ज्योतिष समाधान

Sunday, 23 October 2022

दीपावली पूजन सामग्री एवं शुभ मुहूर्त

१】हल्दी

२】चंदन

३】 कपूर 

४】केसर 

५】यज्ञोपवीत 5 

६】रोली (कुंकु)

७】चावल 

८】अबीर 

९】गुलाल, 

१०】बडी गोल सुपारी 

११】लौंग

१२】इलायची

१३】सिन्दूर

१४】यग्नोपवीत(जनेऊ)

१५】कलावा(मौली)

१६】माचिस

१७】इत्र

१८】रुई 

१९】बताशे

 २०】 बदाम 

२१】काजू

२२】पिस्ता

२३】चिरोंजी 

२४】मिश्री

२५】खीले 

२६】 परमल

२७ )गुलाव जल

२८】गंगाजल



पंचामृत के लिये

२९】शहद (मधु) 

३०】शकर

३१】 घृत (शुद्ध घी) 

३२】दही 

३३】दूध 


३४】ऋतुफल(गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि) 

३५】नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)

 ३६】पूजा के लिये पैसे 

३७】फूल कमल के ऐबं अन्य फूल भी

३८】दूर्वा(दूवा या दरवा)

३९】शमी पत्र

४०】तुलसी दल 

४१】पंच पल्लव

४२】(बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)  सम्भब हो तो


४३】 लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति) 

४४】गणेशजी की मूर्ति सरस्वती का चित्र 

४५】चाँदी का सिक्का  श्रद्धानुसार 

४६】लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र  श्र्द्धा अनुसार 

४७】सौभाग्य सामग्री 

48】दीपक  के लिये तेल और  घी 

४९】जल कलश (ताँबे और  मिट्टी के) 

५०】सफेद कपड़ा (आधा मीटर)

५१】लाल कपड़ा (आधा मीटर) 

५२】दीपक बड़े  2 और  छोटे दिपक परम्परा अनुसार

५३】 ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा) 

५४】ऐक लाल रंग की  कुबेर पोटली 

५५】सप्तधान्य

 (चावल, गेहूँ,मूँग, कन्ग्नी,मक्का, चना , उड़द,)


५६】लेखनी (कलम)  महाकाली पूजन के लिये

५७】बही-खाता, सरस्वती पूजन के लिये

५८】स्याही 




की दवात 

५९】तुला (तराजू)  अगर संभव हो तो अगर व्य्पारि है तो

६०】सरस्वती पूजा के लिये ऐक डायरी 


६१】 कुबेर पोटली (बसनी)मे रखने का सामान 
हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया , पीली कोडी,गोमती चक्र, रक्त गुंजा वीज, कमल गट्टा,  मजीठ , पीली सरसो, आवला फ़ल, काली हल्दी, सिन्दूर , श्रंगेरि, दूर्वा ,आदि

::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::लक्ष्मी पूजा को 
प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिये, 
जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है 
और लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है।
कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशिता काल का सुझाव भी देते हैं। 
हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, 
के लिए अधिक उपयुक्त होता है। 
सामान्य लोगों के लिए प्रदोष काल मुहूर्त ही उपयुक्त है।
लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं,
क्यूँकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान ही होता है,
जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। 
ऐसा माना जाता है, कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये 
तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। 
इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। 
वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है
और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होते है 
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

लक्ष्मी पूजा के लिये स्थिर लग्न 

 प्रात:
वृश्चिक लग्न 
मंदिर, हॉस्पिटल, होटल्स, स्कूल, कॉलेज में पूजा होती है. राजनैतिक, टीवी फ़िल्मी कलाकार वृश्चिक लग्न में ही लक्ष्मी पूजा करते है.
व्यापारिक प्रतिष्ठानों में व्यापार में प्रयोग किए जाने वाले कल, पुर्जे, गद्दी, लक्ष्मी कुबेरादि सरस्वती पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 
प्रालेपन गादी स्थापना-स्याही भरना-कलम दवात सबारने के लिये  ब्र्श्चीक लग्न मे कर सकते है 
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

कुम्भ लग्न :

यह दिवाली के दिन दोपहर का समय होता है. 
जिन पर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है, जिनको व्यापार में बड़ी हानि होती है. उनको इस लग्न मे पूजा करना चाहीए
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

वृषभ लग्न  :
दीपावली के दिन शाम का समय होता है. यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

सिंह लग्न – 

दिवाली की मध्य रात्रि का समय होता है. 
संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
महानिशिता काल में तांत्रिक और पंडित लोग पूजा करते है, 
ये वे लोग होते है, जिन्हें लक्ष्मी पूजा के बारे में अच्छे से जानकारी होती है.

 हमारे  मुहूर्त के समय में
 अमावस्या, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं।  लक्ष्मी पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिये।
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व्यापारियों के चोघड़िया मूहूर्त


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यह मुहूर्त निर्णय सागर पंचांग द्वारा  तैयार किया गया है 
हमारे यहा दीपावली पूजन ऐबं लक्ष्मी जी के अर्चन के लिये  सम्पर्क करे 

सम्पर्क सूत्र 
Gurudev
 bhubneshwar 
Parnkuti guna 
9893946810
संपर्क
पंडित =भुबनेश्वर 
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना 
मोबाइल =०९८९३९४६८१०





दीपावली पूजन सामग्री

महा लक्ष्मीपूजन सामग्री लिस्ट 
अगर पण्डित जी से पूजन  करवांना  हो तो पण्डित जी से पूछ कर ही सामग्री आव्यशकतानुसार   कम या ज्यादा ला सकते है 
  
पाना लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मूर्ति

१】हल्दी
२】चंदन
३】 कपूर 
४】केसर 
५】यज्ञोपवीत 5 
६】रोली (कुंकु)
७】चावल 
८】अबीर 
९】गुलाल, 
१०】बडी गोल सुपारी 
११】लौंग
१२】इलायची
१३】सिन्दूर
१४】यग्नोपवीत(जनेऊ)
१५】कलावा(मौली)
१६】माचिस
१७】इत्र
१८】रुई 
१९】बताशे
 २०】 बदाम 
२१】काजू
२२】पिस्ता
२३】चिरोंजी 
२४】मिश्री
२५】खीले 
२६】 परमल
२७ )गुलाव जल
२८】गंगाजल

पंचामृत के लिये
२९】शहद (मधु) 
३०】शकर
३१】 घृत (शुद्ध घी) 
३२】दही 
३३】दूध 

३४】ऋतुफल(गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि) 
३५】नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
 ३६】पूजा के लिये पैसे 
३७】फूल कमल के ऐबं अन्य फूल भी
३८】दूर्वा(दूवा या दरवा)
३९】शमी पत्र
४०】तुलसी दल 
४१】पंच पल्लव
४२】(बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)  सम्भब हो तो

४३】 लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति) 
४४】गणेशजी की मूर्ति सरस्वती का चित्र 
४५】चाँदी का सिक्का  श्रद्धानुसार 
४६】लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र  श्र्द्धा अनुसार 
४७】सौभाग्य सामग्री 
48】दीपक  के लिये तेल और  घी 
४९】जल कलश (ताँबे और  मिट्टी के) 
५०】सफेद कपड़ा (आधा मीटर)
५१】लाल कपड़ा (आधा मीटर) 
५२】दीपक बड़े  2 और  छोटे दिपक परम्परा अनुसार
५३】 ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा) 
५४】ऐक लाल रंग की  कुबेर पोटली 
५५】सप्तधान्य
 (चावल, गेहूँ,मूँग, कन्ग्नी,मक्का, चना , उड़द,)

५६】लेखनी (कलम)  महाकाली पूजन के लिये
५७】बही-खाता, सरस्वती पूजन के लिये
५८】स्याही की दवात 
५९】तुला (तराजू)  अगर संभव हो तो अगर व्य्पारि है तो
६०】सरस्वती पूजा के लिये ऐक डायरी 

६१】 कुबेर पोटली (बसनी)मे रखने का सामान 

हल्दी की गाँठ, खड़ा धनिया , पीली कोडी,गोमती चक्र, रक्त गुंजा वीज, कमल गट्टा,  मजीठ , पीली सरसो, आवला फ़ल, काली हल्दी, सिन्दूर , श्रंगेरि, दूर्वा ,आदि

लक्ष्मी पूजा को 
प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिये, 
जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है 
और लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है।
कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा के लिए महानिशिता काल का सुझाव भी देते हैं। 
हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, 
के लिए अधिक उपयुक्त होता है। 
सामान्य लोगों के लिए प्रदोष काल मुहूर्त ही उपयुक्त है।
लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं,
क्यूँकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान ही होता है,
जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। 
ऐसा माना जाता है, कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये 
तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। 
इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। 
वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है
और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होते है 
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लक्ष्मी पूजा के लिये स्थिर लग्न 

 प्रात:
वृश्चिक लग्न 
मंदिर, हॉस्पिटल, होटल्स, स्कूल, कॉलेज में पूजा होती है. राजनैतिक, टीवी फ़िल्मी कलाकार वृश्चिक लग्न में ही लक्ष्मी पूजा करते है.

व्यापारियों के लिए शुभ मुहूर्त

व्यापारिक प्रतिष्ठानों में व्यापार में प्रयोग किए जाने वाले कल, पुर्जे, गद्दी, लक्ष्मी कुबेरादि सरस्वती पूजन हेतु शुभ मुहूर्त 
प्रालेपन गादी स्थापना-स्याही भरना-कलम दवात सबारने के लिये  ब्र्श्चीक लग्न मे कर सकते है 
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कुम्भ लग्न :

यह दिवाली के दिन दोपहर का समय होता है. जिन पर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है, जिनको व्यापार में बड़ी हानि होती है. उनको इस लग्न मे पूजा करना चाहीए
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वृषभ लग्न  :
दीपावली के दिन शाम का समय होता है. यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है.
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सिंह लग्न – 

दिवाली की मध्य रात्रि का समय होता है. 
संत, तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते है.
महानिशिता काल में तांत्रिक और पंडित लोग पूजा करते है, 
ये वे लोग होते है, जिन्हें लक्ष्मी पूजा के बारे में अच्छे से जानकारी होती है.

 हमारे  मुहूर्त के समय में
 अमावस्या, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं।  लक्ष्मी पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिये।
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04 नबम्बर 2021

व्यापारियों के चोघड़िया मूहूर्त

दिन का चोघड़िया मुहूर्त 

शुभ=प्रात:        06:14 - 08:53=शुभ
चर =दोपहर       10:59 से- 12:21 =शुभ
अभिजित =दोपहर 11:59 से 12:43 
लाभ=दोपहार   12:21=से - 01:30 =शुभ
शुभ=शाम =4:28 से 05:50 =शुभ
गौ धूली बेला ऐबं प्रदोष बेला =05:50 से 08:27 तक 
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अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 
04 नवम्बर  2021 को
प्रात: 06:03 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त -
 05 नवम्बर  2021 को 
रात्रि 02:44  बजे

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यह मुहूर्त निर्णय सागर पंचांग द्वारा  तैयार किया गया है 
हमारे यहा दीपावली पूजन ऐबं लक्ष्मी जी के अर्चन के लिये  सम्पर्क करे 

सम्पर्क सूत्र 
Gurudev
 bhubneshwar 
Parnkuti guna 
9893946810/ 9893983084 
संपर्क
पंडित =भुबनेश्वर 
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना 
मोबाइल =०९८९३९४६८१०

Friday, 14 October 2022

दीपावली फेस्टिवल में कब मनाया जायेगा कौन-सा त्योहार

 जानें 5 दिनों चलने वाले दीपावली फेस्टिवल में कब मनाया जायेगा कौन-सा त्योहार

धनतेरस पूजा, शनिवार, 22 अक्टूबर, 2022

काली चौदस, रविवार, 23 अक्टूबर, 2022

लक्ष्मी पूजा, सोमवार, 24 अक्टूबर, 2022

नरक चतुर्दशी, सोमवार, 24 अक्टूबर, 2022

आंशिक सूर्य ग्रहण, 25 अक्टूबर, 2022

गोवर्धन पूजा, बुधवार, 26 अक्टूबर, 2022

भाई दुज, बुधवार, 26 अक्टूबर, 2022

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कार्तिक कृष्ण पक्ष१४सोमवार दि.२४-१०-२०२२तिथि मान२६-४५घट्यात्मक, 
अन्यत्र अक्षांशभेदेन२७-२१,घंटात्मक शाम ५-२२या फिर स्थानीय पंचाङ्ग अनुसार .
इसके उपरांत अमावश्या हस्त नक्षत्र१९-५०घट्यात्मक, घंटात्मक२बजकर४१ मि. तक

कार्तिक कृष्ण अमावस्या मंगलवार सूर्य ग्रहण भी है.
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ग्रहणस्पर्श काल४-३१और मोक्ष ५-५७है।सूतक समय १२ घंटे३०घटी पहले समय प्रातः काल ४-३० बजे से लग जायेगा ,ग्रहण का सभी स्थानों पर मोक्ष समय अधिकतम समय ६-४२तक दृश्य होगा। यह ग्रस्तास्त सूर्य ग्रहण है। 
दीवाली का पूजन चतुर्दशी सोमवार को शास्त्र सम्मत है
इस दिन प्रदोषकाल५-५८से८-३२तक अति शुभ है, 
बृषभ लग्न स्थिर राशि समय७-००बजे से८-५९बजे तक रहे गा 
 
दीपावली अमावस्या के बजाय चौदस को क्यों? 
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शास्त्र प्रमाण ..
आषाढ़ी श्रावणी चैव फाल्गुनी दीप मल्लिका ।
नंदा विद्धा न कर्तव्या कृते अर्थ क्षयो भवेत्।।
                                            धर्म सिंधु
नंदा पढ़वा को कहते हैं , इसदिन लक्ष्मी जी का पूजन होता है जो कि धन की देवी हैं ,

दीपोत्सव वेलायां प्रति पद्विद्यते यदि ।
सा तिथि विवुधै त्याज्या यथा नारी रजश्वला।।
ऐसा धर्म सिंधु ग्रंथ में लेख है ।

पढ़वा मिली अमावस्या रजश्वला स्त्री की भाँति अशुद्ध है जैसे कि कि चार दिवस स्त्री शास्त्र रीति से त्यागने योग्य है।
प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ग्रहण करना है प्रदोषे दीपदानलक्ष्मीपूजनादि विहितम्।।

पूर्वत्रैव प्रदोष व्याप्तौ (ग्राह्या )लक्ष्मी पूजनादौ पूर्वा,,

प्रदोषकाल व्यापिनी यदि साढ़े तीन पहर है तो पूजन अमावस्या में ही होता है चतुर्दशी तिथि में नहीं।

इससे कम के वेधमें चतुर्दशी युक्त में पूजन करें।

विशेष बात......?
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 इस दिन स्वाती नक्षत्र का बढ़ा महत्व है जो कि इस बार मिलना स़भव नहीं है।,,,

चतुर्दश्यादि दिनत्रयेsपिदीपावलिसंज्ञके यत्रयत्राधन्हि स्वाति नक्षत्र योगस्तस्य प्राशस्त्यम्।।

धन तेरस दो दिन प्रदोषकाल में है तब दूसरी लेना ,इस नियम से 23-10-2022को है।
नरक चतुर्दशी दीपावली के साथ ही,, दीपावली पूजन से पूर्व, 
अभ्यंग स्नान नरक निवृत्तित हेतु तिल तेल का बना उवटन सूर्योदय पूर्व लगाकर स्नान ब्रह्म मुहूर्त में २४-१०-२०२२को,करें।
गौ पूजन रात्रि में लक्ष्मी पूजन के वाद
गोक्रीढ़न अमावस्या को प्रातः काल२५-१०-२०२२
भावी इन्द्र दैत्यराज बलि पूजन भी इसी दिन होती है यह दोनों सूतक रहित शुद्ध समय में शास्त्रीय नियमानुसार अन्न कूट, गोवर्धन पूजा, के साथ २६-१०-२०२२को होगी।
यम द्वितीया भाई दोज दि. २७-१०-२०२२को शास्त्रोक्त है। जयश्रीमन्नारायण