ज्योतिष समाधान

Thursday, 12 May 2022

यज्ञ पूजन सामग्री पर्णकुटी गुना 9893946810

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1】हल्दीः--------------------------500ग्राम
२】कलावा(आंटी)-------------1 किलो (गोले वाली)
३】अगरबत्ती-------------------     3पैकिट
४】कपूर-------------------------   1 किलो ग्राम
५】केसर-------------------------   1डिव्वि
६】चंदन पेस्ट ------------------ 500 ग्राम
७】यज्ञोपवीत -----------------   11बंडल 
८】चावल------------------------ 25 किलो
९】अबीर-------------------------200 ग्राम
१०】गुलाल, -----------------1 किलो ग्राम पांच प्रकार की
११】अभ्रक-------------------100 ग्राम
१२】सिंदूर --------------------500 ग्राम
१३】रोली, --------------------300ग्राम
१४】सुपारी, ( बड़ी)--------  2 किलो ग्राम
१५】नारियल -----------------  100 नग्
१६】सरसो----------------------200 ग्राम
१७】पंच मेवा------------------1 किलो ग्राम 
१८】शहद (मधु)--------------- 200 ग्राम
१९】शकर-----------------------05किलो
२०】घृत (शुद्ध घी)------------  03 किलो
२१】इलायची (छोटी)-----------100ग्राम
२२】लौंग मौली-------------------100ग्राम
२३】इत्र की शीशी----------------5 नग्
२४】रंग लाल----------------------100ग्राम
२५】रंग काला --------------------100ग्राम
२६】रंग हरा -----------------------100ग्राम
२७】रंग पिला ---------------------100ग्राम
२८】चंदन मूठा--------------------1 नग्
२९】धुप बत्ती ---------------------12 पैकिट
29】सूत के गोले -----------------3 नग
29】नागफनी किलें---------------5नग
29】बास्तु किट -------------------8नग
29】तेल तीली का ---------------3 लीटर
      गुलाब जल. ------------१००ग्राम
नान्दी श्राद्ध के लिए
(30)आवला ---------------------100ग्राम
(31)दाख बड़ी-------------------100 ग्राम
क्ष्रेत्र पाल पूजन
(32)मूँग बडी-------------------200 ग्राम
(33)पापाड़थेली----------------1पैकिट
34】उडद -----------------------500 ग्राम

(35)तिली
(36)चावल
(37)जौ
(38)हवन सामग्री 【सुर्जन का】
 (39)
(40)नारियल गोले  ----------------------21




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३०】सप्तमृत्तिका
1】 हाथी के स्थान की मिट्टि-----------50ग्राम
२】घोड़ा बांदने के स्थान की मिटटी--50ग्राम
३】बॉबी की मिटटी---------------------50ग्राम
४】दीमक की मिटटी-------------------50ग्राम
५】नदी संगम की मिटटी---------------50ग्राम
६】तालाब की मिटटी-------------------50ग्राम
७】गौ शाला की मिटटी-----------------50ग्राम
राज द्वार की मिटटी-----------------------50ग्राम
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३१】पंचगव्य
१】 गाय का गोबर -----------------50 ग्राम
२】गौ मूत्र-----------------------------50ग्राम
३】गौ घृत------------------------------50ग्राम
4】गाय दूध----------------------------50ग्राम
५】गाय का दही ---------------------50ग्राम
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३२】सप्त धान्य-कुलबजन--------100ग्राम
१】 जौ-----------
२】गेहूँ-
३】चावल-
४】तिल-
५】काँगनी-
६】उड़द-
७】मूँग
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३३】कुशा 
३४】दूर्वा
35】पुष्प कई प्रकार के 
३६】गंगाजल
३७】ऋतुफल पांच प्रकार के -----1 किलो
38】पंच पल्लव


४५】      बस्त्र
१】सफेद कपड़ा 5 मीटर
२】लाल कपड़ा 5 मीटर

(3)पीला कपड़ा 5 मीटर

४】हरा कपड़ा 2मीटर

(5) काला कपडा 3 मीटर

(6)चन्दौवा प्रधान कुंड पर 



४६】पंच रत्न ( जितनी मूर्ती हो)
४७】दीपक
४८】तुलसी दल 
४८】केले के पत्ते
(यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित)
49】बन्दनवार
50】पान के पत्ते ------------11 नग
51】रुई
५२】भस्म
53】ध्वजालाल-1   -

 तोरण के लिये पीपल पाकर गूलर

ध्वजा  =1हाथ हाथ चौडी और 3,5,7,हाथ लम्बी होना चाहिये ।

पताका =1हाथ चौड़ी 3,5,7,हाथ लम्बी हो 

महाध्वज=का बांस 10,16,21,या 23,का होबे

महाध्वज का नाप  3हाथ चौडा 5या 10हाथ लम्बा हो 

ध्वजा

3=पीली 

3=लाल

2=काली

1=हरी 

3=सफेद



१】बड़,
२】 गूलर,
३】पीपल,
४】आम 
५】पाकर के पत्ते)
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३९】बिल्वपत्र
४०】शमीपत्र
४१】सर्वऔषधि 
४२】अर्पित करने हेतु पुरुष बस्त्र
४३】मता जी को अर्पित करने हेतु  
सौ भाग्यवस्त्र 

बर्तन
44】

(1)जल कलश तांबे के 7

(2)मिट्टी के 41

(3)थाली प्रधान यजमान को बडी 

(4)कटोरी 11 

(5)जीतने कुंड हो उतने ही यजमानौ को थाली लोटा आसन 

(6)जीतने कुंड हो उतनी  भगोनी

(7)जीतने कुंड हो उतने ब्रह्मा पात्र 

(8)मन्दिर के कलश 

(9)मन्दिर के पूजन पात्र 

(10)चांदी का तार डोरा  के लिये 

(11)सोने का तार नेत्र उन्मीलन  के लिये 

(12)प्रधान कुंड पर लटकाने के लिये पात्र 

(13) सह्त्र छिद्र कलश 

(14) कुमडा  

(15) दर्पण भगवान का चेहरा  देखने के लिये 
४५】      बस्त्र
१】सफेद कपड़ा 5 मीटर
२】लाल कपड़ा 5 मीटर

(3)पीला कपड़ा 5 मीटर

४】हरा कपड़ा 2मीटर

(5) काला कपडा 3 मीटर

(6)चन्दौवा प्रधान कुंड पर 



४६】पंच रत्न ( जितनी मूर्ती हो)
४७】दीपक
४८】तुलसी दल 
४८】केले के पत्ते
(यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित)
49】बन्दनवार
50】पान के पत्ते ------------11 नग
51】रुई
५२】भस्म
53】ध्वजालाल-1   -

ध्वजा  =1हाथ हाथ चौडी और 3,5,7,हाथ लम्बी होना चाहिये ।

पताका =1हाथ चौड़ी 3,5,7,हाथ लम्बी हो 

महाध्वज=का बांस 10,16,21,या 23,का होबे

महाध्वज का नाप  3हाथ चौडा 5या 10हाथ लम्बा हो 

ध्वजा

3=पीली 

3=लाल

2=काली

1=हरी 

3=सफेद


पताका   

3=पीली

3=लाल

2=काली

1=हरी

3=सफेद


 

=पूर्व मे पीपल

पश्चिम मे गूलर 

उत्तर मे पाकर

दक्षिण मे गूलर

आयुध 

पूर्व मे शंख बरगद 

पश्चिम मे गदा  पीपल

उत्तर मे पदम

दक्षिण मे चक्र गूलर 

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55】   ब्राहम्णो  के  द्वारा अनुष्ठान करवा रहे है तो   उनके लिए नित्य उपयोगी सामान
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सावुन नहाने के---------------10
सावुन कपड़े धोने के --------10
सर्फ कपडे धोने का ---------1 किलो
मंजन -------------------------100ग्राम
तेल ----------------------------100ग्राम
-------------------------------------------------------------56】========ब्राह्मण बरण सामग्री=======
1】धोती 
२】दुपट्टा
३】आंगोछा
४】आसन
५】माला 
६】गौमुखी 
७】लोटा 
८】पंचपात्र 
९】चमची 
१०】तष्टा 
११】अर्घा (1)मृतीका

(2)पंच पल्लव

(3)गौ मूत्र 

(4)गौमय 

(5)गन्धोदक

(6)दर्भोदक

(7)नारिकेलोदक

(8)क्षारोदक

(9)दूध

(11)स्वादुदक

(12)दधि 

(13)सुरोदक

(14)इक्षुरश

(15)घृत

(16)भस्म

(17)गौ घृत

(18)मधु

(19)शर्करल 

(20)पंचामृत 

(21)गन्ध

(22)पंच पल्लव

(23)सर्बोषधि 

(24)श्वेत पुष्प

(25)फलोदक

(26)अष्ट फ़ल

(27)स्वर्ण

(28)गौ श्र्ंगोदक

(29)सप्त धान्य 

(30)शह्स्त्र् छिद्र कलश 

(31)दिव्य औषधी 

(33)नवरत्न

(34)तीर्थोदक

(35)कदंब पत्र 

(36)शाल्मली पत्र

(37)जम्बू  पत्र 

(38)अशोकपत्र

(39)पीपलपत्र

(40)आम पत्र

(41)बट

(42)विल्व

(43)नाग पत्र

(44)पलाश पत्र

45=उबटन
1)=========================
1=जलाधीवास
2=गन्धादी वास
4=पुष पादी वास
5=धान्यादी वास
6=फलादी वास
7=ओषध्यादी वास
8=बश्त्रादी वास
9=घ्रतादि वास
10=शक्रादी वास
11=मिष्ठानआदी वास
12=श्य्यादी वास


 पूर्ण आहुति के लिये 

केले के खंबे 

बांस की 3=3 फिट की चम्पट 

दही अग्नी 

कपडा लाल 

Thursday, 5 May 2022

अशुभ योग में न करे शुभ कार्य पर्णकुटी आश्रम गुना

शुभ मुहूर्त या योग को लेकर मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति, मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि शास्त्र हैं। हिन्दू पंचांग में मुख्य 5 बातों का ध्यान रखा जाता है। इन पांचों के आधार पर ही कैलेंडर विकसित होता है। ये 5 बातें हैं- 1.तिथि, 2.वार, 3. नक्षत्र, 4. योग और 5. करण। आज हम बात करते हैं योग की।
 
 
27 योग :- सूर्य-चन्द्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। योग 27 प्रकार के होते हैं। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.इन्द्र और 27.वैधृति।

अशुभ योग कौन से हैं?

27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। 
ये 9 अशुभ योग हैं- 
विष्कुम्भ,
 अतिगण्ड,
 शूल, गण्ड,
 व्याघात, वज्र, 
व्यतिपात, 
परिध 
और वैधृति। 

1.विष्कुम्भ योग : इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है। जिस प्रकार विष पान करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है अर्थात इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ ही होते है

2.अतिगण्ड : इस योग को बड़ा दुखद माना गया है। इस योग में किए गए कार्य दुखदायक होते हैं। इस योग में किए गए कार्य से धोखा, निराशा और अवसाद का ही जन्म होता है। अत: इस योग में कोई भी शुभ या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही कोई नया कार्य आरंभ करना चाहिए।
3.शूल योग : शूल एक प्रकार का अस्त्र है और इसके चूभने से बहुत बहुत भारी पीड़ा होती है। जैसे नुकीला कांटा चूभ जाए। इस योग में किए गए कार्य से हर जगह दुख ही दुख मिलते हैं। वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: इस योग में कोई भी कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताते रहेंगे।

4.गण्ड : इस योग में किए गए हर कार्य में अड़चनें ही पैदा होगी और वह कार्य कभी भी सफल नहीं होगा ना ही कोई मामला कभी हल होगा। मामला उलझता ही जाएगा। इस योग किया गया कार्य इस तरह उलझता है कि व्यक्ति सुलझाते सुलझाते थक जाता है लेकिन कभी वह मामला सही नहीं हो पाता। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गण्ड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
 
5.व्याघात योग : किसी प्रकार का होने वाला आघात या लगने वाला धक्का। यदि इस योग में कोई कार्य किया गया तो बाधाएं तो आएगी ही साथ ही व्यक्ति को आघात भी सहन करना होगा। यदि व्यक्ति इस योग में किसी का भला करने जाए तो भी उसका नुकसान होगा। इस योग में यदि किसी कारण कोई गलती हो भी जाए तो भी उसके भाई-बंधु उसका साथ सोचकर छोड़ देते हैं कि उसने यह जानबूझ कर ऐसा किया है।
 
 
6.वज्र योग : वज्र का अर्थ होता है कठोर। इस योग में वाहन आदि नहीं खरीदे जाते हैं अन्यथा उससे हानि या दुर्घटना हो सकती है। इस योग में सोना खरीदने पर चोरी हो जाता है और यदि कपड़ा खरीदा जाए तो वह जल्द ही फट जाता है या खराब निकलता है।
 
7.व्यतिपात योग : इस योग में किए जाने वाले कार्य से हानि ही हानि होती है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। किसी का भला करने पर भी आपका या उसका बुरा ही होगा।
 
 
8.परिध योग : इस योग में शत्रु के विरूद्ध किए गए कार्य में सफलता मिलती है अर्थात शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है।
 
9.वैधृति योग : यह योग स्थिर कार्यों हेतु ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए।
Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti
9893956810