दिवाली की पूजा के लिए चार मुहूर्त होते है –
वृश्चिक लग्न – यह दिवाली के दिन की सुबह का समय होता है. वृश्चिक लग्न में मंदिर, हॉस्पिटल, होटल्स, स्कूल, कॉलेज में पूजा होती है. राजनैतिक, टीवी फ़िल्मी कलाकार वृश्चिक लग्न में ही लक्ष्मी पूजा करते है.
कुम्भ लग्न – यह दिवाली के दिन दोपहर का समय होता है. कुम्भ लग्न में वे लोग पूजा करते है, जो बीमार होते है, जिन पर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है, जिनको व्यापार में बड़ी हानि होती है.
वृषभ लग्न – यह दिवाली के दिन शाम का समय होता है. यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
सिम्हा लग्न – यह दिवाली की मध्य रात्रि का समय होता है. संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
महानिशिता काल में तांत्रिक और पंडित लोग पूजा करते है, ये वे लोग होते है, जिन्हें लक्ष्मी पूजा के बारे में अच्छे से जानकारी होती है.
लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र : ॐ हिम् महालक्ष्मै च विदमहै, विष्णु पत्नये च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
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( = : श्री महालक्ष्मी पूजन महुर्त :=)
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कार्तिक बदी =३०अमावस्या रवि वार शुद्ध
अमावस्या तिथि
अमावस्या आरम्भ
= २९ अक्टुम्बर २०१६ को रात्रि =०८:४०से आरम्भ
आमवश्या समाप्त्
=३०अक्टुम्बर २०१६ को रात्रि =११:४०तक
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दिनांक ३०=अक्टुम्बर २०१६
व्यापारी बर्ग की गद्दि स्थापना महुर्त
स्याही भरना
कलम दवात सवरना
चौघड़िया मुहूर्त
१】प्रात:०८:१२ से ०९:३५ तक चंचल बेला
२】प्रात:०९:३५ से १२:२१तक लाभ बेला
३】दोपहर ११:५७से १२:४५ तकअभिजित् महुर्त
४】दोपहर ०१:४४से ०३:०७
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श्री महालक्ष्मी पूजन
१】सायंकाल गौधूली प्रदोषकालिक बेला
सायंकाल =०५:५३से ०८:१७तक
२】स्थिर लग्न मुहूर्त=
बृषभ लग्न बेला सायंकाल
रात्रि=६:५३से०८:४९तक
३】अर्द्ध रात्रि सिंह लग्न बेला =
मध्य रात्रि =१:२१मिनिट से ३:३८ तक
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रोकड़ मिलान मुहूर्त
श्री नावाँ कार्य शुभारम्भ हेतु
कार्तिक सुदी =१ सोमवार
१】प्रात:=०६:५०से ०८:१३तक
२】प्रातः=०९:३६से१०:५८तक
३】सायंकाल दिवा ०३:०७से ५:५३तक
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भाई दूज टीका मुहूर्त
= ०१:१० से ०३:२३
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गोबर्धन पूजा मुहूर्त
प्रात:०६:३०से ८ :४४ तक
दोपहर ३:२४से ५:३७ तक
महा लक्ष्मीपूजन सामग्री लिस्ट
सामग्री आव्यशकतानुसार कम ज्यादा ला सकते है
पाना लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मूर्ति
१】धूप बत्ती (अगरबत्ती)
२】चंदन
३】 कपूर
४】केसर
५】यज्ञोपवीत 5
६】कुंकु
७】चावल
८】अबीर
९】गुलाल,
१०】अभ्रक
११】हल्दी
१२】सौभाग्य द्रव्य-
१३】मेहँदी
१४】चूड़ी,
१५】काजल,
१६】बिछुड़ी आदि आभूषण
१७】आंटी (कलावा)
१८】रुई
१९】रोली,
२०】 सिंदूर
२१】सुपारी,
२२】पान के पत्ते
२३】पुष्पमाला,
२४】कमलगट्टे
२५】धनिया खड़ा
२६】 कुशा व दूर्वा
२७ पंच मेवा
२८】गंगाजल
२९】शहद (मधु)
३०】शकर
३१】 घृत (शुद्ध घी)
३२】दही
३३】दूध
३४】ऋतुफल(गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि)
३५】नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि) ३६】इलायची (छोटी)
३७】लौंग
३८】मौली
३९】इत्र की शीशी
४०】तुलसी दल
४१】सिंहासन (चौकी, आसन)
४२】पंच पल्लव(बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते) सम्भब हो तो
४३】 लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति)
४४】गणेशजी की मूर्ति सरस्वती का चित्र
४५】चाँदी का सिक्का श्रद्धानुसार
४६】लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र श्र्द्धा अनुसार
४७】गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र श्रद्धाअनुसार
४८】अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र श्रद्धानुसार
४९】जल कलश (ताँबे या मिट्टी का)
५०】सफेद कपड़ा (आधा मीटर)
५१】लाल कपड़ा (आधा मीटर)
५२】दीपक बड़े दीपक के लिए तेल
५३】 ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
५४】श्रीफल (नारियल)
५५】धान्य (चावल, गेहूँ)
५६】लेखनी (कलम)
५७】बही-खाता,
५८】स्याही की दवात
५९】तुला (तराजू) अगर संभव हो तो
६०】 पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल)
६१】एक नई थैली में हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि खील-बताशे अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र
संपर्क
पंडित =भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना
मोबाइल =०९८९३९४६८१०
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