Sunday, 28 August 2016

जिन स्त्रियों में हों ऐसे लक्षण

जिन स्त्रियों में हों ऐसे लक्षण उन्हें शास्त्रों में शुभ नहीं माना गया है- स्त्री को हमारे ग्रंथों में लक्ष्मी कहा गया है। ज्योतिष के ग्रंथों में भी स्त्रियों के स्वभाव और उनके भविष्य से जुड़ी बातों के बारे में रोचक वर्णन मिलता है। प्रसिद्ध ग्रंथ बृहद संहिता में स्त्रियों के दो प्रकार बताए गए है शुभ लक्षणा और अशुभ लक्षणा।शुभ लक्षणा को साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। वहीं अशुभ लक्षणा को अलक्ष्मी कहा जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं स्त्रियों के कुछ ऐसे ही शारीरिक लक्षणों के बारे में जिन्हें इस ग्रंथ में शुभ नही माना गया है- कनिष्ठिका वा तदनन्तरा वा महीं न यस्या: स्पृशति स्त्रिया: स्यात्। गताथवङ्गुष्ठमतीत्य यस्या: प्रदेशिनी सा कुलटातिपापा।। स्त्री के पैर की सबसे छोटी या उसके बराबर वाली अंगुली भूमि पर न टिकती हो या अंगूठे के बराबर वाली अंगुली, अंगूठे से बहुत लंबी हो तो ऐसी स्त्री का चरित्र परिस्थिति के अनुसार बदल सकता है। ऐसी महिलाएं नियंत्रण मेंं न रहने वाली, पाप करने वाली और गुस्सैल स्वभाव की होती हैं। जिस स्त्री की पिण्डली का पिछला भाग मोटा हो, बहुत ऊपर की ओर चढ़ा हुआ सा हो साथ ही नसें उभरी हों तो ऐसी स्त्रियों को शुभ नहीं माना जाता है।यदि यह भाग मांसहीन, सूखा सा हो, पिण्डली पर बहुत रोम हों तो ऐसी स्त्री बहुत दु:ख पाती है। गुहा भाग के बाल वामावर्त रोमों से युक्त हो या यह भाग दबा हुआ सा हो तो अशुभ होता है। यदि पेट घड़े के समान हो तो जीवन में हमेशा दरिद्रता बनी रहती है। पेट पतला, लंबा या गड्ढेदार हो तब भी अच्छा नही माना जाता है- प्रविलम्बिनि देवरं ललाटे, श्वसुर हन्त्युदरे स्फिजो: पतिं च। अतिरोमचयाान्वितोत्तरोष्ठी, न शुभा भर्तुरतीव या च दीर्घा।। किसी महिला का माथा यदि लंबा हो तो देवर के लिए, पेट लंबा हो तो ससुर के लिए, कमर के नीचे वाला हिस्सा भारी हो तो पति के लिए अनिष्टकारक होता है। मूंछों के स्थान पर बहुत रोएं हो या स्त्री का कद बहुत लंबा हो तो पति के लिए शुभ नहीं होता है। स्त्री के कान रोएंदार हों, मैले हों असमान आकार के हों तो हमेशा क्लेश रहता है। दांत, मोटे चौड़े या बहुत लंबे हों, बाहर निकले हों तो जीवन में हमेशा दुख रहता है। काले मसूड़ों वाली महिलाओं का भाग्य उनका अधिक साथ नही देता है- क्रव्यादरूपैर्वृककाकङ्सरीसृपोलूकसमानचिन्है:। शुष्कै: शिरालैर्विषमैश्च हस्तैर्भवन्ति नार्य सुखवित्तहीना:।। किसी स्त्री की हथेली पर मांसभक्षी पक्षी का चिन्ह हो, भेडिय़ा, कौआ, सांप, उल्लू जैसा चिन्ह हों तो वह स्त्री दुख देने वाली होती है- हथेलियां चपटी मांसहीन हों व नसें ज्यादा उभरी हुुई हों तो उन्हें अच्छा नहीं माना जाता है। दोनों हथेलियों के आकार में अंतर हो तो ऐसी महिलाएं सुख और धन से हीन होती हैं- नेत्रे यस्या: केकरे पिङ्गले वा सा दु:शीला श्यामलेक्षणा च। कूपौ यस्या गण्डयोश्च स्मितेषु नि:सन्दिग्धं बंधकी तां वदन्ति।। जिस महिला की आंखें डरी हुई सी, पीली हों वह बुरे स्वभाव वाली होती है। जबकि चंचल और स्लेटी रंग की आंखों को भी शुभ नहीं माना जाता है। हंसते समय जिस स्त्री के गालों पर गड्ढे पड़ते हों उसका चरित्र बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है- ह्स्वयातिनि:स्वता दीर्घया कुलक्षय:। ग्रीवया पृथूत्थया योषित: प्रचण्डता।। किसी स्त्री की गर्दन छोटी हो तो वह जीवनभर दूसरों पर निर्भर रहती है। वह अपना कोई भी निर्णय स्वयं नहीं ले पाती। वहीं 4 अंगुल से अधिक लंबी गर्दन वाली स्त्री वंश का नाश करने वाली होती है। यदि गर्दन बहुत मोटी हो तो उसे शुभ नही माना जाती है। गर्दन चपटी हो तो ऐसी स्त्री का स्वभाव प्रचण्ड यानी गुस्सैल और जिद्दी होता है- (हिन्दू शास्त्रो में देवी के समान नारी के बारे में कुछ जानकारी लिखी गई है। बाबा महाकाल की नगरी से आई खबर को हम ज्यों की त्यों प्रकाशित कर रहे है। इस खबर से हमारा कोई लेना देना नहीं है।)

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