Wednesday, 2 November 2016

पंचकों में कौन कौन से कार्य नही करना चाहिए

पंचक अर्थात ऐसा समय जो प्रत्येक माह में अपना एक अलग महत्व रखता है… कुछ लोग अज्ञान के कारण पंचको को पूर्ण अशुभ समय मान बैठते है परन्तु ऐसा नही है… पंचको में शुभ कार्य भी किये जा सकते है… ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक तब लगते है जब ब्रह्मांड में चन्द्र ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करते है..इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है… कई बार एक अंग्रेजी महीने में पंचक दो बार आ जाते है…

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है.

. पंचको के बारे में एक पोराणिक कथा है, कहते है की एक बार मंगल ग्रह ने रेवती नक्षत्र के साथ दुष्कर्म कर दिया था, जिसके कारण रेवती अशुद्ध हो गयी थी और परिजनों ने उसके हाथ से जल ग्रहण कर लिया था तब देवताओं के गुरु कहे जाने ब्रहस्पति ने एक सभा बुलाई और जल ग्रहण करने वाले सभी परिजनों का बहिष्कार कर दिया… तब श्रवण नक्षत्र ने यह अपील की कि में तो पिता के कहने पर जल लेने चला गया था… मेरा क्या कसूर है? तब श्रवण नक्षत्र की अपील पर उसे छोड़ दिया गया और श्रवण के पिता धनिष्ठा नक्षत्र, बड़ी बहन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, छोटी बहन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, माता शतभिषा नक्षत्र और पत्नी रेवती नक्षत्र को पंचक होना करार दे दिया गया…

.कहते है कि तभी से इस दुष्कर्म के कारण क्रूर और पापी ग्रह माना जाने लगा.. अगर आधुनिक खगोल विज्ञान की दृष्टि से देखें तो ३६० अंशो वाले भचक्र में पृथ्वी जब ३०० अंश से ३६० अंश के बिच भ्रमण कर बीच रही होती है तो उस अवधि में धरती पर चन्द्रमा का प्रभाव अत्यधिक होता है…

उसी अवधि को पंचक काल कहते है

… शास्त्रों में पांच निम्नलिखित पाँच कार्य ऐसे बताये गये है जिन्हें पंचक काल के दोरान नही किया जाना चाहिए:-

—लकड़ी एकत्र करना या खरीदना..
–मकान पर छत डलवाना…
—शव जलाना…
—पलंग या चारपाई बनवाना..
—दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा करना…
—ये पांचो ऐसे कार्य है जिन्हें पंचक के दौरान न करने की सलाह प्राचीन ग्रन्थों में दी गयी है

परन्तु आज का समय प्राचीन समय से बहुत अधिक भिन्न है वर्तमान समय में समाज की गति बहुत तेज है इसलिए आधुनिक युग में उपरोक्त कार्यो को पूर्ण रूप से रोक देना कई बार असम्भव हो जाता है…

परन्तु शास्त्रकारों ने शोध करके ही उपरोक्त कार्यो को पंचक काल में न करने की सलाह दी है.. ऐसी भी मान्यता है की अगर उपरोक्त वर्जित कार्य पंचक काल में करने की अनिवार्यता उपस्थित हो जाये तो निम्नलिखित उपाय करके उन्हें किया जा सकता है- —-

लकड़ी का समान खरीदना जरूरी हो तो खरीद ले किन्तु पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम पर हवन कराए. इससे पंचक दोष दूर हो जाता है… —

-मकान पर छत डलवाना अगर जरूरी हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करे… —

-अगर पंचक काल में शव को धन करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पाँच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं….

—पंचक काल में अगर पलंग या चारपाई लेना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करे.. —पंचक काल में अगर दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चदा कर यात्रा प्रारम्भ करे. ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जा

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