Tuesday, 18 October 2016

करवा चौथ ब्रत महुर्त एबं सोलह श्रंगार कौन कौन से है

आईये जानते हैं कि करवाचौथ पर इस बार भारत में कहां-कहां कितने बजे दिखेगा चांद?

दिल्ली: करवा चौथ पूजा मुहूर्तरात 8:29 बजे
चंडीगढ़: रात 8:46 बजे
जयपुर: रात 8:58 बजे
जोधपुर: रात 9:10 बजे
मुंबई:रात 9:22 बजे
बंगलुरु: रात 9:12 बजे
हैदराबाद: रात 9:22 बजे
देहरादून: रात 8:44
पटियाला: रात 8:50 बजे
लुधियाना: रात 8:50 बजे
पटना: रात 8:46 बजे
लखनऊ: रात 8:37
वाराणसी: रात 8:37
कोलकाता: रात 8:13 बजे

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गुना ग्वालियर भोपाल इंदौर उज्जैन आदि क्षेत्रो मेंपूजा का शुभ मुहूर्त
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करवा चौथ पूजा मुहूर्त = 05:46 से 07:02

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय = 08:57 अर्घ्य देने का समय

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = 18/अक्टूबर/2016 को रात्रि 10:47बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त = 19/अक्टूबर/2016को 07:32बजे करवा चौथ के दिन

कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं।

इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है।

इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेष महात्म्य है।

इस वर्ष, यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होगा क्योंकि 100 साल बाद करवाचौथ का

महासंयोग बना है।

१】रोहिणी नक्षत्र, चंद्रमा का प्रिय नक्षत्र

२】बुधवार, गणेश जी का प्रिय दिन

३】सर्वार्थ सिद्धि योग एवं गणेश चतुर्थी का संयोग इसी दिन है जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है।

गणेश जी की पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा।

४】चंद्रमा स्वयं, शुक्र की राशि वृष में उच्च के होंगे।

५】बुध स्वराशि कन्या में

६】और शुक्र व शनि एक ही राशि में विराजमान होंगे।

७】यही नहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी शुक्र प्रेम का परिचायक है। इस दिन शुक्र ग्रह, मंगल की राशि वृश्चिक में है जिससे संबंधों में उष्णता रहेगी।

मंगलवार की रात्रि 11 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी और इसके बाद से चतुर्थी तिथि आरंभ होकर बुधवार की सायं 07.33 बजे तक रहेगी ।

पंडित भुबनेश्वर पर्णकुटी गुना का मानना है की 2016 में करवाचौथ का व्रत रखने से 100 व्रतों का वरदान प्राप्त होगा।

अक्सर कहा जाता है कि करवा चौथ में सुहागिनों को 16 श्रृंगार करके पूजा करनी चाहिए, लेकिन क्या आपको पता है कि 16 श्रृंगार सही में होते क्या हैं। करवाचौथ: हाथों में पूजा की थाली... आई रात सुहागों वाली... आईये जानते हैं 16 श्रृंगार के बारे में... मांग टीका: यह पति द्वारा प्रदान किये गये सिंदूर का रक्षक होता है। बिंदिया: इसे इस तरह से लगाया जाता है कि मांगटीका का एक छोर इसे स्पर्श करे। काजल: काजल अशुभ नजरों से बचाव करता है वहीं ये आपकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। नथुनी: नाक में पहना जाने वाला यह आभूषण अपनी अपनी परंपरा व रस्मों रिवाज में छोटा-बड़ा होता है। सिंदूर: इस श्रृंगार के माध्यम से प्रथम बार कोई पुरूष किसी स्त्री को अपनी संगिनी बनाता है। मंगलसूत्र: ये भी सुहाग सूचक है, जिसके बिना हर शादी अधूरी है। कर्णफूल: श्रृंगार नंबर 7 को कर्णफूल या ईयर रिंग कहते हैं। मेंहदी: श्रृंगार में नंबर 8 का स्थान 'मेंहदी' का है। कंगन या चूड़ी: इसके बिना हर श्रृंगार अधूरा है। करवाचौथ में क्यों होती है चंद्रमा की पूजा? गजरा बालों को संवार कर उसमें गजरा सजानेे के पीछे कारण ये है कि जब तक बालों में सुगंध नहीं होगी तब तक आपका घर नहीं महकेगा। दुल्हन वो ही अच्छी मानी जाती है जिसके बाल पूरी तरह से व्यवस्थित होते हैं। बाजूबंद कुछ इतिहासकारों ने बाजूबंद मुगलकाल की देन माना है लेकिन पौराणिक कथाओं में इसकी खूब चर्चा है। यह बड़ी उम्र में पेशियों में खिंचाव और हड्डियों में दर्द को नियंत्रित करता है। 'अंगुठी' हम आपको बताते हैं श्रृंगार नंबर 12 यानी 'अंगुठी' के बारें में। वैसे 11 वां श्रृंगार 'आरसी' के रूप में जाना जाता है। आरसी आइने को कहते हैं लेकिन यहां ये भाव नहीं है। आरसी एक सीसा लगी हुई अंगुठी होती है जो कि दायें हाथ की अनामिका में पहनीं जाती हैं। कमरबंद कमरबंद को तगड़ी भी कहते हैं। काम में उत्साह और शरीर में स्फूर्ति का संचार बना रहे। उत्तम स्वास्थ्य के लिए कमरबंद स्वास्थ्य कारकों से भी आवश्यक और उत्तम माना जाता है। पायल या पाजेब श्रृंगार में 14 वां नंबर है पायल या पाजेब का। दुल्हन अपने घर की गृहलक्ष्मी होती है। उसका संचारण और सुभागमन बहुत शुभ माना जाता है। बिछिया पैरों में अंतिम आभूषण के रूप में बिछिया पहनी जाती है। दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है। परिधान यानी कपड़ा अंतिम और 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार होता है परिधान। शारीरिक आकार प्रकार के अनुसार परिधान में रंगो का चयन स्त्री के तंत्रिका तंत्र को मजबूत और व्यवस्थित करता है।

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