Friday, 22 July 2016

यात्रा के लिए आज का दिन कैसा रहेगा अगर यात्रा जा रहे है तो इन्हें अनदेखा न करे

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आजका दीन यात्रा आथवा अन्य कार्यो के लिए कैसा
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जिस दिन का शुभ अशुभ दिन देखना हो तो उस दिन
पंचांग में  वर्तमान दिन के नछत्र से आपके  जन्म नाम  के नछत्र   4,5,11,12,18,19,25,26,बॉ हो तो समझे की आपका दिन सुखद तथा अभिनव समाचार  बा  क्रियाओं  से प्रसश्नता  बने ।
यदि बर्तमान दिन नछत्र से आपके  जन्म नछत्र  की गणना  क्रमस: 2, 3, 6, 7, 9,10 ,13, 14,16,17,20,21,23,24,27,बॉ होवे तो दिन का  आधा भाग  शुभ आधा भाग अशुभ  तथा
1, 8, 15,  22, बॉ गणानुगत नछत्र आबे तो सारा दिन ठीक नही समझना चाहिए
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जैस =22तारीख को हमने पंचांग में नछत्र वाले खाने में देखा की आज घनिष्टा नछत्र है ।
और आपका नाम भुबनेश है
तो आपका नछत्र पूर्वा असाड़ा हुआ ।
अब पूर्वा अषाढा से घनिष्ठा नछत्र तक गिना तो 22 तारीख को आपके नछत्र से बर्तमान  नछत्र तक गिनने पर  चौथा नछत्र आया यानी की आज का दिन आपके लिए शुभ है ।
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                      दूसरी विधि
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सर्वांक ज्ञान
शुक्र पक्ष की प्रतिपदा से तिथि संख्या रविवार से वार संख्या और अश्विनी नक्षत्र से नक्षत्र संख्या अपने अपने अनुसार अलग अलग जगह पर लिखते है,
फ़िर २,३,४ से गुणा करने के बाद ३,७,८ से भाग देते है,
प्रथम स्थान पर शून्य शेष रहे तो हानि
द्वितीय स्थान में शून्य रहे तो शत्रु भय
और तृतीय स्थान में शून्य रहे तो मरण होता है,
तीनो स्थान में शून्य हो तो विजय मिलती है
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                 नासिका स्वर विचार
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नासिका का बांया  【डेणा हाथ यानी उल्टा 】स्वर चन्द्र तथा दाहिना【सीधा हाथ 】 स्वर सूर्य संज्ञक होता है
,चन्द्र स्वर यात्रा करना शुभ
और सूर्य स्वर में अशुभ मानते है,
जो स्वर बह रहा हो,उसी ओर का पैर पहले उठाकर यात्रा करने से विजय प्राप्त होती है,
जब दोनो स्वर एक साथ चलते हों तो शून्य स्वर कहलाता है,
उस समय में यात्रा करना हानिकारक होता है,
यह यात्रा शब्द का बोध दैनिक जीवन यात्रा से भी जुडा होता है,
यानी जब हम सबसे पहले अपनी रोजाना की जीवन यात्रा से भी मानकर चलते है,और सुबह जाग कर बिस्तर से पैर को नीचे रखने से ही यात्रा का शुभारम्भ हो जाता है.
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           भद्रा बास किस राशि में कहा
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4.करण (Karana) विष्टि करण होने से भद्रा दोष लगता है, इस स्थिति में यात्रा नहीं करनी चाहिए

मुहुर्तचिन्तामणि के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पाँचवें पहर की पाँच घड़ियों में भद्रा का मुख होता है। अष्ठमी तिथि के दूसरे प्रहर के कूल मान आदि की पाँच घड़ियिँ, एकादशी के सातवें प्रहर के कुल मान की आदि की पाँच घड़ियाँ तथा पूर्णिमा की के चौथे प्रहर की आदि की पाँच घड़ियों में भद्रा का मुख होता है
। ठीक इसी प्रकार कृष्ण पक्ष तृतीया के आठवें प्रहर की आदि की पाँच घटियाँ भद्रा की मुख होती हैं।
कृष्ण पक्ष के सप्तमी के तीसरे प्रहर में आदि की पाँच घटियों में भद्रा का मुख होता है।
कृष्ण पक्ष की दसमी तिथि के छट्ठे प्रहर तथा चतुर्दशी तिथि के प्रथम प्रहर की प्रत्येक की प्रथम प्रहर की पाँच घटि में भद्रा का मुख होता है।
भद्रा का पुच्छ :- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के अष्टम प्रहर की अन्त की तीन घटी में भद्रा का पूच्छा होता है। भद्रा के कुल मान को चार से भाग देने पर एक प्रहर होता है।
तथा 6 से भाग देने पर षष्ठांश तथा दस से भाग देने पर दशांश होता है।
भद्रा के बारह नाम हैं। यथा :-- 1-धन्या 2- दधिमुखी 3- भद्रा 4- महामारी 5- खरारना 6- कालरात्रि 7- महारुद्रा 8- विष्टि 9- कुलपुत्रिका 10- भैरवी 11- महाकाली 12- असुरक्षयकारी ।

मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भद्रा में मुंडन संस्कार,
गृह प्रवेश,
गृहारम्भ,
बिवाह संस्कार,
वधु प्रवेश,
रक्षा बंधन,
शुभ यात्रा,
नये ब्यवसाय का प्रारम्भ करना ,
तथा सभी प्रकार के मंगल कार्य वर्जित हैं।
मुहूर्त मार्तन्ड के अनुसार भद्रा में किये गये शुभ कार्य अशुभ हो जाते हैं।
कश्यप ॠषि ने भद्रा को अति अनिष्टकारी माना है। उनके अनुसार सामान्य जीवन जीने वाले ब्यक्ति को किसी प्रकार का शुभ कार्य भद्रा की अवधि में नही करना चाहिए।
चाहे कोई ब्यक्ति अनजानें में ही कोई मंगल कार्य भद्रा में करता है तो उस ब्यक्ति द्वारा किए गये सभी मंगल कार्य निष्फल हो जाते हैं

भद्रा का बास – मुहूर्त चिंतामणी के अनुसार भद्रा का बास निम्न प्रकार है।
भद्रा का बास – मुहूर्त चिंतामणी के अनुसार भद्रा का बास निम्न प्रकार है।
राशि स्थित चन्द्रमा भद्रा का निवास
कर्क सिंह कुम्भ मीन पृथ्वी
पर मेष बृष मिथुन ्बृश्चिक स्वर्ग लोक
कन्या तुला धनु मकर पाताल
लोक भद्रा जिस लोक में होगा वहीं प्रभावी होगा।
यानि मात्र कर्क, सिंह, कुम्भ राशि का का भद्रा ही पृथ्वी वासियों के लिए अशुभ होगा।
शेष स्वर्ग, तथा पाताल लोक का

कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें भद्रा में भी किया जा सकता है :-
जैसे अग्नि कार्य, युeद्ध करना,
किसी को कैद करना,
विषादि का प्रयोग,
ओपरेशन करना,
शत्रु का उच्चाटन,
पशु सम्बन्धित कार्य,
मुकदमा आरम्भ करना,
मुकदमा सम्बन्धित कार्य,
शत्रु का दमन ईत्यादि
भद्रा के समय भी किया जा सकता है।
हमारे ॠषियों ने भद्रा के परिहार भी बताए हैं।
जैसे :- (क)- यदि दिन की भद्रा रात में तथा रात की भद्रा दिन में समाप्त हो जाय तो भद्रा का परिहार माना जाएगा।
(ख)- एक अन्य मतानुसार जब उत्तरार्ध की भद्रा दिन में तथा पूर्वार्ध की भद्रा रात में हो तो इसे शुद्ध माना जाएगा तथा यह भद्रा दोष रहित होगा।
(ग)- यदि कभी भद्रा में शुभ काल को टाला नहीं जा सकता तो भू लोक की भद्रा तथा भद्रा के मुख को त्याग कर स्वर्ग तथा पाताल की भद्रा एवम् पूच्छ काल की भद्रा में शुभ कार्य किया जा सकता है।

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                       नछत्र शूल
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2.नक्षत्र शूल (Nakshatra Shool): यात्रा करते समय दिशा का विचार भी करना भी जरूरी होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सभी नक्षत्रों की अपनी दिशा होती है,
जिस दिन जिस दिशा का नक्षत्र हो उस दिन उस दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए.
आइये इसके लिए एक उदाहरण देखें:
अ.ज्येष्ठा नक्षत्र की दिशा पूर्व होती है अत: जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
ब्.पूर्वाभाद्रपद की दिशा दक्षिण होती है, अत: पूर्वाभाद्रपद वाले नक्षत्र के दिन दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
दक्षिण के अलावा आप इस नक्षत्र में किसी भी दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
स्.रोहिणी नक्षत्र की दिशा पश्चिम होती है।
इस दिशा में रोहिणी नक्षत्र में यात्रा नहीं करनी चाहिए। द्.उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की दिशा उत्तर है।
जिस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो उस दिन उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
इस नक्षत्र में उत्तर दिशा के अलावा किसी अन्य नक्षत्र में यात्रा कर सकते हैं।
जिस दिशा में आपको यात्रा करनी हो उस दिशा का नक्षत्र होने पर नक्षत्र शूल लगता है अत: नक्षत्र की दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
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                      लग्न देखकर यात्रा
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15.लग्न (Lagna) यात्रा के लिए आप जिस दिशा में जाना चाहते हैं, उस दिशा से सम्बन्धित लग्न या राशि के होने पर लाभदायक स्थिति रहती है
इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं,
यदि कोई व्यक्ति पूर्व दिशा की यात्रा करना चाहता है तो मेष, सिंह, धनु राशी का लग्न एवं राशि शुभफलदायक रहती है।
इसी प्रकार दक्षिण दिशा में यात्रा करने के लिए वृष, कन्या व मकर
एवं पश्चिम दिशा में यात्रा करने के लिए मिथुन, तुला
एवं उत्तर दिशा में यात्रा करने के लिए कर्क, वृश्चिक एवं मीन लग्न व राशि उत्तम होता है।
जिस व्यक्ति का जो लग्न एवं राशि होती है यदि यात्रा के लिए वही लग्न व राशि का प्रयोग किया जाए तो वह भी अनुकूल फल

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              यात्रा घात चन्द्र विचार
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मेष की पहली
वृष की पांचवी
मिथुन की नौवीं
कर्क की दूसरी
सिंह की छठी
कन्या की दसवीं
तुला की तीसरी
वृश्चिक की सातवीं
धनु की चौथी,
मकर की आठवीं
कुम्भ की ग्यारहवीं
मीन की बारहवीं
घडी घात चन्द्र मानी गयी है,यात्रा करने पर युद्ध में जाने पर कोर्ट कचहरी में जाने पर खेती में कार्य आरम्भ करने पर व्यापार के शुरु करने पर घर की नीव लगाने पर घात चन्द्र वर्जित मानी गयी है
,घात चन्द्र में रोग होने पर मौत,कोर्ट में केस दायर करने पर हार,और यात्रा करने पर सजा या झूठा आरोप,विवाह करने पर वैधव्य होना निश्चित है.
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चन्द्रमा का वास किस दिन किस दिशा में रहेगा
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8.चन्द्रनिवास (Chandra Nivas) चन्द्रनिवास में देखा जाता है कि चन्द्रमा किस दिशा में हैं (In which directon Moon is situated in Chandra Nivas) । जिस दिशा में चन्द्रमा होता है उस दिशा में यानी सम्मुख दिशा में और दाहिने दिशा में यात्रा करना शुभ होता है
एवं पीछे और बायीं ओर यात्रा करना ठीक नहीं माना जाता है।
इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं
माना कि आज चन्द्रमा पूर्व दिशा में है और आपको पूर्व में जाना है तो यात्रा के लिए यह शुभ स्थिति है,
अगर आप दक्षिण में जाना चाहें तो इसके लिए भी चन्द्र शुभ है क्योकि पूर्व दिशा से दायीं ओर दक्षिण दिशा है। चन्द्र निवास को आप आसानी से समझ सकें इसके लिए चन्द्र निवास चक्र दिया गया है,
आप इसे देख सकते हैं।
चन्द्र निवास के अन्तर्गत चन्द्रमा अगर मेष, सिंह अथवा धनु राशि में है तो यह माना जाता है कि चन्द्रमा आज पूर्व दिशा में हैं।
अगर चन्द्रमा वृष, कन्या अथवा मकर राशि में हैं तो यह माना जाता है कि चन्द्रमा दक्षिण दिशा में विराजमान है।
मिथुन, तुला या कुम्भ में से किस भी राशि में चन्द्र है तो इसका अर्थ यह हुआ कि चन्द्रमा पश्चिम दिशा में है। कर्क, वृश्चिक और मीन राशि में से किसी में चन्द्र है तो यह माना जाता है कि चन्द्रमा उत्तर दिशा में विराजमान है।

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                      यात्रामेंचन्द्रबलविचार
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पहला चन्द्रमा कल्याण
कारक,दूसरा चन्द्रमा मन संतोष दायक
,तीसरा चन्द्रमा धन सम्पत्ति दायक,
चौथा चन्द्रमा कलह दायक,
पांचवां चन्द्रमा ज्ञान दायक,
छठा चन्द्रमा सम्पत्ति दायक
,सातवां चन्द्रमा राज्य सम्मान दायक,
आठवां चन्द्रमा मौत दायक,
नवां चन्द्रमा धर्म लाभ दायक,
दसवां चन्द्रमा मन इच्छित फ़ल प्रदायक,
ग्यारहवां चन्द्रमा सर्वलाभ प्रद,
बारहवां चन्द्रमा हानि प्रद होता है,
यात्रा विवाह आदि कार्यों को आरम्भ करते समय चन्द्रबल का विचार करना चाहिये.
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                     यात्रा राहु विचार
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रविवार को नैऋत्य कोण में
सोमवार को उत्तर दिशा में,
मंगलवार को आग्नेय कोण
में,बुधवार को पश्चिम दिशा में,
गुरुवार को ईशान कोण में,
शुक्रवार को दक्षिण दिशा में,
शनिवार को वायव्य कोण में राहु का निवास माना जाता है
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              यात्र में दिशाशूल परिहार
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रविवार को घी पीकर,
सोमवार को दूध पीकर,
मंगलवार को गुड खाकर,
बुधवार को तिल खाकर,
गुरुवार को दही खा कर
शुक्रवार को जौ खाकर
और शनिवार को उडद खाकर यात्रा करने से दिशाशूल का दोष शान्त माना जाता है.
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                     यात्रा में दिशाशूल
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शनिवार और सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा नही करनी चाहिये,
गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा त्याज्य करनी चाहिये,
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम की यात्रा नही करनी चाहिये,
बुधवार और मंगलवार को उत्तर की यात्रा नही करनी चाहिये,इन दिनो में और उपरोक्त दिशाओं में यात्रा करने से दिकशूल माना जाता है.
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                  यात्रा में राहु विचार
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राहु आदि का फ़ल
राहु दाहिनी दिशा में होता है तो विजय मिलती है
,योगिनी बायीं तरह सिद्धि दायक होती है,
राहु और योगिनी दोनो पीछे रहने पर शुभ माने गये है,चन्द्रमा सामने शुभ माना गया है.
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                यात्रा में पंथा राहु विचार
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दिन और रात को बराबर आठ भागों में बांटने के बाद आधा आधा प्रहर के अनुपात से विलोम क्रमानुसार राहु पूर्व से आरम्भ कर चारों दिशाओं में भ्रमण करता है,
अर्थात पहले आधे प्रहर पूर्व में
दूसरे में वाव्य कोण में
तीसरे में दक्षिण में
चौथे में ईशान कोण में
पांचवें में पश्चिम में
छठे में अग्निकोण में
सातवें में उत्तर में
तथा आठवें में अर्ध प्रहर में नैऋत्य कोण में रहता है.
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                यात्रा हेतु तिथि विचार
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यात्रा के लिये प्रतिपदा श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है,
द्वितीया कार्यसिद्धि के लिये,
त्रुतीया आरोग्यदायक,
चतुर्थी कलह प्रिय,
पंचमी कल्याणप्रदा
षष्ठी कलहकारिणी
सप्तमी भक्षयपान सहित,
अष्टमी व्याधि दायक
नवमी मौत दायक,
दसमी भूमि लाभ प्रद,
एकादसी स्वर्ण लाभ करवाने वाली
,द्वादसी प्राण नाशक,
और त्रयोदसी सर्व सिद्धि दायक होती है,
त्रयोदसी चाहे शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की सभी सिद्धियों को देती है,
पूर्णिमा एवं अमावस्या को यात्रा नही करनीचाहिये,
तिथि क्षय मासान्त तथा ग्रहण के बाद के तीन दिन यात्रा नुकसान दायक मानी गयी है.
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              यात्रा में योगिनी विचार
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प्रतिपदा और नवमी तिथि को योगिनी पूर्व दिशा में रहती है,
तृतीया और एकादशी को अग्नि कोण में
त्रयोदशी को और पंचमी को दक्षिण दिशा में
चतुर्दशी और षष्ठी को पश्चिम दिशा में
पूर्णिमा और सप्तमी को वायु कोण में
द्वादसी और चतुर्थी को नैऋत्य कोण में
,दसमी और द्वितीया को उत्तर दिशा में
अष्टमी और अमावस्या को ईशानकोण में योगिनी का वास रहता है,
वाम भाग में योगिनी सुखदायक,
पीठ पीछे वांछित सिद्धि दायक,
दाहिनी ओर धन नाशक
और सम्मुख मौत देने वाली होती है.
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          यात्रा में  सर्वदिशागमनार्थ शुभ नक्षत्र
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हस्त रेवती अश्वनी श्रवण और मृगसिरा ये नक्षत्र सभी दिशाओं की यात्रा के लिये शुभ बताये गये है
,जिस प्रकार से विद्यारम्भ के लिये गुरुवार श्रेष्ठ रहता है,
उसी प्रकार पुष्य नक्षत्र को सभी कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है.
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         यात्रा मुहूर्त तथा शुभाशुभ शकुन विचार
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अनुराधा ज्येष्ठा मूल हस्त मृगसिरा अश्विनी पुनर्वसु पुष्य और रेवती ये नक्षत्र यात्रा के लिये शुभ है,
आर्द्रा भरणी कृतिका मघा उत्तरा विशाखा और आशलेषा ये नक्षत्र त्याज्य है,
अलावा नक्षत्र मध्यम माने गये है,षष्ठी द्वादसी रिक्ता तथा पर्व तिथियां भी त्याज्य है,
मिथुन कन्या मकर तुला ये लगन शुभ है,
यात्रा में चन्द्रबल तथा शुभ शकुनो का भी विचार करना चाहिये.

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           यात्रा समय शुभ अशुभ  शगुन
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यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है। अगर एक से अधिक बार छींकता है तो कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है। 2- किसी मेहमान के जाते समय कोई उसके बाईं ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है। 3- कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है। 4- सोने से पूर्व और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है। 5- नए मकान में प्रवेश करते समय यदि छींक सुनाई दे तो प्रवेश स्थगित कर देना ही उचित होता है। 6- व्यावसायिक कार्य आरंभ करने से पूर्व छींक आना व्यापार वृद्धि का सूचक होती है। 7- कोई मरीज यदि दवा ले रहा हो और छींक आ जाए तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है। 8- भोजन से पूर्व छींक की ध्वनि सुनना अशुभ मानी जाती है। 9- यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर में सुनता है तो देह कष्ट, तीसरे प्रहर में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है। 10- धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञादि प्रारंभ करते समय कोई छींकता है तो अनुष्ठान संपूर्ण नहीं होता है।
अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलन होता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा होता है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख होता है। 2- भोजन करते समय छिपकली का बोलना शुभ फलकारक होता है। 3- नए घर में प्रवेश करते समय गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी रहेंगे। 4- छिपकली किसी व्यक्ति के सिर अथवा दाहिने हाथ पर गिरे तो सम्मान तो मिलता है किंतु बाएं हाथ पर गिरती है तो धन हानि होती है। 5- यदि छिपकली किसी व्यक्ति के दाई ओर से चढ़कर बाईं ओर उतरती है तो उसे पदोन्नति और धन लाभ मिलता है। 6- यदि छिपकली पेट पर गिरती है तो अनेक प्रकार के उत्पात और छाती पर गिरती है तो सुस्वादु भोजन मिलता है। 7- घुटने पर गिरकर सुख प्राप्ति की सूचना देती है छिपकली। 8- स्त्री की बाईं बांह पर छिपकली गिरे तो सौभाग्य में वृद्धि और दाहिनी बांह पर गिरे तो सौभाग्य की हानि होती है। 9- यदि किसी के दाहिने गाल पर छिपकली गिरे तो उसे भोग-विलास की प्राप्ति होती है। बाएं गाल पर गिरे तो स्वास्थ्य में विकार उत्पन्न होते हैं। 10- यदि छिपकली नाभि पर गिरे तो पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। गुप्त अंगों पर गिरे तो रोग की संभावना व्यक्त करती है।
यदि किसी व्यक्ति के ऊपर कौआ आकर बैठ जाए तो उसेधन व सम्मान की हानि होती है। यदि किसी महिला के सिर पर कौआ बैठता है तो उसके पति को गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है। 2- यदि बहुत से कौए किसी नगर या गांव में एकत्रित होकर शौर करें तो उस नगर या गांव पर भारी विपत्ति आती है। 3- किसी के भवन पर कौओं का झुण्ड आकर शौर मचाए तो भवन मालिक पर कई संकट एक साथ आ जाते हैं। 4- कौआ यदि यात्रा करने वाले व्यक्ति के सामने आकर सामान्य स्वर में कांव-कांव करें और चला जाए तो कार्य सिद्धि की सूचना देता है। 5- यदि कौआ पानी से भरे घड़े पर बैठा दिखाई दे तो धन-धान्य की वृद्धि करता है। 6- कौआ मुंह में रोटी, मांस आदि का टुकड़ा लाता दिखाई दे तो उसे अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। 7- पेड़ पर बैठा कौआ यदि शांत स्वर में बोलता है तो स्त्री सुख मिलता है। 8- यदि उड़ता हुआ कौआ किसी के सिर पर बीट करे तो उसे रोग व संताप होता है। और यदि हड्डी का टुकड़ा गिरा दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। 9- यदि कौआ पंख फडफ़ड़ाता हुआ उग्र स्वर में बोलता है तो यह अशुभ संकेत है। 10- यदि कौआ ऊपर मुंह करके पंखों को फडफ़ड़ाता है और कर्कश स्वर में आवाज करता है तो वह मृत्यु की सूचना देता है।
घरों में आमतौर पर पाई जाने वाली छिपकली भी जीवन में होने वाली कई घटनाओं के बारे में संकेत करती है।
किसी भी कार्य के वक्त घटित होने वाले प्राकृतिक व अप्राकृतिक तथ्य अच्छे व बुरे फल की भविष्यवाणी करने में सक्षम होते है॥ ”

शुुभ शकुुन” ”ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर। दूध, फल, फूल व वेद ध्वनि का सोर॥

अन्न, सिंहासन, जल, कलश, पशु एक बधन्त।
न्योला चापा, मछली और अग्नि प्रज्वलंत॥

छाता, वैश्या, पगड़ी, अंजन, ऐना, शस्त्र।
कन्या, रत्न, स्त्री, धोबी धोया वस्त्र॥

घृत मिट्टी अस्त्र शहद, मदिरा वस्त्र श्वेत।
गोरोचन सरसों अमिष, गन्ना खज्जन भेद॥

बिन रोदन मुर्दा मिले, पालकी भरदुल गीत।
ध्वज अकुंश बकरा पडे़, सम्मुख अपना गीत॥

बालक संग स्त्री मिले, नौ बेटा बैल सफेद।
साधु सुधा सुरतर-पड़े, सम्मुख चारों वेद ॥

कूड़ा से भरी टोकरी जो सम्मुख पडंत।
पाछे घट खाली पड़े, निश्चय काज बनंत। ।

प्रिय वाणी कानों पड़े, सम्मुख वाहन भार।
कह कवि ये शुभ शकुन यात्रा चलती बार॥

अर्थात् ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर, दूध, दही, फल, फूल, कमल, वेदध्वनि, अन्न, सिंहासन, जल से भरा कलश, बंधा हुआ एक पशु, न्योला, चापा (चाहा पक्ष) मछली, प्रज्वलित अग्नि, छाता, वैश्या, पनाली, अंजन, ऐना, शस्त्र, रत्न, स्त्री, कन्या, धुले हुए वस्त्र सहित धोबी, घी, मिट्टी, सरसों, मांस, गन्ना, खज्जन पक्ष, रोदन रहित मुर्दा, पालकी, भारद्वाज पक्षी, ध्वजा, अंकुश, बकरा, अपना प्रिय मित्र, बच्चे के सहित स्त्री, गाय या गोह के सहित बछड़ा, सफेद बैल, साधु, अमृत, कल्पवृक्ष चारों वेद, शहद, शराब, गोरोचन आदि में से कुछ भी सम्मुख पड़े या कूड़े से भरी टोकरी, प्रिय वाणी या सामान से लदा वाहन यदि यात्रा के वक्त सम्मुख पड़ जाए तो निश्चय ही इच्छा पूर्ति का संकेत करते हैं। खाली घड़ा पीठ पीछे हो तो अच्छा हे ।

ये शुभ शकुन हैं। ”

नीलकण्ठ छिक्कर-पिक्कर वानर कौवी भालु।
जै कुकर दाएं पड़े तो सिद्ध होय सब काजु॥

अर्थात् नीलकण्ठ छिक्कर नामक विशेष मृग, पिक्कर पक्षी, कौवी (स्त्री संज्ञक) भालू व कुत्ता यदि दाएं हाथ पर पड़े तो कार्य सिद्ध होता है।

मृग बाएं ते दाहिने जो आवे तत्काल।
बाएं गर्दभ रेकंजा सिद्धि होय सब काज॥

अर्थात् यदि हिरण बायीं तरफ से रास्ता काटकर दायीं तरफ आ जाए या बायीं तरफ गधा बोलना प्रारंभ कर दे तो शुभ शकुन है।

खड़ा कोबरा, सूकरा, जाहक, कछुआ, गोह।
ये शब्द कानों पड़े निश्चय कारज होय॥

पर दर्शन हो जाएं तो महाअशुभ होय।
अतिहि कु शकुन जानिये काट सके ना कोय॥

अर्थात् यदि खरगोश, सर्प, सूअर, जाहक, पशु, कछुआ व गोह के शब्द कानों में पड़े तो अत्यंत शुभ शकुन समझें। परंतु यदि ये प्रत्यक्ष सामने पड़ जाएं तो महा अशुभ हैं।
बानर, भालु दर्शन भले, नाम के सुनते हानि।
कह कवि विचार के तब आगे करौ पदान॥

अर्थात् यदि वानर भालू यात्रा आरंभ वक्त आगे जाए तो उत्तम शकुन है परंतु यदि इनका नाम कानों में पड़े तो अपशकुन का द्योतक है।

अपशकुनुन विचार”

दांए गर्दभ शब्द हो, सम्मुख काला धान्य।
टूटी खाट आगे मिले तो बहुत हानि॥

कूकूर लोटे भुम्म पर, अथवा मारे कान।
पांच भैंस सम्मुख पड़ें, निश्चय होवे धन॥

एक अजाः नौ स्त्री, बिल्ली दो लड़न्त।
छह कुत्ता आगे पड़ें, नहीं बात में तंत॥

तीन गाय दो बानिया, एक बछड़ा एक शूद्र।
हाथी सात सम्मुख पडं़े, निश्चय बिगड़े बुद्धि॥

भैंसा पर बैठा हुआ, मनुष्य सम्मुख होय।
निश्चय हानि होयेगी, बचा सके ना कोय ॥

जननी का तिरस्कार होय या हो अकाल वृष्टि।
क्षत्री चार सम्मुख पडं़े, निश्चय महाअनिष्ट ॥

तीन विप्र बैरागिया, सन्यासी केश खुलंत।
भगवा व स्त्री सम्मुख पड़े, निश्चय कारण अंत॥

बंध्या, रजः, रजस्वला, भूसा हड्डी चामं।
अंधा, बहरा, कूबड़ा विधवा लगड़ा पांव ॥

ईंधन लक्कड़ उन्मादिया, भैंसा दो लड़ंत।
गुंड, मट्ठा, कीचड़ पड़े सम्मुख छींक हुवंत ॥

हिजड़ा विष्ठा तेल जो, मालिश तेल मनुष्य।
अंग भंग नंगा पतित रोगी पूरा सुस्त॥

गंजा भिजे वस्त्र सों, चर्बी शत्रु सांप।
नमक औषधि गिरगिरा कुटंबी झगड़े आप ॥

कटु बचन सम्मुख पड़े, जौ यात्रा चलती बार।
कह कवि हानि महा बिगड़े सारे काज॥

अर्थात् यदि यात्रा के समय गधा दायीं तरफ बोले या कोई सामने से टूटी खाट लाता हुआ मिले कारज भंग होता है। यदि कुत्ता भूमि पर लेटे या कान फड़फड़ाये, पांच भैंस सामने आये, एक बकरी नौ स्त्री, दो बिल्ली लड़ती हुई, छः कुत्ते, तीन गाय, दो वैश्य, एक बैल एक शूद्र, सात हाथी, या भैंसे पर बैठा हुआ व्यक्ति यदि सम्मुख पड़े तो अपशकुन का सूचक है।
। यात्रा में चलते समय जननी का तिरस्कार करे या अकाल वर्षा हो, चार क्षत्रिय, तीन ब्राह्मण बैरागी, सन्यासी, खुले केशों वाला गेरूरा वस्त्र धारण करने वाला सम्मुख पड़ जाए तो अपशकुन है। इसी प्रकार बांझ औरत, स्त्री का रज, रजोवती स्त्री, भूसा, हड्डी, चमड़ा, अंधा, बहरा, कूबड़ा, विधवा स्त्री, जलाने वाली लकड़ी, उपला, पागल, गुड़, मट्ठा कीचड़ सामने आये, दो भैंसे लड़ते हुए, नपुसंक, विष्ठा, तेल मालिश किये आदमी, अंग भंग, नंगा नीच पुरुष, दीर्घ रोगी, गंजा भीगे वस्त्रों में, चर्बी, सर्प, शत्रु, नमक, औषधि, गिरगिट सामने आ जाए, अपने ही कुटुंबी सामने लड़ते हों, सामने कोई छींक दे या यात्रा के वक्त अप्रिय बचन सुनाई पड़ें तो अपशकुन का सूचक है  कुुछ अन्य शकुुन अपशकुुन जो पशु पक्षियों द्वारा होते हैैं शकुनों में कौवा, छिपकली व अन्य पशु पक्षियों का विचार किया जाता है। काक स्पर्श व छिपकली के गिरने को अशुभ समझा गया है। यदि कौआ अचानक शोरगुल करे या किसी के सिर पर बैठे तो आर्थिक हानि दर्शाता है। यदि स्त्री के सिर पर बैठे तो पति को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। संध्या के समय मुर्गों की ध्वनियां महामारी दर्शाती हैं। जब मछलियां जल की सतह पर छलांग मारें, मेढक टर्र-टर्र करे, बिल्ली भूमि खोदे, चीटियां अपने अंडों को स्थानांतरित करें, सांपों का जोड़ा व पशु आकाश की ओर देखे, पालतू पशु बाहर जाने से घबराएं तो तुरंत ही वर्षा होती है। ये वर्षा के लिए शुभ शकुन है

पयदि रात्रि में दीपकीट दिखाई दे, कीड़े या सरीसृप घास के ऊपर बैठें तो भी तत्काल वर्षा होती है। यदि वर्षा ऋतु के दौरान सायंकाल में गीदड़ों की चिल्लाहट सुनाई दे तो बिल्कुल वर्षा नहीं होती। मांसभक्षी पशु-पक्षी, का दिखाई देना अशुभ व शाकाहारी पशु, पक्षी प्रायः शुभ शकुन का संकेत देते हैं। ज्योतिष में शकुनों अपशकुनों का विशेष विचार प्रश्न आदि में किया जाता है। साथ ही साथ मेदिनीय ज्योतिष में भी शकुन अपना विशेष महत्व रखते हैं -वर्षा होगी या नहीं होगी, कम होगी या अधिक होगी इस प्रकार की भविष्य वाणियां भी शकुनों के आधार पर की जाती हैं कुछ उदाहरण निम्न हैं- _यदि आसमान बादलों से घिरा हो व पालतू कुत्ता घर से बाहर न जाए, तो वर्षा का सूचक है। _यदि आसमान में चील 400 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही हो, तो भी वर्षा होने वाली होती है। _यदि मकड़ी घर के बाहर जाला बनाए तो वर्षा ऋतु जाने का सूचक है। _मेढकों की टर्रराहट वर्षा का संकेत है। _मोर का नृत्य तथा शोर भी वर्षा का सूचक है।
पंडित
भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी
ऐ.बी,रोड गुना म,प्र
09893946810

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