सीढियां बनानी हो तो निकासी ऊपर दक्षिणी बालकॉनी पर होवे ।
अगर पश्चिम दिशा में सीढियाँ बनानी हो तो ऊपर निकास पश्चिमी बॉलकानी पर होवे ।
उत्तर दिशा में सीढियां बनानी हो तो ऊपरी निकास उत्तरी बालकॉनी पर होवे ।
आजकल हर आदमी भूमि जगह का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहता है । अतः सीढियों के नीचे की सतह में टायलेट, बाथरूम बनाकर उपयोग करना चाहता है ।
वास्तु सिद्धान्त से यह सही नहीं है ।
(१) माना कि कोई व्यक्ति बाथरूम या टायलेट में है, जीने में कोई व्यक्ति चढ या उतर रहा है तो ऐसा लगेगा कि नीचे बैठे व्यक्ति के हारमोन्स का मर्दन हो रहा है । –
(२) जैसा कि पहिले सीढियों की संख्या के विषय में लिखा कि सीढियों की संख्या में ३ का भाग देने पर २ बचने से जिंद का भाग शुभ होता है। अत: रूम, स्टोर का आच्छादन (छद) जिंद भाग के द्वारा होना हानि करता है । (३)
आवश्यकता हो तो वास्तु सिद्धान्त के अनुसार करें ।
अगर पूर्व मुखी मकान है, पूर्व की बालकॉनी पर चढने के लिये सीढियां दक्षिण पूर्वी भाग में बनायी, उसके नीचे रूम, स्टोर, बाथरूम बनाने से अग्निकोण में बजन बढना अशुभ है । –
वास्तु दोष निवारण हेतु ईशान कोण से पूर्वी भाग की ओर एक थंभा (Piller) बालकॉनी को छूता हुआ बनाने से भार सम होगा ।
मकान उत्तरमुखी होवे तो सीढियां उत्तरी वायव्य में बनेगी ।
पश्चिम की ओर मुंह करके चढ़ती हुई बनायें व निकास पूर्व की ओर होवे ।
इनके नीचे स्टोर, बाथरूम बनाने से पश्चिमी वायव्य में बढ़ाना गलत है अत: दरवाजे के सामने ईशान कोण में एक स्तंभ बनाये । । मकान पश्चिम मुखी होवे सीढियां नैऋत्य कोण के पास मे चढावें तो इनके नीचे निर्माण अशुभ है । इसी तरह दक्षिण मुखी मकान में नैऋत्य कोण की सीढियों के नीचे कोई निर्माण नहीं कराये । – जो सीढियां अगर मकान के बाहरी से अलग ऊपर जाने के लिये बनाई हो तो, चाहे कोई भी दिशा होवे उन सीढियों के नीचे निर्माण नहीं करें ।

Pandit
Bhubneshwar
Kasturwanagar parnkuti
Guna m.p.

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